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पाकिस्तान में कुलभूषण को बचाने की अपील कर रहा है AIR

नयी दिल्ली : पाकिस्तान में भारतीय सेना के पूर्व अधिकारी कुलभूषण जाधव को पिछले दिनों कथित जासूसी के आरोप में वहां की कोर्ट ने फांसी की सजा सुनायी. पाक के इस कुकृत्‍य का भारत ने कड़ाई से विरोध किया है. भारत में जाधव के समर्थन में और पाकिस्‍तान के विरोध में संसद से लेकर सड़क […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 13, 2017 9:50 AM

नयी दिल्ली : पाकिस्तान में भारतीय सेना के पूर्व अधिकारी कुलभूषण जाधव को पिछले दिनों कथित जासूसी के आरोप में वहां की कोर्ट ने फांसी की सजा सुनायी. पाक के इस कुकृत्‍य का भारत ने कड़ाई से विरोध किया है. भारत में जाधव के समर्थन में और पाकिस्‍तान के विरोध में संसद से लेकर सड़क तक विरोध हो रहे हैं.

भारत सरकार ने भी साफ कह दिया है कि जाधव को बचाने के लिए भारत सरकार कुछ भी करने के लिए तैयार है इसे लेकर अंतरराष्ट्रीय कोर्ट भी जाने को तैयार है. विदेश मंत्री सुषमा स्‍वराज ने संसद में कहा था कि अगर पाकिस्‍तान जाधव को फांसी देता है तो इसे उसकी सोची-समझी कार्रवाई मानी जाएगी और इसका खामियाजा उसे भुगतना पड़ेगा. पाकिस्‍तान के साथ कूटनीतिक रिश्तों पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ेगा.

इधर जाधव की रिहाई के लिए ऑल इंडिया रेडियो ने भी कमर कस लिया है और विदेश सेवा प्रभाग के जरिये प्रसारण भी कर रहा है. गौरतलब हो कि ऑल इंडिया रेडियो का विदेश सेवा प्रभाग रोजाना सात कार्यक्रमों का प्रसारण करता है. ये कार्यक्रम पाकिस्तान और अफगानिस्तान को ध्यान में रखकर प्रसारित किया जाता है. ये प्रसारण छह भाषाओं (पश्‍तो,बलूची,पंजाबी,उर्दू,सिंधी और सरायकी) में किया जाता है. इन कार्यक्रमों को लोग काफी पसंद भी करते हैं.
एआईआर ने सोमवार से जाधव को लेकर प्रसारण आरंभ किया है. इस प्रसारणों में जाधव के समर्थन में काफी ठोस दलिलें दी जा रही हैं. मंगलवार को प्रसारित एक बुलेटिन में कहा गया, मुसाफिर के साथ अल्लाह की महदर्दी होती है. अल्लाह की ताकत उसकी सफर में उसको राह दिखाती है. मुसाफिर का कत्ल करना या उसे नुकसान पहुंचाना इस्लाम में गुनाह माना गया है.
एआईआर के डायरेक्टर जनरल फैयाज शहरयार ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि हम अपने प्रसारणों में यह बताने की कोशिश कर रहे हैं कि यह सजा इस्लाम की शिक्षा के खिलाफ है. उन्‍होंने बताया कि अपने प्रसारण में पाकिस्तानी आवाम से यह अपिल भी किया जा रहा है कि इस्लाम विरोधी इस फैसला का कडा़ई विरोध करें.

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