ओड़िशा में भाजपा राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक कल से, ध्यान 2019 के आम चुनाव पर

नयी दिल्ली : उत्तर प्रदेश में 15 साल बाद सत्ता में वापसी करने के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अब उन राज्यों पर ध्यान केंद्रित करेगी, जहां यह पारंपरिक रुप से कमजोर रही है, लेकिन जो वर्ष 2019 लोकसभा चुनाव में उसका चुनावी भाग्य तय करने में अहम हैं. पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 14, 2017 10:50 PM

नयी दिल्ली : उत्तर प्रदेश में 15 साल बाद सत्ता में वापसी करने के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अब उन राज्यों पर ध्यान केंद्रित करेगी, जहां यह पारंपरिक रुप से कमजोर रही है, लेकिन जो वर्ष 2019 लोकसभा चुनाव में उसका चुनावी भाग्य तय करने में अहम हैं. पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक शनिवार से ओड़िशा में शुरू हो रही है. पश्चिम बंगाल सहित पूर्वी राज्यों में मजबूती हासिल करना अब भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की प्राथमिकता में शीर्ष पर है. शाह के अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नये क्षेत्रों में पार्टी के प्रसार पर जोर देने का आह्वान करने की संभावना है.

शहर में पहुंचने के बाद शाह ने बाबा साहेब भीम राव आंबेडकर को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की और बाद में प्रदेश पार्टी सहकर्मियों के साथ ओड़िया नववर्ष मनाने में शामिल हुए. भाजपा ने उनका स्वागत करने के लिए एक मोटरसाइकिल रैली भी की. उन्हें 74 ‘विजय पुष्पों’ की एक माला भी पेश की गयी, जो 147 सदस्यीय ओड़िशा विधानसभा में बहुमत के आंकड़े का प्रतीक है. भाजपा की योजना मोदी के यहां आने पर एक रोड शो करने की भी है. हवाई अड्डे से लेकर राजभवन तक कई स्थानों पर उनका अभिनंदन करने की संभावना है. प्रधानमंत्री राजभवन में ही ठहरेंगे. केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने मोदी सरकार की गरीब समर्थक नीतियों के लिए ओड़िशा को एक प्रयोगशाला कहा है. दरअसल, प्रधान ने कार्यकारिणी की बैठक शुरू होने से एक दिन पहले राज्य सरकार को आड़े हाथ लिया है.

मोदी ब्रिटिश शासन के खिलाफ ओड़िशा में 1817 के विद्रोह से जुड़े 16 परिवारों के सदस्यों को भी सम्मानित करेंगे. भाजपा की दलितों तक पहुंच को बढ़ाना जारी रखते हुए पार्टी ने अपनी कार्यकारिणी की बैठक के आयोजन स्थल का नाम प्रख्यात ओड़िया कवि एवं सुधारक भीमा भोई के नाम पर रखा है. राज्य के मतदाताओं में दलित 17 फीसदी हैं और वे कभी भी भगवा पार्टी के पारंपरिक मतदाता नहीं रहे हैं. हालांकि, पार्टी अब उन्हें पूरी ताकत से रिझाने का प्रयास कर रही है.

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