राजधानी और तेजस एक्सप्रेस में लगेगा बहु-स्तरीय फायर अलार्म प्रणाली
नयी दिल्ली : रेलवे राजधानी एक्सप्रेस और आगामी तेजस एक्सप्रेस जैसी प्रमुख नदियों में एक आधुनिक, उच्च स्तरीय अग्नि संसूचन एवं प्रतिक्रिया प्रणाली लगाएगा. इस प्रणाली के लग जाने के बाद यदि ट्रेन में आग से जुड़ी कोई दुर्घटना होती है तो एक तय स्तर से ज्यादा धुंआ उठने पर ब्रेक अपने आप लग जाएंगे […]
नयी दिल्ली : रेलवे राजधानी एक्सप्रेस और आगामी तेजस एक्सप्रेस जैसी प्रमुख नदियों में एक आधुनिक, उच्च स्तरीय अग्नि संसूचन एवं प्रतिक्रिया प्रणाली लगाएगा. इस प्रणाली के लग जाने के बाद यदि ट्रेन में आग से जुड़ी कोई दुर्घटना होती है तो एक तय स्तर से ज्यादा धुंआ उठने पर ब्रेक अपने आप लग जाएंगे और ट्रेन रुक जाएगी. इसके बाद प्रभावित डिब्बे में घोषणा हो जाएगी और हूटर बजने लगेंगे.
ट्रेनों में सुरक्षा बढ़ाते हुए रेलवे उन सभी एसी डिब्बों को अग्नि संसूचन पूर्व चेतावनी प्रणाली (अर्ली फायर डिटेक्शन वानिंर्ग सिस्टम) से लैस करेगा, जिनका इस्तेमाल रात भर के सफर के लिए किया जाता है. रेल मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इसके अलावा सभी पावर कारों, पैंटरी कारों, विशेष सेवाओं के लोकोमोटिव को भी हाई-प्रेशर, वॉटर-मिस्ट फायर सप्रेशन सिस्टम से लैस किया जाएगा ताकि आग लगने की स्थिति में महंगे उपकरणों को बचाया जा सके.
आग लगने से जुड़ी सूचना के पूर्व में ही मिल जाने पर अफरा-तफरी का माहौल टाला जा सकता है, जान-माल के नुकसान को रोका जा सकता है और सेवाओं में आने वाली बाधा को न्यूनतम किया जा सकता है. पारंपरिक धुंआ संसूचन प्रणाली में, प्रतिक्रिया का समय धीमा होता है, अलार्म देर से बजते हैं और तेज हवा की स्थिति में संसूचन की दर कमजोर होती है. इसके अलावा धूल-मिट्टी के चलते भी इनका प्रदर्शन प्रभावित होता है.
अधिकारी ने कहा कि सभी हमसफर ट्रेनों को अग्नि संसूचन प्रणाली से लैस किया जा रहा है. केंद्रीय निरीक्षण तंत्र पावर कार में रहेगा. सभी डिब्बों में लगी अग्नि संसूचन प्रणाली को पावर कार में मौजूद केंद्रीय निरीक्षण तंत्र से जोड़ा जाएगा, जहां तकनीकी कर्मचारी मौजूद होंगे. केंद्रीय निरीक्षण तंत्र (सीएमएस) की स्क्रीन पर सभी डिब्बों की मूल पहचान संख्या दिखाई देगी. इसके अलावा अलार्म का स्तर और धुंए के स्तर का चित्रण दिखाई देगा.
इस प्रणाली को बहु स्तरीय अलार्म के लिए तैयार किया गया है. इसे जरुरतों के मुताबिक प्रोग्राम किया जा रहा है. यदि किसी डिब्बे में धुंए का स्तर बढ़ता है तो सीएमएस में फ्लैशर लाइट जल जाएगी और तकनीकी कर्मियों को पता चल जाएगा कि कौन सा डिब्बा प्रभावित हो सकता है. इन कर्मियों को यह जांचना होगा कि क्या वाकई उस डिब्बे में आग लगने की आशंका है? यदि धुंए का स्तर और बढकर स्तर-2 तक पहुंच जाता है तो प्रभावित डिब्बे में फ्लैशर लाइट जल जाएगी और सीएमएस में फ्लैशर लाइट के साथ हूटर बजने लगेगा. इससे तकनीकी कर्मियों को त्वरित कार्रवाई करनी होगी.
यदि धुंए का स्तर बढ़कर स्तर-3 तक पहुंचता है तो स्वत: ही ब्रेक लग जाएंगे. हूटर के बाद प्रभावित डिब्बे में 55 सेकेंड के बाद घोषणा हो जाएगी. प्रभावित डिब्बे में होने वाली यह घोषणा यात्रियों को बताएगी कि इस डिब्बे में आग लगने की आशंका है. यह बताएगी कि ब्रेक लगा दिए गए हैं और गाड़ी रुक जाएगी. यात्रियों को घबराने की जरुरत नहीं है और वे ट्रेन रुक जाने पर सुरक्षित उतर सकते हैं. आगामी तेजस ट्रेनों में भी ये प्रणालियां लगाई जाएंगी.