पहली बार मठ छोड़कर सीएम हाउस जा रहे योगी, पढ़ें शुद्धिकरण के लिए क्या है इंतजाम…?
लखनऊ : उत्तर प्रदेश के नये मुख्यमंत्री और गोरक्षपीठ के महंत योगी आदित्यानाथ सोमवार को लखनऊ स्थित 5 कालीदास मार्ग पर अवस्थित मुख्यमंत्री आवास में पहली बार प्रवेश करेंगे. यह पहला ऐसा मौका है, जब योगी आदित्यनाथ अपने गोरखपुर वाले मठ को छोड़कर मुख्यमंत्री आवास में प्रवेश कर अपने कामकाज को शुरू करेंगे. इस मुख्यमंत्री […]
लखनऊ : उत्तर प्रदेश के नये मुख्यमंत्री और गोरक्षपीठ के महंत योगी आदित्यानाथ सोमवार को लखनऊ स्थित 5 कालीदास मार्ग पर अवस्थित मुख्यमंत्री आवास में पहली बार प्रवेश करेंगे. यह पहला ऐसा मौका है, जब योगी आदित्यनाथ अपने गोरखपुर वाले मठ को छोड़कर मुख्यमंत्री आवास में प्रवेश कर अपने कामकाज को शुरू करेंगे. इस मुख्यमंत्री आवास में प्रवेश करने के पहले योगी आदित्यनाथ का शुद्धिकरण भी किया जायेगा.
बताया जा रहा है कि उनके शुद्धिकरण के लिए गोरक्षपीठ मठ की देसी गायों के करीब 11 लीटर दूध से उनका रुद्राभिषेक के साथ हवन-पूजन किया जायेगा. बताया यह भी जा रहा है कि इसके लिए बाल पुरोहितों का एक दल रविवार की रात को ही गोरखपुर से 11 लीटर कच्चे दूध के साथ लखनऊ के लिए रवाना हो गया है.
गोरखपुर के मठ के सूत्रों के अनुसार, योगी के शपथ ग्रहण समारोह के बाद गृह प्रवेश की तैयारियों का संदेश गोरक्षपीठ को भेजा गया था. इसके बाद रुद्राभिषेक और हवन-पूजन के लिए गौशाला सेवा केंद्र की पांच देसी गायों से दूध निकाला गया. इस दूध को मठ के मुख्य खानसामे के पास सुरक्षित रखने के लिए भेज दिया गया. सूत्रों के अनुसार, रविवार की देर रात पुरोहितों के साथ सात अन्य बाल शास्त्रियों को लखनऊ रवाना किया गया.
बता दें कि योगी आदित्यनाथ अब सिर्फ गोरक्षपीठ मठ के महंत ही नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री भी बन गये हैं और शायद शायद पहला मौका है, जब किसी धार्मिक स्थल का प्रमुख किसी राज्य का मुख्यमंत्री भी बना है. हालांकि, इसकी नींव 96 साल पहले रख दी गयी थी. वर्ष 1921 में गोरक्षपीठ के महंत दिग्विजय नाथ ने कांग्रेस में शामिल होकर आजादी की लड़ाई लड़ी थी. अंग्रेजों ने चौरी-चौरा मामले में उन्हें गिरफ्तार भी किया था. ब्रिटिश पुलिसकर्मियों के साथ हुई जिस झड़प के बाद लोगों ने थाने में आग लगा दी थी, महंत दिग्विजय पर उस भीड़ में शामिल होने का आरोप लगा था. हालांकि, महंत दिग्विजय और कांग्रेस का साथ 16 साल का ही रहा था. महंत दिग्विजय 1937 में हिंदू महासभा में शामिल हो गये. उन्होंने आजादी के बाद राम जन्मभूमि मामले को जोर-शोर से उठाया. 1967 में हिंदू महासभा के टिकट पर चुनाव भी लड़ा था.