14.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

जयललिता की जयंती पर विशेष: ”अम्मा” तुमको न भूल पायेंगे

चेन्नई : तमिलनाडु की दिवंगत सीएम जयललिता की आज जयंती है. अगर अम्मा आज जिंदा होतीं तो वे अपना 69वां जन्मदिन मना रहीं होतीं. साल 1948 में आज ही के दिन उनका जन्म मैसूर इलाके के मेलुरकोट गांव में हुआ था. अय्यर ब्राह्मण परिवार में पैदा हुई जयललिता की जिंदगी में कई मोड़ आए और […]

चेन्नई : तमिलनाडु की दिवंगत सीएम जयललिता की आज जयंती है. अगर अम्मा आज जिंदा होतीं तो वे अपना 69वां जन्मदिन मना रहीं होतीं. साल 1948 में आज ही के दिन उनका जन्म मैसूर इलाके के मेलुरकोट गांव में हुआ था. अय्यर ब्राह्मण परिवार में पैदा हुई जयललिता की जिंदगी में कई मोड़ आए और वो फर्श से अर्श पर पहुंची. यही कारण है कि तमिलनाडु के लोग जयललिता को आज उनकी उपलब्धियों के लिए याद कर रहे हैं.

जयललिता का पूरा नाम जयललिता जयारमन है. जयारमन उनके पिता का नाम था, जिसे उनके नाम के साथ जोड़ा गया. जयललिता के सफर की ऐसी कई कहानियां है जहां उन्होंने अपने सम्मान के साथ कभी समझौता नहीं किया. हर बार टूटने के बाद वो दोगुणी तेजी से उठी और आगे बढ़ी. जयललिता के पूरे जीवन के सफर को हम आपके लिए टाइम फ्रेम और कम शब्दों में ला रहे हैं यहां आप उनके पूरे सफर को समझ पायेंगे. आइए एक नजर डालते हैं उनके जीवन के कुछ महत्वपूर्ण मोड़ पर…

साल 1961 : जयललिता का फिल्मी दुनिया में पहला कदम

जयललिता ने एक बाल कलाकार के रूप में फिल्म में काम करना शूरू. बाल कालाकर के रूप में उन्‍होंने इकलौती अंग्रेजी फिल्म भी की.

साल 1964 : लीड कलाकार के रूप में पहला कदम

जयललिता ने 15 साल की उम्र में मुख्य अभिनेत्री के तौर पर अपना पहला कदम फिल्मी दुनिया में रखा. फिल्म का नाम था चिंडा गोंबे( गोल्डन गर्ल).

साल 1965 : एमजीआर के संपर्क में आयी जयललिता

तमिल फिल्म वेनिरा आदाई ( सफेद ड्रेस) को जोरदार सफलता मिली. इसी साल उन्हें मौका मिला एमजी रामाचंद्रन ( एमजीआर) के साथ काम करने का. इन दोनों के बीच रिश्ते मजबूत हो गये पहले एक सह कलाकार के तौर पर उसके बाद एक राजनीतिक सहयोगी के तौर पर. दो दशक तक इनकी जोड़ी दोनों मंचों पर खूब चर्चा में रही.

साल 1970 : जयललिता और एमजीआर का अलग होना

इस साल एमजीआर और जयललिता का फिल्मी रिश्ता टूटने लगा. एमजीआर ने पार्टी और नजदीकी लोगों के दबाव में दूसरी अभिनेत्रियों के साथ काम करना शुरू कर दिया. जयललिता भी दूसरे अभिनेता के साथ काम करने लगी. लगभग 10 सालों तक दोनों के बीच यह दूरी कायम रही.

साल 1973 : फिल्म में आखिरी बार बनी जोड़ी

दोनों की जोड़े के रूप में आखिरी फिल्म पट्टीकाटटु पोन्नैया थी. दोनों ने लगभग 28 फिल्मों में एक साथ काम किया लेकिन इसके बाद फिर यह जोड़ी फिल्मी परदे पर कभी नहीं दिखी.

साल 1977 : एमजीआर बन गये तमिलनाडु के मुख्यमंत्री

विधानसभा में जीत के बाद एमजीआर तमिलनाडु के मुख्यमंत्री बन गये

साल 1980 : जयललिता अंतिम फिल्म

इसी साल जयललिता ने अंतिम फिल्म "नढ़ियाई थेड़ी वंध कदल" की. इसके बाद उन्होंने फिल्मों में काम करना बंद कर दिया. जयललिता ने अपनी फिल्म करियर को अलविदा कहा और पूरी तरह राजनीति में सक्रिय हो गयीं. उन्होंने 300 से ज्यादा फिल्मों में काम किया.

साल 1982 : जयललिता का राजनीति में पहला कदम

एआईएडीएमके की सदस्यता ग्रहण करने के बाद जयललिता ने पहली बार किसी जनसभा को संबोधित किया. उत्तरी तमिलनाडु के कुड्डालोर में उन्होंने महिलाओं पर अपना विचार रखा. इस सभा में उन्होंने महिलाओं की महानता और मेहनत का जिक्र किया. जयललिता के इस भाषण की खूब चर्चा हुई.

साल 1983 : राजनीति में पहला प्रमोशन

राजनीति में पहली बार जयललिता का प्रमोशन मिला. उन्हें पार्टी के प्रचार और कैंपेन की जिम्मेदारी दी गयी.

साल 1984 : जयललिता ने राजीव गांधी से खुद को सीएम बनाने का अनुरोध किया

एमजीआर ने जयललिता को राज्यसभा भेजा यहां उन्होंने 1989 तक राज्य का नेतृत्व किया. साल के अंतिम महीने में एमजीआर गंभीर रूप से बीमार पड़ गये और उन्हें यूएस के एक अस्पताल में भरती कराया गया. खबरों के अनुसार इस दौरान जयललिया ने राजीव गांधी से खुद को सीएम बनाने का अनुरोध किया. एमजीआर की गैरमौजूदगी में जयललिता ने पार्टी का काम संभाला इस दौरान पार्टी ने दो अहम चुनाव जीते

साल 1987 : एमजीआर का निधन और पार्टी का टूटना

एमजीआर का इसी साल निधन हो गया. पार्टी दो गुटों में बंट गयी एक जो जयललिता का समर्थन करते थे और दूसरी जो एमजीआर की पत्नी जानकी रामाचंद्रन का.

साल 19 88 : एमजीआर की पत्नी जानकी 21 दिनों के लिए बनीं सीएम

एमजीआर के निधन के बाद उनकी पत्नी जानकी रामाचंद्रन एआईडीएमके के 132 विधायकों में से 97 के समर्थन से मुख्यमंत्री बन गयी. 21 दिनों तक ही वो इस कुरसी पर कायम रह सकीं इसके बाद राजीव गांधी ने इनकी सरकार गिरा दी. राज्य राष्ट्रपति शासन की जद में आ गया

साल 1989 : जयललिता की वापसी

पार्टी दो गुटों में बट गयी थी. 1989 के विधानसभा चुनाव में समर्थक समझ नहीं पा रहे थे कि उन्हें किस तरफ जाना है या किसे वोट देना है लेकिन इन सबके बीच जयललिता ने बाजी मार ली. डीएमके ने जीत हासिल करते हुए 27 सीटों पर कब्जा किया जबकि जानकी सिर्फ दो सीट ही जीत सकीं. कुछ दिनों के बाद जानकी ने त्यागपत्र दे दिया और जयललिता की राजनीतिक तौर पर जीत सफल हो गयी.

मार्च 25 1989 : जयललिता की सौगंध

इसी दिन विधानसभा के अंदर क्या हुआ. इसकी कई खबरें बाहर आयी. करुणानिधी अपना बजट भाषण दे रहे थे. जयललिता बीच में उन्हें रोक रहीं थीं. पक्ष-प्रतिपक्ष ने धक्कामुक्की की और कहा जाता है कि डीएमके मंत्री दुरई ने जयललिता के तब कपड़े खींचने तक की कोशिश की जब वे हाउस से बाहर निकलने की कोशिश कर रही थीं. यह जयललिता के लिए एक सदमे की तरह था. इसके बाद वे मीडिया के सामने आयीं और फूट-फूट कर रोयीं और सारी बात बतायी. उसी समय उन्होंने सौगंध खायी कि वे अब सदन में मुख्यमंत्री के रूप में ही प्रवेश करेंगी.

साल 1991 : जयललिता मुख्यमंत्री बनीं

कांग्रेस के साथ जयललिता ने हाथ मिलाया और 234 सीट में से 225 सीट पर जीत मिली. डीएमके को सिर्फ दो सीट मिली. जयललिता मुख्यमंत्री बन गयीं.

साल 1996 : पहली हार

जयललिता को पहली बार इसी साल हार मिली. एआईडीएमके को सिर्फ चार सीटें मिली. इस साल वो अपनी विधानसभा सीट भी नहीं बचा पायी. इसी साल दिसंबर में उन्हें उन पर कई भ्रष्टाचार के मामले दर्ज किये गये. उन पर लगभग 48 केस दर्ज किये गये.

साल 2001 में एक बार फिर हुई वापसी

इस साल जयललिता की जोरदार वापसी हुई. उन्होंने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को राजनीति से प्रेरित बताया. जीत के बाद जयललिता अपने ऊपर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण मुख्यमंत्री नहीं बन सकीं.

साल 2003 में फिर संभाली सीएम की कुरसी

मंद्रास हाईकोर्ट ने उन्हें कुछ मामलों में राहत दी. इसके बाद उन्होंने सीएम की कुरसी संभाली. एआईडीएमके के एक विधायक ने इस्तीफा दिया और जीत के बाद उन्होंने कुरसी संभाल ली.

साल 2006 में चुनाव

विधानसभा चुनाव में डीएमके गंठबंधन ने उन्हें मात दे दी. एआईडीएमके ने सिर्फ 69 सीटें जीतीं. 2011 तक उन्होंने विपक्षी नेता के तौर पर काम किया.

साल 2011 : तीसरी बार बनीं मुख्यमंत्री

एआईडीएमके महागंठबंधन ने 203 सीटों पर कब्जा करके शानदार जीत हासिल की. डीएमके गंठबंधन को सिर्फ 31 सीटें मिली. जयललिता तीसरी बार मुख्यमंत्री बनीं.

27 सिंतबर 2014 : आय से अधिक संपत्ति के मामले में पांच सला की सजा

आय से अधिक संपत्ति के मामले में जयललिता को पांच साल की सजा और 100 करोड़ रुपये जुर्माना लगाया गया. एक महीने जेल में रहने के बाद उन्हें जमानत मिल गयी.

साल 2016 में फिर जीती पार्टी

एआईएडीएमके गंठबंधन ने 134 सीट जीती जबकि डीएमके ने 98 सीट पर कब्जा किया.

22 सितंबर 2016 अस्पताल में भरती हुई

जयललिता की तबीयत अचानक खराब हो गयी जिसके बाद उन्हें चेन्नई स्थित अपोलो अस्पताल में भरती कराया गया. उनके सेहत में सुधार आया लेकिन अचानक दिल का दौरा पड़ने के कारण उन्हें लाइफ स्पोर्ट सिस्टम पर रखा गया हैऔर कुछ दिनों के बाद उनका निधन हो गया.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें