गोवा : इस वजह से मनोहर पर्रिकर को लेनी पड़ी मुख्यमंत्री पद की दुबारा शपथ
पणजी : रक्षा मंत्री के पद से इस्तीफा दे चुके मनोहर पर्रिकर ने गोवा के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली जहां वह गठबंधन सरकार की अगुवाई करेंगे. राज्य में तीन दिन पहले घोषित चुनाव परिणामों में आये खंडित जनादेश में भाजपा सीटों के मामले में कांग्रेस के बाद दूसरे नंबर पर रही थी. लेकिन भाजपा […]
पणजी : रक्षा मंत्री के पद से इस्तीफा दे चुके मनोहर पर्रिकर ने गोवा के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली जहां वह गठबंधन सरकार की अगुवाई करेंगे. राज्य में तीन दिन पहले घोषित चुनाव परिणामों में आये खंडित जनादेश में भाजपा सीटों के मामले में कांग्रेस के बाद दूसरे नंबर पर रही थी. लेकिन भाजपा ने दो दिन पहले ही राज्यपाल से मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश किया. पर्रिकर को दुबारा मुख्यमंत्री पद की शपथ लेनी पड़ी. शपथ पढ़ते समय पर्रिकर ने पहले मंत्री पद की शपथ ले ली. उसके बाद दुबारा उन्हें मुख्यमंत्री पद की शपथ लेनी पड़ी. उच्चतम न्यायालय के निर्देशानुसार पर्रिकर को 16 मार्च को विधानसभा में बहुमत साबित करना होगा. उन्होंने भाजपा के 13 विधायकों समेत 21 सदस्यों का समर्थन होने का दावा किया है.
प्रधान न्यायाधीश जे एस खेहर की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने मंगलवार को कांग्रेस की अर्जी पर शपथ-ग्रहण समारोह पर रोक लगाने से इनकार कर दिया और पर्रिकर को विश्वास मत हासिल करने का निर्देश दिया, जिसके बाद उनके शपथ-ग्रहण का रास्ता साफ हो गया. पीठ ने निर्देश दिया कि सदस्यों के शपथ-ग्रहण के बाद विश्वास मत हासिल करने के लिए 16 मार्च को सुबह 11 बजे विशेष रूप से विधानसभा सत्र बुलाया जाए.
पर्रिकर चौथी बार राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में लौटे हैं. हालांकि वह अपने पहले के तीनों ही कार्यकाल पूरा नहीं कर सके थे. उन्होंने रविवार को गठबंधन सरकार बनाने का औपचारिक दावा पेश किया था जिसके बाद उन्हें राज्यपाल मृदुला सिन्हा की ओर से सदन में बहुमत साबित करने का निमंत्रण मिला.
राज्यपाल ने यहां राजभवन में एक समारोह में पर्रिकर को नौ विधायकों के साथ पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई जिनमें दो सदस्य भाजपा के, तीन गोवा फॉरवर्ड पार्टी के और दो सदस्य महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी (एमजीपी) के हैं. दो निर्दलीय विधायकों ने भी शपथ ली. उन्हें विश्वास मत हासिल करने के बाद मंत्रालय आवंटित किये जाएंगे.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गोवा का मुख्यमंत्री बनने पर पर्रिकर को शुभकामनाएं दीं और आशा जतायी कि वह राज्य को प्रगति की नयी ऊंचाइयों पर ले जाएंगे. बाद में संवाददाताओं से बातचीत में पर्रिकर ने विश्वास जताया कि उनकी सरकार अपना कार्यकाल पूरा करेगी.
उन्होंने कहा, ‘मैं गुरुवार को सदन में बहुमत साबित करुंगा जिसके बाद कैबिनेट में शामिल किये गये मंत्रियों को मंत्रालय दिये जाएंगे. गुरुवार को सदन में बहुमत साबित करने की प्रक्रिया पूरी होगी.’ पर्रिकर ने कहा कि क्षेत्रीय दल सरकार बनाने के लिए आगे आये और उन्होंने उनसे रक्षा मंत्री के रूप में इस्तीफा देकर राज्य की कमान संभालने को कहा.
आईआईटी बंबई के पूर्व छात्र पर्रिकर ने कहा कि उन्हें कुल मिलाकर 22 विधायकों का समर्थन प्राप्त है. सहयोगी दलों के जिन विधायकों ने पर्रिकर के साथ शपथ ली उनमें एमजीपी के रामकृष्ण उर्फ सुदिन धवलीकर और मनोहर असगांवकर, जीएफपी के विजय सरदेसाई, जयेश सलगांवकर और विनोद पालेकर तथा निर्दलीय विधायक रोहन खौंटे एवं गोविंद गावड़े हैं.
शपथ लेने वाले दो भाजपा विधायकों में निवर्तमान उप मुख्यमंत्री फ्रांसिस डिसूजा और पांडुरंग मदकाइकर हैं. शपथ-ग्रहण समारोह में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और केंद्रीय मंत्री नितिन गड़करी तथा वेंकैया नायडू उपस्थित थे.