केंद्र की उच्च स्तरीय समिति का सुझाव : भीषण बाढ़ की वजह फरक्का बैराज, इसके सामने जमा रेत हटाएं

नयी दिल्ली. गंगा नदी के पेट में जमा गाद और उसकी वजह बने फरक्का डैम को लेकर राष्ट्रीय बहस छिड़ चुकी है. गंगा नदी की गाद साफ को करने के लिए केंद्र सरकार दिशा-निर्देश तैयार करने जा रही है. इसे लेकर उसने एक उच्च स्तरीय समिति गठित की है. इस समिति ने भी माना है […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 26, 2017 7:04 PM

नयी दिल्ली. गंगा नदी के पेट में जमा गाद और उसकी वजह बने फरक्का डैम को लेकर राष्ट्रीय बहस छिड़ चुकी है. गंगा नदी की गाद साफ को करने के लिए केंद्र सरकार दिशा-निर्देश तैयार करने जा रही है. इसे लेकर उसने एक उच्च स्तरीय समिति गठित की है. इस समिति ने भी माना है कि गंगा में गाद के जमा होने की बड़ी वजह फरक्का डैम है. समिति ने रविवार को सुझाव दिया है कि गाद की समस्या के समाधान के लिए फरक्का बैराज के सामने जमा रेती को हटाया जाना चाहिए.

समिति ने यह सिफारिश बैराज को लेकर चिंताओं और खास कर बिहार सरकार की चिंता के मद्देनजर की है. समिति ने कहा है कि यह भीषण बाढ़ के पैदा होने का कारण और गंगा में गाद के स्तर के घातक रुप से बढ़ने के लिए जिम्मेदार है.

माधव चिताले के नेतृत्व वाले चार सदस्यीय दल ने अपनी मसौदा रिपोर्ट में कहा है, फरक्का बैराज के सामने गाद के बारे में उठाये गये विशिष्ट मुद्दों के मद्देनजर सिफारिश की जाती है कि रेती को नदी प्रशिक्षण कार्य को ध्यान में रखते हुए हटाया जा सकता है. समिति ने सिफारिश की है कि हटायी गयी गाद को बैराज तलाब के ईद-गिर्द तटबंधों को मजबूत करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है.

हाइड्रॉलिक प्रदर्शन में हो सकता है सुधार
समिति ने कहा कि अंधाधुंध गाद हटाने के काम से नदी की पारिस्थितिकी को अधिक नुकसान हो सकता है. गाद को हटाने से नदी की पारिस्थितिकी और उसके पर्यावरण प्रवाह में सुधार होता है इस धारणा को काटते हुए समिति ने दलील दी है कि अगर इसे सही तरीके से किया गया तो यह सिर्फ नदी के हाइड्रॉलिक प्रदर्शन में सुधार कर सकता है. केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय को सौंपी गयी अपनी मसौदा रिपोर्ट में माधव चिताले के नेतृत्व वाली समिति ने सरकार से सिफारिश की है कि वह राष्ट्रीय स्तर पर एक तकनीकी एजेंसी का गठन करके गाद निकालने के काम के लिए किसी प्रस्ताव का मूल्यांकन करने के लिए सांस्थानिक व्यवस्था करे.

चार सदस्यीय समिति ने वकालत की है कि ऐसा संस्थान सेडीमेंट बजटिंग, आकृति मूलक और बाढ के रास्ते का अध्ययन कराए, जो नदी के एक हिस्से से गाद निकालने की आवश्यकता की पुष्टि करेगा. गंगा के मामले में समिति ने सरकार को सुझाव दिया है कि वह गंगा बाढ नियंत्रण आयोग यानी जीएफसीसी को इस तरह का अध्ययन करने के लिए अतिरिक्त आदेश दे.

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