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श्री श्री ने किया यमुना का सत्यानाश, खर्च होंगे 42 करोड़ रुपये

नयी दिल्ली : श्री श्री रवि शंकर की संस्था ‘आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन’ की ओर से आयोजित कार्यक्रम की वजह से दिल्ली में यमुना नदी के किनारे बाढ़ग्रस्त इलाके को हुए भारी नुकसान को दुरुस्त करने में करीब 42 करोड़ रुपये का खर्च आयेगा. इतना ही नहीं, इसे दुरुस्त करने में करीब दस साल लग […]

नयी दिल्ली : श्री श्री रवि शंकर की संस्था ‘आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन’ की ओर से आयोजित कार्यक्रम की वजह से दिल्ली में यमुना नदी के किनारे बाढ़ग्रस्त इलाके को हुए भारी नुकसान को दुरुस्त करने में करीब 42 करोड़ रुपये का खर्च आयेगा.

इतना ही नहीं, इसे दुरुस्त करने में करीब दस साल लग जायेंगे. आर्ट ऑफ लिविंग के 35 साल पूरे होने के मौके पर पिछले साल 11 से 13 मार्च के बीच तीन दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने नुकसान की जांच के लिए जल संसाधन मंत्रालय के सचिव शशि शेखर की अध्यक्षता में विशेषज्ञों की एक कमेटी गठित की थी. कमेटी में नेशनल एनवायरनमेंट इंजीनियरिंग इंस्टीट्यूट के प्रो सीआर बाबू, प्रो एके गोसैन, प्रो बृज गोपाल और दो अन्य सदस्य शामिल थे.

कमेटी ने एनजीटी को सौंपी गयी रिपोर्ट में कहा है कि यमुना के डूब क्षेत्र में पनपने वाली जैव विविधता हमेशा के लिए गायब हो गयी है. इस जमीन को पुराने स्वरूप में वापस लाने की जरूरत है. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि सबसे ज्यादा नुकसान उस जगह को पहुंचा है, जहां पर रविशंकर ने अपना विशालकाय स्टेज लगवाया था. विशेषज्ञ समिति के मुताबिक, ‘ऐसा अनुमान है कि यमुना नदी के पश्चिमी भाग (दायें तट) के बाढ़ क्षेत्र के करीब 120 हेक्टेयर (करीब 300 एकड़) और नदी के पूर्वी भाग (बायें तट) के करीब 50 हेक्टेयर (120 एकड़) बाढ़ क्षेत्र पारिस्थितिकीय तौर पर प्रतिकूल रूप से प्रभावित हुए हैं.’

पांच करोड़ का लगा था दंड

कार्यक्रम का पर्यावरण से जुड़े कार्यकर्ताओं ने भारी विरोध किया था और इसकी शिकायत एनजीटी से की थी. एनजीटी ने ऑर्ट ऑफ लिविंग को कार्यक्रम की अनुमति तो दी थी, लेकिन फाउंडेशन पर पांच करोड़ का अंतरिम जुर्माना भी लगाया था. इसके बाद चार सदस्यों वाली एक समिति ने सिफारिश की थी कि फाउंडेशन को यमुना नदी के बाढ़ क्षेत्र को हुए नुकसान से पुनर्वास लागत के तौर पर 100-120 करोड़ रुपये का भुगतान करना चाहिए.

रिपोर्ट पक्षपातपूर्ण : संस्था

श्री श्री रविशंकर की संस्था ने कहा है कि कमेटी की रिपोर्ट की कॉपी उसे दिये बगैर मीडिया को लीक कर दी गयी. यह पक्षपातपूर्ण है. सात सदस्यीय कमेटी का अध्यक्ष ऐसे व्यक्ति को बनाया गया था, जो विशेषज्ञ नहीं हैं. साथ ही कमेटी ने कोई वैज्ञानिक आधार के बगैर ही नुकसान का आकलन कर दिया. यह मामला न्यायालय के विचाराधीन है. ऐसे में कमेटी कि रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं करना चाहिए था.

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