जर्मनी की तर्ज पर चला भारत, बड़े होटलों में खाना की मात्रा तय करेगी मोदी सरकार
नयी दिल्ली : देश के प्रमुख उद्योगपति रतन टाटा जब कारोबार के सिलसिले में जर्मनी गये, तो उन्हें वहां के एक होटल में खाना लेकर जिल्लत झेलनी पड़ी थी. भारत के होटलों में होने वाले खाने की बर्बादी को लेकर उन्होंने ट्वीटर पर भी इस बात का जिक्र भी किया था कि जर्मनी के होटलों […]
नयी दिल्ली : देश के प्रमुख उद्योगपति रतन टाटा जब कारोबार के सिलसिले में जर्मनी गये, तो उन्हें वहां के एक होटल में खाना लेकर जिल्लत झेलनी पड़ी थी. भारत के होटलों में होने वाले खाने की बर्बादी को लेकर उन्होंने ट्वीटर पर भी इस बात का जिक्र भी किया था कि जर्मनी के होटलों में अन्न की बर्बादी करने पर उन्हें किस तरह महिलाओं के गुस्से का शिकार होना पड़ा था. इसके साथ ही अभी हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपने ‘मन की बात’ में ‘खाने की बर्बादी’ को रोकने की अपील की थी. अब केंद्रीय खाद्य आपूर्ति मंत्रालय इस दिशा में एक कदम आगे बढ़ाते हुए यह तय करना चाहता है कि देश के बड़े होटलों और रेस्टूरेंटों में कितना खाना परोसा जाये.
मीडिया में आ रही खबरों के अनुसार, सरकार देश के बड़े होटलों और रेस्टोरेंटों के लिए एक प्रश्नावली तैयार कर रही है, जिसमें उन्हें यह बताने को कहा जायेगा कि वे ग्राहकों को कितनी मात्रा में खाना परोसें. रिपोर्ट में खाद्य आपूर्ति मंत्री राम विलास पासवान की ओर कहा गया है कि यदि एक व्यक्ति केवल 2 प्रॉन खा सकता है, तो उसे छह क्यों परोसें? यदि एक आदमी केवल दो इडली खा सकता है, तो उसे चार क्यों सर्व किया जाये? यह खाने और लोगों के पैसों की बर्बादी है. लोग उस खाने के भी पैसे देते हैं, जिसे वे खा नहीं पाते.
पासवान ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खाने की बर्बादी को लेकर चिंतित हैं. हम एक बैठक (संबंधित पक्षों की) बुला रहे हैं. हम होटलों को निर्देश जारी करेंगे. हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि सरकार का यह दिशा-निर्देश ‘स्टैंडर्ड होटल्स’ के लिए होगी, ढाबा के लिए नहीं.
बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी ने देशवासियों से खाना बर्बाद न करने की अपील की है. उन्होंने कहा था कि लोग खाना बर्बाद न करें करें, थाली में जूठन न छोड़ें. हम उतना ही खाना लें, जितना खा सकें.