सर्वे में हुआ खुलासा,बांग्लादेश में पत्नी को पीटना जायज

ढाका: पिछले कुछ दशकों में हुए महिला सशक्तिकरण के लिए भले ही बांग्लादेश की तारीफ की जा रही हो लेकिन देश के ज्यादातर पुरुषों का मानना है कि पत्नी को पीटना जायज है.संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या निधि (यूएनएफपीए) और ढाका की संस्था आईसीडीडीआर’बी ने अपने संयुक्त अध्ययन में पाया कि ग्रामीण क्षेत्रों के 89 प्रतिशत पुरुष […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 8, 2014 5:44 PM

ढाका: पिछले कुछ दशकों में हुए महिला सशक्तिकरण के लिए भले ही बांग्लादेश की तारीफ की जा रही हो लेकिन देश के ज्यादातर पुरुषों का मानना है कि पत्नी को पीटना जायज है.संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या निधि (यूएनएफपीए) और ढाका की संस्था आईसीडीडीआर’बी ने अपने संयुक्त अध्ययन में पाया कि ग्रामीण क्षेत्रों के 89 प्रतिशत पुरुष मानते हैं कि पति को यह अधिकार है कि गलती करने पर वह पत्नी की पिटाई कर सके. तमाम अखबारों में आज प्रकाशित इस रिपोर्ट में कहा गया है कि शहरी क्षेत्रों में निवास करने वाले 83 प्रतिशत लोग भी यही मानते हैं.

सिर्फ इतना ही नहीं शहरों में रहने वाले 93 प्रतिशत जबकि ग्रामीण क्षेत्र के 98 प्रतिशत पुरुष यह मानते हैं कि ‘मर्द’ बनने के लिए कठोर होना जरुरी है. गांवों में 65 प्रतिशत और शहरों के 50 प्रतिशत पुरुषों का विचार है कि परिवार को बचाने के लिए महिलाओं को ज्यादती बर्दाश्त करना जरुरी होता है. आईसीडीडीआर’बी ने शहरों और गांवों में 2,400 लोगों से इस संबंध में बातचीत की.

अध्ययन से यह बात भी सामने आयी है, ज्यादातर पुरुष मानते हैं कि परिवार के स्तर पर फैसला करने का हक सिर्फ उनके पास होना चाहिए. बांग्लादेश ने मातृमृत्यु दर को तेजी से कम करके और सबसे अधिक संख्या में बच्चियों को स्कूल भेजकर संयुक्त राष्ट्र की ओर से निर्धारित सहस्राब्दि विकास लक्ष्यों को पाया था.

बांग्लादेश में 1991 से बनी सरकारों की प्रमुख महिलाएं रही हैं और इसे अकसर महिला सशक्तिकरण के संकेतक के रुप में देखा जाता रहा है. पिछले कुछ दशकों में बांग्लादेश में महिलाओं को पुलिस सहित अन्य सिविल सेवाओं, सेना और प्रशासन में भी शामिल किया है.

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