17.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

विपक्ष ने की गोवा, मणिपुर में राज्यपालों की भूमिका पर शीघ्र चर्चा की मांग

नयी दिल्ली : गोवा और मणिपुर में विधानसभा चुनाव होने के बाद सबसे बडे दल के तौर पर उभरी कांग्रेस को सरकार बनाने के लिए न बुलाये जाने को लेकर वहां के राज्यपालों की कथित भूमिका के संबंध में राज्यसभा में आज कांग्रेस सदस्यों ने चर्चा कराये जाने की मांग की. सदन की बैठक शुरू […]

नयी दिल्ली : गोवा और मणिपुर में विधानसभा चुनाव होने के बाद सबसे बडे दल के तौर पर उभरी कांग्रेस को सरकार बनाने के लिए न बुलाये जाने को लेकर वहां के राज्यपालों की कथित भूमिका के संबंध में राज्यसभा में आज कांग्रेस सदस्यों ने चर्चा कराये जाने की मांग की.

सदन की बैठक शुरू होने पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने कहा कि उन्होंने संबंधित राज्यपालों के आचरण पर चर्चा करने के लिए नियम 168 के तहत एक समुचित प्रस्ताव दिया है. उन्होंने कहा कि वह जानना चाहते हैं कि इस प्रस्ताव पर कब विचार किया जाएगा. उप सभापति पी जे कुरियन ने कहा कि सिंह द्वारा दिया गया नोटिस मिल गया है और उस पर विचार किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि जब सभापति इस नोटिस की स्वीकार्यता पर फैसला कर लेंगे तो सिंह को इसकी सूचना दे दी जाएगी. सिंह ने कहा कि राज्यपालों ने दूसरी सबसे बडी पार्टी भाजपा को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया और यह ‘लोकतंत्र की हत्या’ है.

उन्होंने कहा कि राज्यपालों का यह आचरण स्थापित मानकों और संवैधानिक नियमों के विरुद्ध है. साथ ही सिंह ने यह भी अनुरोध किया कि उनके प्रस्ताव पर फैसला शीघ्र किया जाए अन्यथा इसकी प्रासंगिकता खत्म हो जाएगी. उन्होंने कहा कि गोवा और मणिपुर दोनों राज्यों में कांग्रेस अकेले सबसे बडे दल के तौर पर उभरी और उसके पास सरकार बनाने से इंकार करने का पहला अधिकार था.

गौरतलब है कि शुक्रवार को सिंह ने नियम 267 के तहत एक नोटिस दे कर कामकाज निलंबित करने और गोवा के घटनाक्रम पर चर्चा करने की मांग की थी। लेकिन आसन ने इससे यह कहकर इंकार कर दिया था कि राज्यपाल के आचरण पर समुचित प्रस्ताव के तहत ही चर्चा की जा सकती है. कांग्रेस के आनंद शर्मा ने भाजपा पर ‘‘छल से :जनादेश की: हरण” करने का आरोप लगाया. हालांकि कानून एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि ‘‘लोकतंत्र की हत्या” शब्दों को कार्यवाही से हटा दिया जाना चाहिए। उनकी बात का कांग्रेस एवं वाम सहित अन्य विपक्षी दलों से विरोध किया. माकपा के तपन कुमार सेन ने कहा कि ‘‘लोकतंत्र की हत्या” शब्द असंसदीय नहीं हैं और इन्हें कार्यवाही से नहीं हटाया जाना चाहिए. प्रसाद ने कहा कि कांग्रेस की अंदरुनी समस्या का दोष राज्यपाल पर नहीं मढना चाहिए.

जदयू के शरद यादव ने सिंह के प्रस्ताव पर शीघ्र विचार किए जाने की मांग का समर्थन करते हुए कहा कि बृहस्पतिवार और शुक्रवार को यह मुद्दा उठाये जाने पर ऐसा संकेत दिया गया था कि कि इसे सोमवार को लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि विलंब होने पर इसकी प्रासंगिकता खत्म हो जाएगी. कुरियन ने कहा ‘‘अगर प्रस्ताव दिया गया है तो उसके लिए एक प्रक्रिया होती है. सभापति को प्रस्ताव की स्वीकार्यता पर विचार करना होता है.” उन्होंने यह भी कहा कि वह सदस्यों की भावना से सभापति को अवगत करा देंगे. संसदीय कार्य राज्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि आसन यह तय करता है कि प्रस्ताव को स्वीकार किया जाए या नहीं और अगर स्वीकार किया जाए तो कौन से नियम के तहत स्वीकार किया जाए.

विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि प्रस्ताव को आज दोपहर दो बजे चर्चा के लिए लिया जाना चाहिए. कुरियन ने कहा कि प्रस्ताव पर फैसले के बारे में सूचना सदस्यों को दे दी जाएगी.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें