युद्धपोत ”आईएनएस विराट” आज होगा रिटायर, पढें कुछ खास बातें

मुंबई/नयी दिल्ली: करीब 30 साल देश की समुद्री-सीमाओं की रखवाली करने के बाद भारतीय नौसेना का विमानवाहक युद्धपोत, ‘आईएनएस विराट’ आज रिटायर हो जाएगा. प्राप्त जानकारी के अनुसार मुंबई में एक पारंपरिक सैन्य समारोह में विराट को विदाई दी जायेगी. ‘ग्रैंड ओल्ड लेडी’ के नाम से जाना जानेवाला आइएनएस विराट को भारत ने वर्ष 1987 […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 6, 2017 10:55 AM

मुंबई/नयी दिल्ली: करीब 30 साल देश की समुद्री-सीमाओं की रखवाली करने के बाद भारतीय नौसेना का विमानवाहक युद्धपोत, ‘आईएनएस विराट’ आज रिटायर हो जाएगा. प्राप्त जानकारी के अनुसार मुंबई में एक पारंपरिक सैन्य समारोह में विराट को विदाई दी जायेगी.

‘ग्रैंड ओल्ड लेडी’ के नाम से जाना जानेवाला आइएनएस विराट को भारत ने वर्ष 1987 में ब्रिटिश रॉयल नेवी से खरीदा था. उस वक्त विराट का नाम ‘एचएमएस हर्मेस’ था और ब्रिटेश नौसेना में 27 साल गुजार चुका था. इसने फॉकलैड युद्ध लड़ी थी.

जहाज नहीं शहर

ये जहाज एक छोटा शहर है. इसमें लाइब्रेरी, जिम, एटीएम, टीवी और वीडियो स्टूडियो, अस्पताल, दांतों के इलाज का सेंटर और मीठे पानी का डिस्टिलेशन प्लांट जैसी सुविधाएं है. इस जहाज पर 150 अफसर और 1500 नाविकों की जगह है.

90 दिन बाद लौटता था बंदरगाह

विराट पर एक समय में तीन महीने का राशन रखा रहता है, क्योंकि युद्धपोज एक बार समुद्र में निकलता था, तो 90 दिन तक बंदरगाह पर वापस नहीं लौटता था.

फाइटर प्लेन तैनात

सी-हैरियर लड़ाकू विमान व सीकिंग हेलीकॉप्टर विराट पर तैनात रहता था. मिग, सुखोई, मिराज आदि सुपरसोनिक फाइटर प्लेन ने भी भरी उड़ान. विराट ने जुलाई, 1989 में ऑपरेशन जुपिटर में पहली बार श्रीलंका में हिस्सा लिया. 2001 में संसद पर हमले के बाद ऑपरेशन पराक्रम में भी विराट की भूमिका थी.

दुनिया का सबसे पुराना युद्धपोत, 1944 में बना

इस युद्धपोत पर वर्ष 1944 में काम शुरू हुआ था. उस वक्त दूसरा विश्व युद्ध चल रहा था. रॉयल नेवी को लगा कि शायद इसकी जरूरत न पड़े. इसलिए इस पर काम बंद हो गया, लेकिन जहाज की उम्र 1944 से गिनी जाती है. 15 साल जहाज पर काम हुआ. 1959 में ये जहाज रॉयल नेवी में शामिल हुआ. विराट का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में सबसे अधिक समय तक सेवा देने के लिए शुमार है. जहाज भारत की सीमाओं की सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी.

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