बाबरी मस्जिद ध्वंश प्रकरण : सुप्रीम कोर्ट के रुख से आडवाणी, जोशी और उमा भारती फिर मुश्किल में

नयी दिल्ली : अयोध्या के विवादित बाबरी मस्जिद का ढांचा गिराये जाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट के ताजा रुख से भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी, डाॅ मुरली मनोहर जोशी और केंद्रीय मंत्री उमा भारती की मुश्किलें बढ़ गयी हैं. 25 साल पुराने इस ममले की फिर से सुनावाई हो सकती […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 7, 2017 12:24 PM

नयी दिल्ली : अयोध्या के विवादित बाबरी मस्जिद का ढांचा गिराये जाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट के ताजा रुख से भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी, डाॅ मुरली मनोहर जोशी और केंद्रीय मंत्री उमा भारती की मुश्किलें बढ़ गयी हैं. 25 साल पुराने इस ममले की फिर से सुनावाई हो सकती है और अदालत में इस आरोप की फिर से जांच हो सकती है कि इस ढांचे को गिराने जाने में इन नेताओं की आपराधिक साजिश थी या नहीं. इन तीन नेताओं के अलावा भाजपा और विहिप के अन्य 10 नेताओं पर भी इस मामले में साजिश का मुकदमा फिर से चल सकता है. बाबरी मस्जिद का ढांचा 6 दिसंबर 1992 को गिराया गया था. इन नेताओं पर इस घटना की साजिश रचने का आरोप है. 20 मई 2001 को विशेष अदालत ने इन सभी को आरोप मुक्त कर दिया था और 20 मई 2010 को इलाहाबाद हाइकोर्ट ने भी उस पर मुहर लगा कर इन्हें बड़ी राहत दी थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के रुख के बाद यह मामला फिर से खुल जायेगा.

सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति पीसी घोष और न्यायमूर्ति आरएफ नरीमन की दो सदस्यीय पीठ ने निचली अदालतों के फैसले को चुनौती देने वाली अपील पर सोमवार काे सुनवाई करते हुए बाबरी मस्जिद के विवादित ढांचे को गिराये जाने की घटना को लेकर दर्ज दोनों मामलों पर संयुक्त सुनवाई करने का आदेश देने का विकल्प दिया. यह अपील हाजी महबूब अहमद और सीबीआई ने अपील दायर की थी.

गौरतलब है कि विवादित बाबरी मस्जिद के ढांचे को गिरे जाने के मामले में जो दो मुकदमे दर्ज किये गये थे, उनमे से पहले मुकदमे में लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी सहित 19 लोगों खिलाफ घटना की साजिश रचने का आरोप दर्ज किया गया था. इनमें उमा भारती, कल्याण सिंह, शिवसेना सुप्रीमो बाल ठाकरे और विश्व हिन्दू परिषद के नेता गिरिराज किशोर, विनय कटियार, विष्णु हरि डालमिया, सतीश प्रधान, सी आर बंसल, अशोक सिंघल, साध्वी श्रृतंबरा, महंत अवैद्यनाथ, आरवी वेदांती, परमहंस राम चंद्र दास , जगदीश मुनि महाराज, बीएस शर्मा, नृत्य गोपाल दास, धरम दास, सतीश नागर और मोरेश्वर सावे को घटना की साजिश रचने आरोपित बनाया गया था. नौ साल तक मुकदमे की सुनवाई के बाद विशेष अदालत ने 4 मई 2001 को इन सभी के आरोप को खत्म कर दिया था. इस आदेश को इलाहाबाद हाइकोर्ट में चुनौती दी गयी थी. उसने निचली के फैसले को बरकार रखा.

लेकिन सुप्रीम कोर्ट की दो सदस्यीय पीठ ने अपील की सुनवाई करते हुए तथ्य की भूल पर भी गौर किया और इन्हें आरोप मुक्त करने के तकनीकी आधार को स्वीकार करने से इनकार कर दिया. पीठ ने कह, हम तकनीकी आधार पर आरोप मुक्त करना स्वीकार नहीं करेंगे और हम पूरक आरोप पत्र की अनुमति देंगे.

भारतीय दंड संहिता की इन धाराओं के तहत दर्ज है मामला :
धारा 153-ए : विभिन्न वर्गो के बीच कटुता पैदा करना
धारा 153-बी : राष्ट्रीय एकता को खतरा पैदा करने वाले दावे करना
धारा 505 : सार्वजनिक शांति भग करने या विद्रोह कराने की मंशा से गलत बयानी करना
धारा 120-बी : आपराधिक साजिश.

Next Article

Exit mobile version