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मुजफ्फरनगर दंगा : आरटीआई में हुआ खुलासा, 800 अभियुक्तों की अब भी नहीं हुई गिरफ्तारी

नयी दिल्ली : उत्तरप्रदेश के मुजफ्फरनगर एवं उससे लगे क्षेत्रों में हुए दंगों में लूट, आगजनी और बलात्कार के 567 मामले दर्ज किये गए, 1531 अभियुक्तों के विरुद्ध आरोप सिद्ध हुए, 581 लोगों की गिरफ्तारी हुई, 130 लोगों ने न्यायालय के समक्ष आत्मसमर्पण किया लेकिन करीब 800 अभियुक्तों को अभी भी गिरफ्तार नहीं किया जा […]

नयी दिल्ली : उत्तरप्रदेश के मुजफ्फरनगर एवं उससे लगे क्षेत्रों में हुए दंगों में लूट, आगजनी और बलात्कार के 567 मामले दर्ज किये गए, 1531 अभियुक्तों के विरुद्ध आरोप सिद्ध हुए, 581 लोगों की गिरफ्तारी हुई, 130 लोगों ने न्यायालय के समक्ष आत्मसमर्पण किया लेकिन करीब 800 अभियुक्तों को अभी भी गिरफ्तार नहीं किया जा सका है.

सूचना का अधिकार के तहत राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से प्राप्त जानकारी के अनुसार, ‘‘इन दंगों में चल संपत्ति के नुकसान के 546 मामलों में से 542 मामलों में 2.14 करोड़ रुपये की राशि का भुगतान किया गया और अचल सम्पत्ति के नुकसान के 63 मामलों में 64.12 लाख रुपये दिये गए. ” आरटीआई के तहत प्राप्त जानकारी के अनुसार, उत्तरप्रदेश के जिला मुजफ्फरनगर, शामली एवं अन्य क्षेत्रों में साम्प्रदायिक दंगों में हुई लूट, आगजनी, बलात्कार के 567 मामले दर्ज किये गए थे. इन 567 मामलों में से अकेले मुजफ्फरनगर में ही 534 मामले, शामली में 27 मामले तथा बागपत, मेरठ और सहारनपुर में दो..दो मामले दर्ज किये गए.

चूंकि एक प्रकार के अपराध के लिए अनेक मामले दर्ज किये गए थे, अत: अंतिम रुप से मामलों की कुल संख्या 510 थी. इन मामलों में अभियुक्तों के रुप में 6406 लोगों का नाम था. 2791 व्यक्तियों के विरुद्ध आरोप सिद्ध नहीं हो पाए और जांच के दौरान 12 अभियुक्तों की मौत हो गई. मुजफ्फरनगर एवं इससे लगे क्षेत्र में हुए दंगों के संबंध में आयोग से प्राप्त जानकारी के अनुसार, इन मामलों में 1531 अभियुक्तों के विरुद्ध आरोप सिद्ध हुए थे. इनमें से 581 लोगों की गिरफ्तारी हुई थी और 130 लोगों ने न्यायालय के समक्ष आत्मसमर्पण किया. 852 अभियुक्तों के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किए गए तथा 607 अभियुक्तों के खिलाफ अपराध दंड संहिता की धारा 82 के तहत कार्यवाही प्रारंभ की गई.
आयोग से मिली जानकारी के अनुसार, साल 2016 के अंत तक इन मामलों में 802 अभियुक्तों को गिरफ्तार किया जाना बाकी था और उनकी गिरफ्तारी के प्रयास किये जा रहे हैं. इन दंगों के सिलसिले में 300 अभियुक्तों के मामलों में अदालत से अपराध दंड संहिता की धारा 83 के तहत आदेश प्राप्त करने के बाद 150 अभियुक्तों के विरुद्ध कुर्की की कार्यवाही की गई। 453 अभियुक्तों के विरुद्ध आरोपपत्र दायर किया गया. 93 मामलों में 175 अभियुक्तों के विरुद्ध अंतिम रिपोर्ट पेश की गई.
सूचना के अधिकार के तहत मुरादाबाद स्थित आरटीआई कार्यकर्ता सलीम बेग ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से मुजफ्फरनगर, शामली एवं अन्य क्षेत्रों में साम्प्रदायिक दंगों में हुई लूट, आगजनी, बलात्कार के अपराधों और इन मामलों में की गई कार्रवाई का ब्यौरा मांगा था. इसके साथ ही पीडितों को मिले मुआवजे की भी जानकारी मांगी गई थी.
सामूहिक बलात्कार के पांच मामलों में से प्रत्येक पीडिता को 5..5 लाख रुपये की राशि का भुगतान किया गया. राज्य सरकार द्वारा 35 मृतकों में से पहचाने गए 31 लोगों के परिजनों को 13..13 लाख रुपये की वित्तीय सहायता दी गई. इस दौरान मारे गए पत्रकार राजेश वर्मा के परिवार को 15 लाख रुपये की वित्तीय सहायता दी गई. इसके अलावा कावल गांव के मृतकों के परिवारों को 10 लाख रुपये की राशि दी गई.
आरटीआई के तहत प्राप्त जानकारी के अनुसार, एक मृतक जिसकी पहचान बाद में हुई, उसे प्रधानमंत्री राहत कोष से 1.5 लाख रुपये के भुगतान हेतु प्रस्ताव भेजा गया है. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से प्राप्त जानकारी के अनुसार, गंभीर रुप से घायल 14 व्यक्तियों में से प्रत्येक के लिए 1..1 लाख रुपये की राशि दी गई जिसमें से राज्य सरकार द्वारा 50 हजार रुपये और प्रधानमंत्री राहत कोष से 50 हजार रुपये शामिल हैं. मामूली रुप से घायल 27 लोगों में से प्रत्येक को 20..20 हजार रुपये की राशि का भुगतान किया गया.

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