ओलावृष्टि से फसलों को हुए नुकसान के अंतिम प्रतिवेदन तत्काल भेजें:डिसा

भोपाल : मध्यप्रदेश सरकार ने राज्य के सभी जिला कलेक्टरों और संभागीय आयुक्तों को आदेश दिए हैं कि वे गत पखवाड़े हुई बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि के कारण फसलों को हुई क्षति का प्रारंभिक आकलन करने के पश्चात अपने-अपने जिलों से अंतिम प्रतिवेदन 10 मार्च तक मुख्य सचिव को उपलब्ध करवाएं. एक आधिकारिक विज्ञप्ति में […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 7, 2014 12:55 PM

भोपाल : मध्यप्रदेश सरकार ने राज्य के सभी जिला कलेक्टरों और संभागीय आयुक्तों को आदेश दिए हैं कि वे गत पखवाड़े हुई बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि के कारण फसलों को हुई क्षति का प्रारंभिक आकलन करने के पश्चात अपने-अपने जिलों से अंतिम प्रतिवेदन 10 मार्च तक मुख्य सचिव को उपलब्ध करवाएं.

एक आधिकारिक विज्ञप्ति में यहां कहा गया है कि यह आदेश मुख्य सचिव अंटोनी डिसा ने कल वीडियो कान्फ्रेंस के माध्यम से सभी संभागीय आयुक्तों से चर्चा कापे के बाद दी. उन्होंने इस दौरान कई जिला कलेक्टरों से फसलों की क्षति के संबंध में किए गए प्रारंभिक आकलन पर बातचीत भी की. डिसा ने कहा कि वास्तविक नुकसान के आधार पर अंतिम प्रतिवेदन तैयार कर 10 मार्च तक उपलब्ध करवाया जाए ताकि केंद्र सरकार को राज्य में हुए फसलों के नुकसान के संबंध में ज्ञापन शीघ्र सौंपा जा सके.

मुख्य सचिव ने कलेक्टरों को निर्देश दिए हैं कि जनहानि और पशुहानि के मामलों में प्रभावित परिवारों को तत्काल आवश्यक सहायता देने की कार्यवाही पूरी की जाए. उन्होंने कहा कि जिलों से प्राप्त प्रारंभिक सर्वेक्षण की जानकारी संकलित की जा चुकी है. डिसा ने बताया कि 10 मार्च तक प्राप्त अंतिम प्रतिवेदन के बाद राज्य की ओर से ज्ञापन तैयार किया जाएगा. इसके लिए जिलों में वास्तविक नुकसान का सर्वेक्षण एवं अध्यनन करके एकत्र की गई जानकारी केंद्र से आवश्यक सहायता राशि प्राप्त करने में मददगार होगी.

मुख्य सचिव ने बताया कि केंद्रीय अध्ययन दल भी शीघ्र ही राज्य का दौरा कर फसलों के नुकसान की जानकारी प्राप्त करेगा. प्रमुख सचिव राजस्व आर के चतुर्वेदी ने कलेक्टरों से निर्धारित प्रपत्र में सभी जानकारियां भेजने को कहा. उन्होंने श्रेणीकरण स्पष्ट रुप से करने के निर्देश दिए. चतुर्वेदी ने कहा कि वीडियो कान्फ्रेंस में जानकारी दी गई कि मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के अंतर्गत पचास प्रतिशत से अधिक फसल नुकसान वाले कृषक परिवारों को सामूहिक विवाह के स्थान पर घर से संपन्न होने वाले विवाह के लिए भी आवश्यक लाभ दिया जाएगा.

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