गोवा में नेता चुनने में नहीं हुई कोई देरी, राज्यपाल ने किया संविधान विरोधी काम : दिग्विजय
नयी दिल्ली : वरिष्ठ कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने शुक्रवार को दावा किया है कि गोवा में कांग्रेस विधायक दल के नेता के चुनाव में कोई देरी नहीं हुई और वहां की राज्यपाल मृदुला सिन्हा ने कांग्रेस को सरकार गठन का मौका देने में वरीयता नहीं देकर ‘संविधान के विरुद्ध काम’ किया. सिंह ने यहां […]
नयी दिल्ली : वरिष्ठ कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने शुक्रवार को दावा किया है कि गोवा में कांग्रेस विधायक दल के नेता के चुनाव में कोई देरी नहीं हुई और वहां की राज्यपाल मृदुला सिन्हा ने कांग्रेस को सरकार गठन का मौका देने में वरीयता नहीं देकर ‘संविधान के विरुद्ध काम’ किया. सिंह ने यहां संसद के बाहर संवाददाताओं से कहा, ‘गोवा में (कांग्रेस विधायक दल के) नेता के चुनाव में कोई देरी नहीं हुई. (12 मार्च को) साढे तीन बजे हम अपने नेता के बारे में फैसला कर चुके थे और (गोवा फारवार्ड पार्टी के) विजय सरदेसाई से संपर्क करने की कोशिश कर रहे थे जिन्होंने (11-12 मार्च की) आधीरात को समर्थन देने का वादा किया था.’
उन्होंने कहा, ‘उन्होंने (सरदेसाई) ने कुछ शर्तें रखी थीं जिनपर हम राजी हो गये थे. मैंने आधीरात को राहुल गांधी से उनका संपर्क भी कराया था. जब हमने अपने नेता का चुनाव कर लिया तब हमने उनसे संपर्क किया, लेकिन तबतक उनकी नितिन गड़करी से सौदेबाजी हो गयी थी.’यह आरोप लगाते हुए कि गोवा की राज्यपाल ने संविधान के विरुद्ध कार्य किया, उन्होंने कहा, ‘सरकारिया आयोग के दिशानिर्देश कहते हैं कि सबसे बड़े दल को सरकार बनाने का पहला मौका दिया जाना चाहिए और यदि वह ऐसा नहीं कर पाता है तो दूसरे विकल्प को आजमाया जाना चाहिए.’
गोवा में 40 सदस्यीय सदन में कांग्रेस की 17 सीटों की तुलना में भाजपा के 13 सीटें हासिल करने के बाद भी उसे सरकार गठन के लिए न्यौता देने को लेकर सिन्हा कांग्रेस के निशाने पर हैं. इस भगवा दल ने गोवा में सरकार बनाने के लिए गोवा फारवार्ड पार्टी, महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी, राकांपा और कुछ निर्दलीय विधायकों के साथ चुनाव पश्चात गठजोड़ कर लिया.
भाजपा के मनोहर पर्रिकर को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिला दी गयी, जिन्होंने कल विधानसभा में बहुमत साबित किया. गोवा में कांग्रेस विधायकों के एक समूह ने सबसे बड़े दल के रूप में उभरने के बावजूद सरकार गठन में विफल रहने पर पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को जिम्मेदार ठहराया है. निर्वाचित होने के बाद कांग्रेस से इस्तीफा देने वाले विश्वजीत राणे ने इस तटीय राज्य के पार्टी मामलों के प्रभारी सिंह समेत पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को इस भयंकर भूल के लिए आज जिम्मेदार ठहराया.
उन्होंने यह भी दावा किया कि दिगंबर कामत को विधायक दल का नेता चुने जाने की स्थिति में गोवा फारवार्ड पार्टी ने कांग्रेस के साथ गठजोड़ करने का रुझान दिखाया था. राणे ने कहा, ‘लेकिन पार्टी ने इस प्रस्ताव पर चर्चा करने में समय लिया और सरकार गठन का मौका गंवा दिया.’