रामजस कॉलेज में राष्ट्रविरोधी नारो पर कोर्ट ने पूछा, क्या वीडियो असली है

नयी दिल्ली : राजमस कॉलेज में छात्रों ने राष्ट्रविरोधी नारे लगाये गये या नहीं इस पर कोर्ट ने सवाल खड़ा कर दिया है?. कोर्ट के सामने पेश किये गये सबूत पर कोर्ट ने सवाल खड़ा करते हुए क्या वीडियो सही है. अदालत ने दिल्ली पुलिस के रामजस कालेज मामले में प्राथमिकी दर्ज कराने की मांग […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 6, 2017 9:51 PM

नयी दिल्ली : राजमस कॉलेज में छात्रों ने राष्ट्रविरोधी नारे लगाये गये या नहीं इस पर कोर्ट ने सवाल खड़ा कर दिया है?. कोर्ट के सामने पेश किये गये सबूत पर कोर्ट ने सवाल खड़ा करते हुए क्या वीडियो सही है. अदालत ने दिल्ली पुलिस के रामजस कालेज मामले में प्राथमिकी दर्ज कराने की मांग वाली शिकायत पर रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया लेकिन शिकायतकर्ता से वीडियो के असली होने के बारे में सवाल किया.

इस घटना में कथित रुप से राष्ट्रविरोधी नारेबाजी हुई थी. अदालत ने उत्तरी दिल्ली के मौरिस नगर थाने के प्रभारी को शिकायत पर 30 मार्च तक कार्रवाई रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया और शिकायतकर्ता से 21 और 22 फरवरी का घटनाक्रम बताने को कहा। इन्ही दिनों में कथित रुप से झडप हुई थी.
मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट अभिलाष मल्होत्रा ने कहा, अदालत के सामने 30 मार्च से पहले कार्रवाई रिपोर्ट दायर करने के लिए संबंधित थाना प्रभारी को नोटिस जारी किया जाता है. मजिस्ट्रेट ने इस मामले में शिकायतकर्ता और वकील से पूछा कि क्या कथित घटना का वीडियो उन्होंने बनाया है और फुटेज का स्रोत क्या है. अदालत ने कहा, क्या आपने वीडियो खुद बनाया है? हम अब इलेक्ट्रानिक युग में हैं और वीडियो से छेडछाड की जा रही है.
इसलिए हम इस पर भरोसा नहीं कर सकते. यहां तक कि आप इसके असली होने के बारे में आश्वस्त नहीं हैं.’ इस पर शिकायतकर्ता विवेक गर्ग और अधिवक्ता पुनीत गोयल ने कहा कि उन्हें नहीं पता कि किस व्यक्ति ने वीडियो बनाया. उन्होंने कहा कि वीडियो से बनाई गई सीडी समाचार चैनलों और सोशल मीडिया पर दिखाई गई. उन्होंने कहा कि साक्ष्य अधिनियम के तहत प्रमाणपत्र संवाददाता द्वारा दिया जा सकता है जिन्होंने वीडियो बनाया.
गोयल ने दलील दी, यह तथ्य है कि रामजस कालेज में अपराध हुआ लेकिन यह किसने किया, यह जांच का विषय है. पुलिस ने इस 21 फरवरी को हुई घटना पर कोई मामला दर्ज नहीं कियागर्ग ने घटनाक्रम बताते हुए कहा कि जेएनयू छात्र उमर खालिद जिसके खिलाफ पिछले साल देशद्रोह का मामला दर्ज किया गया था, को रामजस कालेज के एक सम्मेलन में वक्ता के रुप में जानबूझकर बुलाया गया और जब अधिकारियों को इसके बारे में पता चला तो उन्होंने कार्यक्रम की अनुमति वापस ले ली.
उन्होंने आरोप लगाया कि आल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन और स्टूडेंट्स फेडरेशन आफ इंडिया के नेताओं और छात्रों ने कालेज में राष्ट्रविरोधरी नारे लगाए और देश की एकता एवं अखंडता के खिलाफ नारेबाजी हुई और पहली नजर में देशद्रोह का मामला बनता है. अदालत मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट सतीश कुमार अरोडा द्वारा उन्हें भेजी गयी शिकायत पर सुनवाई कर रही थी.

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