केरल के पादरी का फरमान, चर्च आने के समय स्कर्ट नहीं पहनें
तिरुवंनंतपुरम: केरल के इडुकी जिले के एक पादरी ने लड़कियों और महिलाओं के लिए अजीबोगरीब फरमान जारी किया है. पादरी ने अपने फरमान में मां-बाप को बच्चों को पालने केे तौर-तरीकों को लेकर भी सलाह दी है. पादरी ने उन लड़कियों को स्कर्ट नहीं पहनने को कहा है, जो चर्च आती हैं. मीडिया में आयी […]
तिरुवंनंतपुरम: केरल के इडुकी जिले के एक पादरी ने लड़कियों और महिलाओं के लिए अजीबोगरीब फरमान जारी किया है. पादरी ने अपने फरमान में मां-बाप को बच्चों को पालने केे तौर-तरीकों को लेकर भी सलाह दी है. पादरी ने उन लड़कियों को स्कर्ट नहीं पहनने को कहा है, जो चर्च आती हैं. मीडिया में आयी खबर के मुताबिक पादरी ने इसे लेकर बजाप्ता पत्र जारी किया है.
पत्र में पादरी ने कहा है कि जो लड़कियां और महिलाएं चर्च आती हैं, वह घुटनों से ऊपर तक की ड्रेस न पहनें. उन्होंने इसे चर्च की धार्मिक भावनाओं की दृष्टि से जरूरी बताया है. उनकी अपील खास कर उन महिलाओं के लिए हे, जो चर्च जाने या धार्मिक आयोजनाें में हिस्सा लेने के लिए स्पेशल ड्रेस रखती हैं.
पादरी मार मैथ्यू सायरो मलाबार चर्च से जुड़े हैं. इस चर्चा के आधिकारिक प्रवक्ता ने कहा कि वेटिकन में भी महिलाओँ के लिए ड्रेस कोड तय है. उनके मुताबिक पादरी का निर्देश लड़कियों की सुरक्षा के लिहाज से अच्छा है. पादरी ने वैवाहिक जीवन चुनने के पहले युवाओं से पवित्रता का पालन करने की भी अपील की है. पदारी ने कहा है कि कई ईसाई युवा बगैर पवित्रता का शादीशुदा जीवन चुनते हैं. यही वजह होती है उनके विश्वास में कमी रहती है.
पादरी ने बच्चों को लेकर भी सलाह दी है. उन्होंने कहा है कि बच्चों को भौतिक सुख के पीछे भागने के लिए प्रेरित नहीं किया जाना चाहिए. अभिभावकों को चाहिए कि वे फेसबुक, वॉट्सऐप जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के इस्तेमाल को सीमित करें. पादरी मार मैथ्यू ने बच्चों को बड़ा करने के तरीकों भी बताये हैं.
उन्होंने अपने पत्र में लिखा है कि मां-बाप को अपने बच्चों को ऐसा संस्कार दें, ताकि वह चर्च और पदारी का सम्मान करें. उन्हें चाहिए कि वह अपने बच्चों को चर्च का सम्मान करने और उसकी अथॉरिटी की बात मानने की शिक्षा दें. जल्द मां बनने वाली औरतें चर्च की प्रार्थना में हिस्सा लें और अपने बच्चे को जन्म के आठ दिनों के भीतर दीक्षा दिलवाएं. बड़े जश्न के नाम पर इस कार्यक्रम को संपन्न करने में हफ्तों-महीनों का समय न लगाएं.पादरी ने मां-बाप से अपने बच्चों को ईसाई नाम देने के लिए भी कहा. बच्चों के पुकार के नाम भी ईसाई होने चाहिए. बच्चों के सामने पादरियों और ननों को किसी बात के लिए दोष नहीं दिया चाहिए.