स्वास्थ्य पर जीडीपी का 2.5 फीसदी खर्च करेगी सरकार, दृष्टि बाधा पूरी तरह होगा समाप्त : नड्डा
नयी दिल्ली : नयी स्वास्थ्य नीति में प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल को प्राथमिकता दिए जाने को रेखांकित करते हुए सरकार ने गुरुवार को सदन में कहा कि इसमे स्वास्थ्य खर्च को समयबद्ध ढंग से जीडीपी के 2.5 प्रतिशत तक बढ़ाने के साथ सार्वजनिक अस्पतालों में नि:शुल्क दवाएं एवं अनिवार्य स्वास्थ्य देखभाल करने पर जोर दिया गया […]
नयी दिल्ली : नयी स्वास्थ्य नीति में प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल को प्राथमिकता दिए जाने को रेखांकित करते हुए सरकार ने गुरुवार को सदन में कहा कि इसमे स्वास्थ्य खर्च को समयबद्ध ढंग से जीडीपी के 2.5 प्रतिशत तक बढ़ाने के साथ सार्वजनिक अस्पतालों में नि:शुल्क दवाएं एवं अनिवार्य स्वास्थ्य देखभाल करने पर जोर दिया गया है. राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 पर लोकसभा में दिये गये अपने बयान में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने बताया कि मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 को अनुमोदित कर दिया है जो देश के स्वास्थ्य क्षेत्र के इतिहास में बहुत बड़ी उपलब्धि है.
उन्होंने कहा कि नयी नीति में रोकथाम और स्वास्थ्य संवर्द्धन पर बल देते हुए रुग्णता देखभाल के बजाए आरोग्यता केंद्रित करने पर जोर दिया गया है. मंत्री ने बताया कि इसमें जन्म से संबंधित जीवन प्रत्याशा को 67.5 से बढ़ाकर साल 2025 तक 70 करने, 2022 तक प्रमुख रोगों की व्याप्तता तथा इसके रुझान को मापने के लिए अशक्तता समायोजित आयु वर्ष (डीएएलवाई) सूचकांक की नियमित निगरानी करने के साथ साल 2025 तक पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों में मृत्यु दर को कम करके 23 करना, नवजात शिशु मृत्यु दर को घटाकर 16 करना तथा मृत जन्म लेने वाले बच्चे की दर को 2025 तक घटाकर ‘एक अंक’ में लाना है.
नड्डा ने बताया कि इसमें साल 2018 तक कुष्ठ रोग, वर्ष 2017 तक कालाजार और वर्ष 2017 तक लिम्फेटिक फाइलेरियासिस का उन्मूलन करने की बात कही गयी है. इसके साथ ही क्षय रोगियों में 85 प्रतिशत से अधिक की इलाज दर प्राप्त करने पर जोर दिया गया है ताकि वर्ष 2025 तक इसके उन्मूलन की स्थिति को प्राप्त किया जा सके.
नड्डा ने कहा कि नयी स्वास्थ्य नीति में साल 2025 तक दृष्टिहीनता की व्याप्तता घटाने और इसके रोगियों के वर्तमान स्तर को घटाकर एक तिहाई करने का प्रस्ताव किया गया है. इसके साथ ही ह्म्दयवाहिका रोग, कैंसर, मधुमेह या श्वांस संबंधी पुराने रोगों से होने वाली अकाल मृत्यु दर को साल 2025 तक घटाकर 25 प्रतिशत करने की बात कही गई है.
नड्डा ने कहा कि योग को अच्छे स्वास्थ्य संवर्द्धन के भाग के रूप में स्कूलों एवं कार्यस्थलों में अधिक व्यापक ढंग से लागू किया जायेगा. मंत्री ने बताया कि इसमें प्राथमिक परिचर्या के लिए संसाधनों के व्यापक अनुपात अर्थात दो तिहाई या इससे अधिक आवंटन की हिमायत की गयी है. इसका उद्देश्य प्रति 1000 आबादी के लिए 2 बिस्तरों की उपलब्धता सुनिश्चित करना है ताकि आपात स्थिति में जरुरत पड़ने पर इसे उपलब्ध कराया जा सके.
उन्होंने कहा कि इस नीति में उपलब्धता तथा वित्तीय सुरक्षा उपलब्ध कराने के लिए सभी सार्वजनिक अस्पतालों में नि:शुल्क दवाएं, नि:शुल्क निदान तथा नि:शुल्क आपात एवं अनिवार्य स्वास्थ्य देखभाल सेवाएं प्रदान करने का प्रस्ताव किया गया है. उन्होंने कहा कि नीति में स्वास्थ्य प्रणालियों की दिशा बदलने तथा उसे सुदृढ करने पर बल दिया गया है. इसमें निजी क्षेत्र से कार्यनीतिक खरीद पर विचार करने और राष्ट्रीय स्वास्थ्य लक्ष्यों को प्राप्त करने में अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करने की भी नये सिरे से अपेक्षा की गयी है.