राजमार्गो पर शराबबंदी : कुछ राज्य चाहते हैं राजमार्गोको बदलना, कुछ चाहते हैं अदालत से छूट

नयी दिल्ली : राजमार्गो पर शराब की बिक्री पर रोक के उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद होटल-रेस्तरांओं की चिंताओं और राजस्व नुकसान की आशंकाओं के बीच कई राज्य राजमार्गोको गैर-अधिसूचित करने जैसे कदमों पर विचार कर रहे हैं, वहीं दूसरे राज्य छूट के लिए अदालत जाने के बारे में सोच रहे हैं. केंद्रीय सडक, […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 4, 2017 9:59 PM

नयी दिल्ली : राजमार्गो पर शराब की बिक्री पर रोक के उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद होटल-रेस्तरांओं की चिंताओं और राजस्व नुकसान की आशंकाओं के बीच कई राज्य राजमार्गोको गैर-अधिसूचित करने जैसे कदमों पर विचार कर रहे हैं, वहीं दूसरे राज्य छूट के लिए अदालत जाने के बारे में सोच रहे हैं. केंद्रीय सडक, परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के अधिकारियों ने आज कहा कि उन्हें कुछ राज्यों से इस तरह के कई अनुरोध मिले हैं कि राष्ट्रीय राजमार्गोको जिला मार्ग में बदल दिया जाए ताकि राजस्व को बचाया जा सके.

वहीं अदालत में जाने पर विचार कर रहे राज्यों में गोवा भी है जिसके मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर ने कहा कि उनकी सरकार इस संबंध में उचित स्पष्टीकरण के लिए उच्चतम न्यायालय जाने पर विचार कर रही है और राज्य के लिए संभवत: कुछ विशेष तरह से विचार करने की मांग कर सकती है.
केरल भी राजमार्गो पर शराब की बिक्री को रोकने के आदेश को लागू करने के संबंध में समय मांगने के लिए उच्चतम न्यायालय जाने पर विचार कर रहा है. इस बीच छत्तीसगढ सरकार ने उन राज्यों की आबकारी नीति का अध्ययन करने के लिए 11 सदस्यीय समिति का गठन किया है जहां शराब प्रतिबंधित है या उसे निगरानी में बेचा जा रहा है.राजस्थान में कुछ मार्गोको गैर-अधिसूचित किया गया है लेकिन अधिकारियों ने कहा कि उसका अदालत के आदेश से कोई लेनादेना नहीं है.
दिल्ली में सडक, परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के अधिकारी मुश्किल में हैं जिन्हें राष्ट्रीय राजमार्गोको गैर-अधिसूचित करने के अनुरोध प्राप्त हुए हैं जबकि केंद्र ने इस तरह के मार्गोकी लंबाई मौजूदा करीब एक लाख किलोमीटर से दो लाख किलोमीटर करने की योजना बना रखी है.
मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, ‘‘सडक परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय को राज्यों से इस तरह के कई अनुरोध प्राप्त हुए हैं कि उनके कुछ राष्ट्रीय राजमार्गोके हिस्से को गैर-अधिसूचित किया जाए ताकि वे उन्हें जिला मार्गोमें बदल सकें.” अधिकारी के मुताबिक मंत्रालय को केंद्रशासित प्रदेश दमन से लिखित अनुरोध प्राप्त हुआ है कि एनएच के उसके यहां से गुजर रहे कुछ हिस्सों को अधिसूचना से बाहर किया जाए क्योंकि राज्य के राजस्व में शराब की बडी हिस्सेदारी है.
उन्होंने कहा कि पंजाब, तेलंगाना, केरल, गोवा और हरियाणा जैसे कुछ राज्यों ने भी इस तरह के अनुरोध किया हैं लेकिन लिखित में अभी उनसे अनुरोध प्राप्त नहीं हुए हैं. पंजाब सरकार ने कहा कि उसने सात राज्य राजमार्गोके कुछ हिस्सों को गैर-अधिसूचित किया है और उन्हें शहर के मार्गोके रुप में बदल दिया है. पंजाब और राजस्थान की सरकारों ने कहा कि ये गैर-अधिसूचित मार्ग बायपास वाले हिस्से हैं.
इस बीच गुरुग्राम में हरियाणा के आबकारी और कराधान विभाग ने 43 शराब की दुकानों को फिर से कारोबार की अनुमति दे दी है. उच्चतम न्यायालय के पाबंदी के आदेश के मद्देनजर इन दुकानों को राजमार्ग से 500 मीटर की दूरी के दायरे से बाहर ले जाया गया है. साइबर हब, सेक्टर 29 में स्थित कई पब और बार तथा लीला, ट्राइडेंट, ओबेरॉय और वेस्टिन जैसे बडे होटल एनएच-8 से नजदीकी की वजह से शराब नहीं बेच पा रहे हैं.
कई होटल कारोबारियों का आरोप है कि हरियाणा के आबकारी विभाग की मापने की तकनीक विश्वसनीय नहीं हैं. राजमार्गोपर शराब की दुकानों और नशे में गाडी चलाने के खिलाफ अभियान चलाने वाले हरमन सिद्धू ने चंडीगढ में कहा कि उन्हें धमकी भरे फोन आते रहते हैं और इनमें कोई नई बात नहीं है.
केरल सरकार ने आज कहा है कि वह उच्चतम न्यायालय से कुछ वक्त मांगेगी. सरकार का कहना है कि राज्य की विशेष परिस्थिति को देखते हुए यह कदम उठाया गया है. राज्य के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन, आबकारी मंत्री जी सुधाकरण और आबकारी आयुक्त सहित कई शीर्ष अधिकारियों के साथ हुई बैठक में समय मांगने के लिए उच्चतम न्यायालय जाने का फैसला किया गया है. छत्तीसगढ सरकार ने व्यावसायिक कर विभाग के सचिव अशोक अग्रवाल की अध्यक्षता में 11 सदस्यीय समिति बनाने की योजना बनाई है जो उन राज्यों की आबकारी नीति का अध्ययन करेगी जहां शराब प्रतिबंधित है या निगरानी में बेची जा रही है. समिति के सदस्य गुजरात और बिहार का भी दौरा करेंगे जहां पूरी तरह शराबबंदी है. केंद्र सरकार ने राज्यों के 57,500 किलोमीटर लंबे मार्गोको राष्ट्रीय राजमार्ग में बदलने की सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है.
उच्चतम न्यायायालय ने 31 मार्च के अपने आदेश में कहा था कि राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गों के 500 मीटर के दायरे में स्थित शराब की दुकानों को एक अप्रैल से बंद किया जाए . आदेश में सिक्किम, मेघालय और हिमाचल प्रदेश सहित उन इलाकों को छूट दी गयी है, जिनकी आबादी 20,000 तक है.

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