नयी दिल्ली : पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा को मिले प्रचंड बहुमत के बाद रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर और भाजपा सांसद योगी आदित्यनाथ भले ही गोवा और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बना दिये गये हों, लेकिन जुलाई में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव तक ये दोनों संसद की सदस्यता से इस्तीफा नहीं देंगे. इसके साथ ही, उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री के कार्यभार संभालने वाले केशव प्रसाद मौर्य भी राष्ट्रपति के चुनाव होने तक सांसद बने रहेंगे.
गोवा के मुख्यमंत्री का कार्यभार संभालने वाले मनोहर पर्रिकर राज्यसभा के सांसद हैं और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री बनने वाले योगी आदित्यनाथ और केशव प्रसाद मौर्य गोरखपुर और फूलपुर के सांसद हैं. इसके अलावा उत्तर प्रदेश के दूसरे मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा पहले लखनऊ के मेयर थे और उन्होंने पहले ही अपने पद से इस्तीफा दे दिया था.
सांसद से मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री बने इन भाजपा के नेताओं के के पास अभी छह महीने का समय है. बताया जा रहा है कि ये तीनों नेता और संसद के सदस्य आगामी सितंबर महीने तक इस्तीफा दे सकते हैं. हालांकि, राष्ट्रपति का चुनाव जुलाई में होना तय है. भाजपा के एक वरिष्ठ सदस्य का कहना है कि मनोहर पर्रिकर, योगी आदित्यनाथ और केशव प्रसाद मौर्य को छह महीने में राज्य सदन में निर्वाचित होना होगा और चुने जाने के 14 दिनों के अंदर लोकसभा या राज्यसभा से इस्तीफा देना होगा. कोई जल्दी नहीं है, तो उप-चुनाव में जाने की अपेक्षा हमारे पास दूसरे गंभीर मुद्दे हैं.
वहीं, भाजपा के सूत्रों ने बताया कि अभी पार्टी का ध्यान राष्ट्रपति चुनाव पर है, क्योंकि हाल के विधानसभा चुनावों में मिली बड़ी सफलता के बाद अगला राष्ट्रपति पार्टी की पसंद का होगा. योगी और मौर्य के पास सदन के एक निर्वाचन क्षेत्र के अलावा विधान परिषद से भी उप-चुनाव लड़ने का विकल्प है, क्योंकि उत्तर प्रदेश में दो सदन हैं. योगी से पहले मुख्यमंत्री रहे अखिलेश यादव और मायावती परिषद के ही सदस्य थे, क्योंकि उन्होंने विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ा था.
योगी भी लोकसभा से इस्तीफा देने की जल्दी में नहीं हैं और पार्टी के कई विधायक उन्हें अपनी सीट से चुनाव लड़ने का प्रस्ताव दे रहे हैं. उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह के बेटे फतेह बहादुर सिंह योगी के लिए अपने निर्वाचन क्षेत्र कैंपियरगंज की सीट छोड़ने के लिए तैयार हैं.