जाधव को बचाने के लिए एक्टिव मोड में भारत, मांगी फैसले की प्रति और राजनयिक पहुंच

नयी दिल्ली : भारत ने अपने नागरिक कुलभूषण जाधव के खिलाफ दायर आरोप पत्र और मौत की सजा के फैसले की प्रमाणित प्रति मांगी है तथा जाधव तक राजनयिक पहुंच प्रदान करने को कहा है. इस्लामाबाद में भारतीय उच्चायुक्त गौतम बम्बावाले ने आज जाधव के मामले के संदर्भ में पाकिस्तानी विदेश सचिव तहमीना जांजुआ से […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 14, 2017 6:23 PM

नयी दिल्ली : भारत ने अपने नागरिक कुलभूषण जाधव के खिलाफ दायर आरोप पत्र और मौत की सजा के फैसले की प्रमाणित प्रति मांगी है तथा जाधव तक राजनयिक पहुंच प्रदान करने को कहा है. इस्लामाबाद में भारतीय उच्चायुक्त गौतम बम्बावाले ने आज जाधव के मामले के संदर्भ में पाकिस्तानी विदेश सचिव तहमीना जांजुआ से मुलाकात की . पाकिस्तान की एक सैन्य अदालत ने कथित जासूसी को लेकर जाधव को मौत की सजा सुनाई है. बम्बावाले ने बताया, ‘‘मैंने आरोप पत्र और कुलभूषण जाधव को सुनाई गई मौत की सजा के फैसले की एक प्रमाणित प्रति देने के लिए कहा है.’

उन्होंने कहा, ‘‘उन्होंने राजनयिक पहुंच के हमारे आग्रह को 13 बार :पिछले एक साल में: मना कर दिया. मैंने पाकिस्तानी विदेश सचिव से फिर आग्रह किया कि जाधव तक राजनयिक पहुंच प्रदान की जाए ताकि हम अपील कर सकें.’ नई दिल्ली में सूत्रों ने कहा कि राजनयिक पहुंच के अलावा भारत पाकिस्तान के कानूनी तंत्र के तहत आने वाले वैध उपाय भी तलाशेगा जिसमें सैन्य अदालत के फैसले के खिलाफ जाधव के परिवार की ओर से अपील दायर करना भी शामिल है. पाकिस्तान के वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों ने जाधव को सुनाई गई मौत की सजा के मामले पर कल कोई ‘समझौता’ नहीं करने का फैसला किया.
सेना प्रमुख जनरल कमर बाजवा की अध्यक्षता में आज हुई कोर कमांडरों की बैठक में यह फैसला किया गया.जाधव को ‘जासूसी और विध्वंसक गतिविधियों’ का दोषी करार देते हुए फील्ड जनरल कोर्ट मार्शल ने मौत की सजा सुनाई और जनरल बाजवा ने इस सजा की पुष्टि की. पाकिस्तान का दावा है कि उसके सुरक्षा बलों ने पिछले साल तीन मार्च को बलूचिस्तान प्रांत से जाधव को गिरफ्तार किया था जो ईरान की सीमा से कथित तौर पर दाखिल हुआ है. विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने चेतावनी दी है कि जाधव को फांसी देना ‘सुनियोजित हत्या’ होगी और पाकिस्तान को द्विपक्षीय संबंधों पर पडने प्रभावों के बारे में सोचना चाहिए.
अजीज ने कहा, ‘‘मैं भारत से पूछना चाहता हूं कि कुलभूषण जाधव खुद को मुसलमान बताते हुए फर्जी पहचान पत्र का इस्तेमाल क्यों कर रहा था? कोई बेकसूर आदमी दो पासपोर्ट क्यों रखेगा, जिसमें एक हिंदू नाम हो और दूसरा मुस्लिम नाम हो? नौसेना का कमांडर बलूचिस्तान में क्या कर रहा था, इस बारे में भारत के पास कोई विश्वसनीय स्पष्टीकरण नहीं है.
ऐसे में उसने दुष्प्रचार अभियान शुरु कर दिया है.’ उन्होंने कहा, ‘‘पूर्वनियोजित हत्या और बलूचिस्तान में अशांति जैसे भडकाउ बयानबाजी से सिर्फ तनाव बढेगा और इससे कोई मकसद पूरा नहीं होगा. विदेश मामलों के सलाहकार ने कहा, ‘‘हम आशा करते हैं कि भारत जिम्मेदारी के साथ व्यवहार करेगा और ऐसे बयान जारी करने से बचेगा जिनसे लोगों के बीच शत्रुता बढे.
भारत-पाकिस्तान संबंधों में बढता संकट और अधिक गंभीर हो जाए, उससे पहले इसके समाधान के लिए और अधिक सक्रिय कूटनीति की जरुरत है.’ सुनवाई का ब्यौरा देते हुए अजीज ने कहा कि आठ अप्रैल, 2016 को प्राथमिकी दर्ज किए जाने के बाद जाधव का इकबालिया बयान रिकॉर्ड किया गया. शुरुआती पूछताछ दो मई को की गई और 22 मई को विस्तृत पूछताछ हुई. 12 जुलाई को इस मामले में संयुक्त जांच दल का गठन किया गया.
पाकिस्तान की दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 164 के तहत 22 जुलाई को इकबालिया बयान दर्ज किया गया और 24 सितम्बर को सबूत रिकॉर्ड किए गए. अजीज ने कहा कि जाधव को अपना बचाव करने के लिए एक योग्य वकील मुहैया करया गया था. उन्होंने कहा कि जाधव 40 दिनों के भीतर सैन्य न्यायाधिकरण के फैसले के खिलाफ सैन्य अपीली अदालत में अपील कर सकता है. वह सेना प्रमुख के समक्ष अपीली अदालत के फैसले के खिलाफ 60 दिनों में अपील दायर कर सकता है. अजीज ने कहा कि जाधव याचिकाएं खारिज होने की स्थिति में 90 दिनों के भीतर पाकिस्तान के राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका भी दे सकता है.

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