कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह पर धार्मिक भावनाएं भड़काने का मामला दर्ज, पोस्ट किया था ये बयान…!

हैदराबाद : कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह पर पुलिस ने धार्मिक भावनाएं भड़काने के आरोप में मामला दर्ज किया गया है. उन पर यह मुकदमा मदरसा और आरएसएस संचालित सरस्वती शिशु मंदिर को लेकर ट्विटर पर किये गये उनके कथित पोस्ट दर्ज किया गया है. पुलिस ने कांग्रेस नेता के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 28, 2017 9:17 AM

हैदराबाद : कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह पर पुलिस ने धार्मिक भावनाएं भड़काने के आरोप में मामला दर्ज किया गया है. उन पर यह मुकदमा मदरसा और आरएसएस संचालित सरस्वती शिशु मंदिर को लेकर ट्विटर पर किये गये उनके कथित पोस्ट दर्ज किया गया है. पुलिस ने कांग्रेस नेता के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 295 ए (जानबूझकर घृणास्पद कृत्य, धर्म या धार्मिक मत को आहत कर किसी वर्ग की धार्मिक भावनाओं को चोट पहुंचाने का इरादा) के तहत मामला दर्ज किया.

दिग्गी राजा के नाम से मशहूर दिग्विजय सिंह ने अपने ट्विटर पेज से ट्वीट किया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि मदरसों और आरएसएस द्वारा चलाये जा रहे सरस्वतीर शिशु मंदिर में कोई फर्क नहीं है. दोनों में नफरत फैलायी जाती है.

कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने 22 फरवरी को अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा था कि मदरसा और आरएसएस द्वारा चलाये जा रहे सरस्वती शिशु मंदिर स्कूल में कोई अंतर है क्या? मुझे नहीं लगता, दोनों नफरत फैलाते हैं. ट्विटर पर उनके इस पोस्ट के बाद मजलिस बचाओ तहरीक के नेता अमजद उल्ला खान ने पुलिस में यह शिकायत दर्ज करायी है. पुलिस अधिकारी ने कहा कि हमने भारतीय दंड संहिता की धारा 295 ए के तहत मामला दर्ज किया है और इसकी जांच चल रही है.

दिग्विजय के इस बयान के बाद मुस्लिम संगठनों और राजनीतिक पार्टियों ने उनकी आलोचना की थी. उनके इस बयान के बाद असदुद्दीन औवेसी की पार्टी एआईएम सहित अन्य मुस्लिम संगठनों ने कड़ी प्रतिक्रिया दी थी. यहां तक कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आबिद रसूल खान ने भी इस पर अपनी नाराजगी जाहिर की थी.

वहीं, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के जमायत-ए-उलेमा हिंद के चीफ हाफिज पीर शब्बीर ने कड़ी प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए कहा था कि मैं चाहता हूं कि दिग्विजय मुझे दिखाएं कि किस मदरसा में हथियार छुपा कर रखा गया है. यह एक बड़ा षडयंत्र का हिस्सा है, जो चाहता है कि मुस्लिम समाज में कोई इमाम, मुफ्ती और आलिम न हो.

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