चुनाव आयोग ने कहा, ईवीएम से छेड़छाड़ आसान नहीं , पढ़े पूरी खबर
नयी दिल्ली : उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजों में भाजपा को प्रचंड बहुमत मिलने के बाद विरोधी दल के नेता भले ही इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) से छेड़छाड़ का आरोप लगा रहे हों, लेकिन चुनाव आयोग का दावा है कि ईवीएम से छेड़छाड़ करना इतना आसान भी नहीं है. चुनाव आयोग की ओर से […]
नयी दिल्ली : उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजों में भाजपा को प्रचंड बहुमत मिलने के बाद विरोधी दल के नेता भले ही इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) से छेड़छाड़ का आरोप लगा रहे हों, लेकिन चुनाव आयोग का दावा है कि ईवीएम से छेड़छाड़ करना इतना आसान भी नहीं है. चुनाव आयोग की ओर से यह दावा विरोधी दल बसपा सुप्रीमो मायावती की ओर से शिकायत करने के बाद किया जा रहा है.
चुनाव आयोग का यह दावा कितना सही है और ईवीएम से क्यों नहीं हो सकती है छेड़छाड़ जाने…
ईवीएम मशीन को ऑनलाइन हैक नहीं किया जा सकता, क्योंकि यह किसी भी तरीके से इंटरनेट से कनेक्ट नहीं होती
मतदान केंद्र के अनुसार ईवीएम मशीन को ढूंढ़कर निकाल पाना इतना आसान नहीं है. वोटिंग मशीनों की सीरीज की जानकारी मतदानकर्मी और उसके अन्य सहयोगियों को सिर्फ एक दिन पहले ही दी जाती है.
ईवीएम मशीन दो तरह की बैलट और कंट्रोल यूनिट के साथ एक तीसरी यूनिट भी VVPAT को भी इसके साथ जोड़ दिया गया है.
VVPAT में मतदान करने के कुछ सेकेंड के अंदर ही मतदाता को वह पर्ची दिखायी जाती है कि उसने किस दल को मतदान किया है. हालांकि, चुनाव आयोग की तरफ से अभी तक इस तरह की मशीन का इस्तेमाल सभी मतदान केंद्रों पर नहीं किया गया है.
मतदान शुरू होने से पहले ही ईवीएम मशीन की जांच की जाती है कि वह दुरुस्त है भी या नहीं है. इसी समय यह भी देखा जाता है कि इस मशीन के साथ उपयोग करने के पहले किसी ने छेड़छाड़ तो नहीं की है.
मॉक पोलिंग जरिये मतदानकर्मियों की ओर से इस प्रक्रिया को पूरी किया जाता है. इस प्रक्रिया को पूरी करने के बाद मतदानकर्मी चुनाव की प्रक्रिया को शरू करते हैं.
सबसे पहले पोलिंग एंजेट को ही मतदान करने के लिए कहा जाता है, ताकि मशीन की जांच हो सके.
मॉक पोल के बाद पोलिंग एंजेट मतदानकर्मियों को सही मॉक पोल का सर्टिफिकेट देते हैं. इस सर्टिफिकेट के मिलने के बाद ही संबंधित मतदान केंद्र पर मतदान की प्रक्रिया शुरू की जाती है.