एचआरडी रैकिंग पर उठते सवाल

नयी दिल्ली : मानव संसाधन विकास मंत्रालय की तरफ से जारी होने वाले वार्षिक राष्ट्रीय रैंकिंग में ज्यादा भागीदारी की जरुरत है ताकि लोगों के समक्ष ‘‘विश्वसनीय” तस्वीर पेश की जा सके. यह सुझाव शिक्षाविदों ने दी है. राजग सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना -नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआईआरएफ) को कल मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 4, 2017 10:23 PM

नयी दिल्ली : मानव संसाधन विकास मंत्रालय की तरफ से जारी होने वाले वार्षिक राष्ट्रीय रैंकिंग में ज्यादा भागीदारी की जरुरत है ताकि लोगों के समक्ष ‘‘विश्वसनीय” तस्वीर पेश की जा सके. यह सुझाव शिक्षाविदों ने दी है.

राजग सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना -नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआईआरएफ) को कल मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावडेकर ने जारी किया था. छह श्रेणियों के तहत जारी सूची में जहां आईआईएससी बेंगलुरु, कई आईआईटी और आईआईएम शीर्ष दस संस्थानों में शामिल हुए वहीं महत्वपूर्ण संस्थानों के बजाए कुछ ‘‘औसत दर्जे” के कॉलेजों के सूची में आने से ‘‘आश्चर्य” हुआ.
सेंट स्टीफंस, रामजस और हिंदू कॉलेज सहित दिल्ली विश्वविद्यालय के कुछ महत्वपूर्ण कॉलेजों ने प्रक्रिया में हिस्सा नहीं लिया वहीं आत्मा राम सनातन धर्म कॉलेज को एलएसआर कॉलेज और कोलकाता के सेंट जेवियर से उपर श्रेणी में स्थान दिया गया है.
दिल्ली के जिन अन्य प्रतिष्ठित संस्थानों ने आवेदन नहीं किया था उनमें हंसराज, किरोडीमल, जीसस एंड मेरी, कमला नेहरु, श्री गुरु तेग बहादुर खालसा, दौलत राम कॉलेज और गार्गी कॉलेज प्रमुख हैं. इस बार कुल 2995 संस्थानों ने रैंकिंग में हिस्सा लिया जबकि पिछली बार 3563 कॉलेजों ने भागीदारी की थी.शिक्षाविदों ने कहा कि ज्यादा संस्थानों की भागीदारी से विश्वसनीय तस्वीर सामने आएगी.
दिल्ली विश्वविद्यालय के एक वरिष्ठ प्रोफेसर ने कहा, ‘‘पिछले संस्करण में रैंकिंग मानकों में कुछ खामियां थीं लेकिन सरकार ने इस वर्ष उसमें सुधार किया है. बहरहाल अगर प्रमुख संस्थान इसमें शिरकत नहीं करते हैं तो निश्चित रुप से उनकी रैंकिंग का निर्णय किया जाएगा जिन्होंने इसमें हिस्सा लिया है लेकिन यह स्पष्ट तस्वीर पेश नहीं करता.” उन्होंने कहा, ‘‘कोई स्कूली छात्र जो एक दो वर्षों में कॉलेज में जाएगा, अगर वह सूची देखता है तो वह एएसआरडी कॉलेज के लिए संघर्ष करेगा और स्टीफन को ‘नकार’ देगा. यह कितना भ्रामक है?
किरोडी मल कॉलेज के कार्यवाहक प्राचार्य दिनेश खट्टर ने कहा, हम प्रक्रिया का हिस्सा बनना पसंद करते लेकिन राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद् (एनएएसी) के निरीक्षण में व्यस्त थे और आवेदन के लिए काफी काम करना पडता. हम अगले वर्ष से आवेदन करेंगे.” एचआरडी मंत्रालय के अधिकारियों ने एनआईआरएफ के तहत कडे नियमों को भागीदारी में कमी का कारण बताया.
एचआरडी मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया, ‘‘रैंकिंग में भाग लेने वालों के लिए काफी कडे मानक हैं. संस्थानों को आधारभूत संरचना की उपलब्धता, विकास योजनाओं आदि के बारे में हलफनामा पेश करना होता है.” उन्होंने कहा, ‘‘कम भागीदारी का यह कारण हो सकता है. साथ ही एनआईआरएफ के तहत विश्लेषण के लिए मांगे गए आंकडे कई संस्थान नहीं रखते, इसलिए आने वाले समय में वे भागीदारी कर सकते हैं.”

Next Article

Exit mobile version