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उत्तर प्रदेश में प्रशांत किशोर हुए फेल, लेकिन मणिपुर में चेलों ने भाजपा को शिखर पर पहुंचाया

नयी दिल्ली : उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में कांग्रेस के चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर उर्फ पीके की रणनीति इस बार फेल हो चुकी है. लेकिन उनके चेलों ने भाजपा के लिए जो कमाल किया है उसकी चर्चा सबकी जुबान पर है. प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रशांत के कभी सहयोगी रहे कुछ लोगों ने उनसे अलग […]

नयी दिल्ली : उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में कांग्रेस के चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर उर्फ पीके की रणनीति इस बार फेल हो चुकी है. लेकिन उनके चेलों ने भाजपा के लिए जो कमाल किया है उसकी चर्चा सबकी जुबान पर है. प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रशांत के कभी सहयोगी रहे कुछ लोगों ने उनसे अलग होकर मणिपुर में भाजपा को बहुमत दिलाने की कोशिश की , हालांकि इसमें ये सफल नहीं हुए लेकिन भाजपा को शून्य से शिखर पर ले जाने में इन्होंने अहम भूमिका निभायी.

मीडिया में चल रही खबर के अनुसार दिल्ली के मिरांडा कॉलेज की छात्र एवं पत्रकार रहीं शुभ्रास्था 2013 से ही प्रशांत किशोर की टीम से जुड़ गईं थीं. उस वक्त नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे, लेकिन उन्होंने दिल्ली फतह की तैयारियां शुरू कर दी थीं. उस वक्त पीके की टीम में करीब 400 लोग उनका सहयोग करते थे. 2014 लोकसभा चुनाव खत्म होने तक इस टीम के सदस्यों की संख्या बढकर 650 तक पहुंच गयी. शुभ्रास्था इसी टीम की एक सदस्य थीं.

भाजपा को दिल्ली की कमान सौंपने के बाद यह टीम बिहार विधानसभा चुनाव में लगी. करीब 450 सदस्यों की टीम पीके का हिस्सा उस वक्त भी शुभ्रास्था रहीं लेकिन बिहार चुनाव खत्म होने के बाद उन्होंने खुद को टीम पीके से अलग कर लिया. 29 साल की शुभ्रास्था ने मणिपुर विधानसभा चुनाव में अपने टेक्नोक्रेट पति रजत सेठी का साथ दिया और उनके साथ मिलकर वही काम भाजपा के लिए करीब छह महीने पहले शुरू कर दिया था, जो वह 2014 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी और उसके बाद बिहार में नीतीश कुमार के लिए कर चुकी थीं. उन्हें यह जिम्मेदारी मणिपुर का काम देख रहे भाजपा महासचिव राम माधव की पहल पर सौंपा गया जिसमें वह सफल भी रहीं.

उन्होंने पहले पार्टी के युवा कार्यकर्ताओं से बातचीत करके जानकारी जुटायी. क्षेत्र में लोगों से रू-ब-रू होकर उस जानकारी की सच्चाई जांचना, जमीनी हकीकत से पार्टी के वरिष्ठ नेताओं तक लेकर जाना उनके कामों में शामिल था. फिर नेताओं के साथ मिलकर रणनीति तैयार करना. फेसबुक, ट्वीटर एवं वाट्सएप के माध्‍यम से पार्टी के पक्ष में माहौल खड़ा करना और उसे वोटों में बदलना उनका काम था जो उन्होंने बखूबी निभाया.

अपने काम को अंजाम तक पहुंचाने में शुभ्रास्था एवं रजत सेठी को काफी मशक्कत करनी पड़ी. उनकी छोटी सी टीम ने एक छोटे से होटल को कार्यालय बनाया और अपने कार्य को संपादित किया , जिसका परिणाम अब सबके सामने है, शुभ्रास्था की माने तो, मणिपुर में 21 सीटें जीतनेवाली भाजपा करीब छह सीटों पर 300 से भी कम मतों के अंतर से हारी.

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