एक साल पहले ही आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री बनाने का लिया था संकल्प

नयी दिल्ली : उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री के रूप में चुने जाने के पीछे कई वजहें रही हैं. 11 मार्च को चुनाव परिणाम आने के बाद मुख्यमंत्री के पद को लेकर कई नामों की चर्चा हो रही थी. गृह मंत्री राजनाथ सिंह, रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा से लेकर भाजपा के प्रदेश […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 19, 2017 10:15 AM

नयी दिल्ली : उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री के रूप में चुने जाने के पीछे कई वजहें रही हैं. 11 मार्च को चुनाव परिणाम आने के बाद मुख्यमंत्री के पद को लेकर कई नामों की चर्चा हो रही थी. गृह मंत्री राजनाथ सिंह, रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा से लेकर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य मुख्यमंत्री के प्रबल दावेदार माने जा रहे थे, लेकिन आखिरकार पार्टी ने गोरखपुर के सांसद योगी आदित्यनाथ को राज्य की कमान सौंप दी.

सूत्रों का कहना है कि पहली पसंद के रूप में मनोज सिन्हा का नाम सामने आया, लेकिन आरएसएस योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री बनाने का पक्षधर था. कई दावेदारों और सामाजिक समीकरणों को साधने के लिए पार्टी उपयुक्त उम्मीदवार की तलाश में लगी हुई थी. एक ऐसा चेहरा, जिस पर सभी धड़े की सहमति हो. क्योंकि योगी का पार्टी में कोई गुट नहीं है और ना ही योगी किसी भी गुट से संबद्ध रहे हैं. इसी को देखते हुए योगी का चयन मुख्यमंत्री के तौर पर किया गया है.

पिछले साल मार्च में गोरखनाथ मंदिर में हुई भारतीय संत सभा की चिंतन बैठक में आरएसएस के बड़े नेताओं की मौजूदगी में योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री बनाने का संकल्प लिया गया था. ऐसी चर्चा रही कि गृहमंत्री राजनाथ सिंह राज्य की राजनीति में जाने के इच्छुक नहीं थे और मनोज सिन्हा हिंदुत्व के सांचे व खांचे में में फिट नहीं बैठ रहे थे. इसके उलट योगी आदित्यनाथ का पूर्वांचल में काफी दबदबा है और पूरे उत्तर प्रदेश में उनकी छवि एक तेजतर्रार नेता और अच्छे वक्ता की है. उनकी हिंदुत्व की छवि भी भाजपा के वोटरों में आत्मविश्वास का संचार करती है. उनकी सबसे बड़ी खासियत है कार्यकर्ताओं में मजबूत पैठ. पूर्वांचल में इन चुनावों में भाजपा को अच्छी सफलता मिली है. पूर्वांचल के जिलों में हिंदू युवा वाहिनी संगठन के लाखों कार्यकर्ता है और इसके संरक्षक योगी ही हैं. हालांकि पार्टी से उनके रिश्तों में समय-समय पर कड़वाहट भी आती रही है.
5 जून, 1972 को उत्तराखंड में जन्मे अजय सिंह नेगी गोरखनाथ पीठ के महंत अवैद्यनाथ के शिष्य और फिर उनके उत्तराधिकारी बन गये और उनका नाम योगी आदित्यनाथ हो गया. गढ़वाल यूनिवर्सिटी से गणित में बीएससी की डिग्री हासिल करने वाले योगी महज 26 साल की उम्र में गोरखपुर के सांसद बन गये और लगातार पांच बार वहां से चुने गये. फायरब्रांड नेता के तौर पर छवि बना चुके आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री का पद इसलिए दिया गया, ताकि वे प्रभावी तरीके से शासन को चला सकें. गोरखधाम धाम से समाज के सभी तबके के लोग जुड़े हुए हैं और उसमें उनकी गहरी आस्था भी है. ऐसे में समाज के सभी वर्गों में उनकी अच्छी पकड़ है. उत्तर प्रदेश जैसे जटिल प्रदेश का शासन चलाने के लिए पार्टी को एक प्रभावशाली नेता चाहिए था और योगी इसमें पूरी तरह फिट बैठते हैं.
* गोरखनाथ मंदिर से मुख्यमंत्री पद तक योगी आदित्यनाथ का सफर
– उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल की राजनीति में जोरदार दखल रखनेवाले योगी आदित्यनाथ का जन्म पांच जून 1972 को उत्तराखंड (तब अविभाजित उत्तर प्रदेश) में हुआ था. उनका वास्तविक नाम अजय सिंह नेगी है.
– उन्होंने गढ़वाल यूनिवर्सिटी से गणित में बीएससी की पढ़ाई की है. गोरखनाथ मंदिर के महंत अवैद्यनाथ ने उन्हें अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था. स्वर्गीय महंत अवैद्यनाथ भाजपा से 1989, 1991 तथा 1996 में गोरखपुर से सांसद रह चुके थे.
– योगी आदित्यनाथ का नाम सबसे कम उम्र में सांसद बननेवालों की सूची में शामिल है. उन्होंने पहली बार 1998 में 26 साल की उम्र में लोकसभा का चुनाव जीता था. इसके बाद वे 1999, 2004, 2009 और 2014 में भी लगातार जीत हासिल करते रहे.
– वर्ष 2014 में गोरखनाथ मंदिर के महंत अवैद्यनाथ की मृत्यु के बाद उन्हें मठ का महंत यानी पीठाधीश्वर चुना गया.
– योगी आदित्यनाथ भाजपा के सांसद होने के साथ हिंदू युवा वाहिनी के संस्थापक भी हैं. यह संगठन पूर्वांचल में बहुत दबदबा रखता है.
– राजनीति के मैदान में आते ही योगी आदित्यनाथ ने अल्पसंख्यकों के विरुद्ध बयानबाजी कर खासी चर्चा हासिल की. धर्म परिवर्तन के खिलाफ मोर्चा खोल कर भी उन्होंने अपने सांप्रदायिक तेवर का परिचय दिया. उन्हें आलोचनाओं का सामना करना पड़ा, पर इससे उनका वर्चस्व बढ़ता ही चला गया. ऐसा भी कहा जाता है कि गोरखपुर और आसपास के इलाकों में उनकी समांतर सरकार चलती है.
– वर्ष 2007 में गोरखपुर दंगों के मामले में योगी आदित्यनाथ को मुख्य आरोपी बनाया गया था और उन्हें गिरफ्तार भी किया गया था. योगी के विरुद्ध अनेक आपराधिक मामले दर्ज हैं.
– वर्ष 2008 की 7 सितंबर को योगी आदित्यनाथ पर आजमगढ़ में जानलेवा हिंसक हमला हुआ था.
– वर्ष 2014 के उनके हलफनामे के मुताबिक, उनकी संपत्ति 72 लाख रुपये की है. इसमें उनके पास तीन लाख की पुरानी टाटा सफारी, 21 लाख की टोयोटा फॉर्च्यूनर और 12 लाख की इनोवा है. उनके पास 1.80 लाख रुपये की रायफल और रिवॉल्वर है. उनके पास 18 हजार का एक स्मार्टफोन और दो हजार की एक घड़ी है. इन चीजों के अलावा उनके पास अष्ट धातु के कुंडल, सोने की चेन और रुद्राक्ष की माला है. इन कीमत 45,000 रुपये बतायी गयी है.

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