आरटीआइ से पति के वेतन का ब्योरा जुटा रहीं महिलाएं
नयी दिल्ली : राइट-टू- इंफॉर्मेशन यानी सूचना का अधिकार का इस्तेमाल पत्नियां अब पतियों की कमाई जानने के लिए कर रही हैं. इसके लिए पत्नियां जहां पतियों के नियोक्ताओं से उनके वेतन की जानकारी मांग रही हैं, वहीं आकर विभाग से रिटर्न की कॉपी उपलब्ध कराने का अनुरोध कर रही हैं. हालांकि ऐसे ज्यादातर मामले […]
नयी दिल्ली : राइट-टू- इंफॉर्मेशन यानी सूचना का अधिकार का इस्तेमाल पत्नियां अब पतियों की कमाई जानने के लिए कर रही हैं. इसके लिए पत्नियां जहां पतियों के नियोक्ताओं से उनके वेतन की जानकारी मांग रही हैं, वहीं आकर विभाग से रिटर्न की कॉपी उपलब्ध कराने का अनुरोध कर रही हैं. हालांकि ऐसे ज्यादातर मामले या तो वैसे दंपतियों से जुड़े होते हैं, जो किसी कारण से अलग हो गये हैं या फिर ऊंची सोसाइटी के हैं. कई मामलों में तो केंद्रीय सूचना आयोग भी मानवीय आधार पर पत्नियों की मदद कर रहा है.
दरअसल, सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 ऐसी सूचना को सार्वजनिक करने की अनुमति नहीं देता है, जो निजी हैं. वेतन, भत्ता और आयकर रिटर्न भी इसी श्रेणी में आते हैं. यह थर्ड-पार्टी सूचना है और इसे सार्वजनिक करने के पूर्व उस व्यक्ति की राय या सहमति जरूरी होती है. अगर थर्ड-पार्टी खुद से जुड़ी ऐसी कोई सूचना किसी को देने से लिखित ताैर पर मना कर देता है, तब लोक सूचना प्राधिकारी को यह सुनिश्चित करना होता है कि वह उसे सार्वजनिक करे या नहीं. इसी आधार पर केंद्रीय सूचना आयोग ने मानवीय आधार पर फैसला करते हुए कहा कि टैक्स रिटर्न से जुड़ी सामान्य जानकारी मुहैया करायी जानी चाहिए.
सरकार और सरकारी क्षेत्र के उपक्रमों वाले विभिन्न लोक प्राधिकार में पतियों के वेतन का ब्योरा मांगने वाले आवेदनों की भरमार है. एक खबर के मुताबिक एयर इंडिया, जो कि सरकारी एयरलाइंस है, के कई अधिकारियों और कर्मचारियों की पत्नियों ने अपने पति के वेतन के बारे में जानकारी मांगी और उन्हें यह जानकारी उपलब्ध करायी भी गयी.
जानकारों के मुताबिक ऐसे ज्यादातर आवेदन वैसी महिलाओं के होते हैं, तो किसी कारण से अपने पति से अगल हो चुकी होती हैं या पति से कानूनी लड़ाई लड़ रही होती हैं. वे ऐसी सूचनाओं को पक्के सबूत के तौर पर अदालत में पेश करने की मंशा रखती हैं. तलाक और बच्चों के भरण-पोषण की मांग करने वाली विवाहित महिलाएं भी इसी मंशा से आरटीआई का इस रूप में इस्तेमाल कर रही हैं.