नयी दिल्ली : देश के कई हिस्सों में विभिन्न जातियों को पिछड़ा वर्ग में शामिल करने की मांग के बीच केंद्र सरकार ने बड़ा कदम उठाया है. यदि यह कानून बना तो अब संसद की मंजूरी के बाद ही ओबीसी सूची में बदलाव होगा. इसी कड़ी में केंद्रीय कैबिनेट ने सामाजिक व शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्ग के लिए राष्ट्रीय आयोग (एनसीएसइबीसी) के गठन को गुरुवार को मंजूरी दी. आयोग को संवैधानिक दर्जा प्राप्त होगा. इससे संबंधित विधेयक संसद में पेश किया जायेगा. इसमें एक अध्यक्ष, एक उपाध्यक्ष व तीन अन्य सदस्य होंगे. राष्ट्रीय आयोग को ओबीसी वर्ग की शिकायतें को सुनेगा. इसके साथ ही कैबिनेट ने राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (एनसीबीसी) को भंग कर दिया है. राष्ट्रीय आयोग के गठन के वास्ते संविधान में संशोधन कर अनुच्छेद 338बी जोड़ा जायेगा.
अनुच्छेद 341 व 342 में 342 ए को जोड़ते हुए प्रावधान होगा कि केंद्र की ओबीसी सूची में जाति का नाम जोड़ने अथवा हटाने के लिए संसद की मंजूरी लेना आवश्यक होगा. अनुच्छेद 366 में 26सी प्रावधान को जोड़ते हुए देश में सामाजिक व आर्थिक तौर पर पिछड़े लोगों की परिभाषा तय की जायेगी.
फैसले की वजह !
नये फैसले से सरकार पर विभिन्न जातियों को आरक्षण मुहैया कराने को लेकर दबाव कम होगा. इसे संसद के हवाले कर सरकार ने सभी दलों को फैसले में भागीदार बना दिया है. इसी साल अंत में गुजरात में विधानसभा चुनाव होने हैं. पटेल समुदाय आरक्षण की मांग को लेकर लंबे समय से आंदोलरत है.