किशोर के अपहरण मामले में 8 आरोपी बरी
ठाणे : वर्ष 2010 में नवी मुंबई से कॉलेज के 17 वर्षीय एक छात्र का कथित तौर पर अपहरण करने के मामले में आरोपी 8 व्यक्तियों को यहां की एक अदालत ने बरी कर दिया है. ठाणे अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ए एस वागवाज ने पाया कि आरोपी दोषी नहीं हैं. इससे पहले अभियोजन पक्ष यह […]
ठाणे : वर्ष 2010 में नवी मुंबई से कॉलेज के 17 वर्षीय एक छात्र का कथित तौर पर अपहरण करने के मामले में आरोपी 8 व्यक्तियों को यहां की एक अदालत ने बरी कर दिया है. ठाणे अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ए एस वागवाज ने पाया कि आरोपी दोषी नहीं हैं. इससे पहले अभियोजन पक्ष यह साबित नहीं कर पाया कि कथित अपराध इन्हीं 8 लोगों ने किया था.
अदालत ने 8 आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया. इन लोगों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 364 (ए), 387, 504 और 506 के तहत सुनवाई चल रही थी. सरकारी वकील बुलेश्वर हिंजे के अनुसार, छात्र आशीष कनोजिया 7 अगस्त 2010 को कालेज जाने के लिए नेरुल स्थित अपने घर से निकला लेकिन वापस नहीं आया. उसके अभिभावकों ने उसकी खोज की और फिर उसकी गुमशुदगी की शिकायत पुलिस में दर्ज कराई. एक दिन बाद उसके पिता रामतिलक को फोन कर आरोपियों ने उनके पुत्र की रिहाई के एवज में एक करोड़ रुपये की फिरौती मांगी.
उसके बाद आरोपियों ने उन्हें कई बार फोन किया और आखिर में फिरौती की रकम 7 लाख रुपये तय की गई. रामतिलक को 10 अगस्त 2010 को रघुलीला मॉल के समीप आने को कहा गया. अदालत को बताया गया कि पुलिस ने जाल बिछाया और रामतिलक मॉल के समीप गए. वहां पुलिस अधिकारियों तीन आरोपियों को पकड़ लिया. हिंजे ने बताया कि पकड़े गए तीनों आरोपियों से पूछताछ के बाद अन्य तीन आरोपी भी पकड़ में आ गए जो कि म्हापे में अपने साथियों का इंतजार कर रहे थे.
आगे की जांच से पता चला कि लड़के को पुणे में बंधक बना कर रखा गया है. उसे वहां से छुड़ा कर दो लोगों को और गिरफ्तार किया गया. मामले में कुल 8 लोग गिरफ्तार किए गए. बहरहाल, आरोपियों के वकील बाबा शेख ने कहा कि इन लोगों को रघुलीला मॉल के समीप से नहीं पकड़ा गया था बल्कि कुछ दिन पहले पकड़ा गया था और पुलिस ने मामले को दबाने के लिए मॉल के समीप गिरफ्तारी की बात कही.
शेख ने यह भी तर्क दिया कि अगर पुलिस ने तीन आरोपियों को वाशी के भीड़भाड़ वाले स्थान से पकड़ा था, जैसा कि वह दावा कर रही है, तो उसने वहां मौजूद लोगों में से किसी एक से भी पूछताछ क्यों नहीं की. उन्होंने यह भी कहा कि पुलिस ने केवल अपने अधिकारियों से जिरह की और उनके बयान भी विरोधाभासी हैं. उन्होंने कहा कि आरोपियों की शिनाख्त परेड भी नहीं कराई गई और गिरफ्तार किए गए आरोपी मामले में लिप्त नहीं थे.