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तमिलनाडु में अछूत हो गये आंबेडकर?

चेन्नई : भारत के संविधान के निर्माता और संविधान के जरिये देश में सबको समान अधिकार देनेवाले बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर तमिलनाडु के रामनाथपुरम जिले में ‘अछूत’होगये हैं?बाबा की जयंती पर आयोजित होनेवाले कार्यक्रमों को लेकर रामनाथपुरम जिले की पुलिस ने कई तरह की पाबंदियां और शर्तें लगा दीं, जिससे विवाद खड़ा हो गया है. […]

चेन्नई : भारत के संविधान के निर्माता और संविधान के जरिये देश में सबको समान अधिकार देनेवाले बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर तमिलनाडु के रामनाथपुरम जिले में ‘अछूत’होगये हैं?बाबा की जयंती पर आयोजित होनेवाले कार्यक्रमों को लेकर रामनाथपुरम जिले की पुलिस ने कई तरह की पाबंदियां और शर्तें लगा दीं, जिससे विवाद खड़ा हो गया है. पुलिस ने कहा कि आंबेडकर जयंती का आयोजन उन क्षेत्रों में नहीं होगा, जहां किसी अन्य समुदाय के लोग रहते हों. ऐसे क्षेत्रों और मुहल्लों में न झंडे-बैनर लगाये जायेंगे, न लाउडस्पीकर बजेंगे.

मामला तब गरम हो गया, जब सामाजिक कार्यकर्ता पीबी प्रिंस गजेंद्र बाबू ने स्थानीय थाना के पुलिस इंस्पेक्टरकी चथीराकुडी गांव के लोगों के साथ हुए पत्र व्यवहार के बारे में तमिलनाडु अनटचैबिलिटी इरैडिकेशन फ्रंट (तमिलनाडु अस्पृश्यता उन्मूलन मोरचा) को अवगत कराया.

गजेंद्र बाबू ने बताया कि ग्रामीणों ने कार्यक्रम के आयोजन की अनुमति मांगी, तो इंस्पेक्टर गुनाशेखरन ने सात शर्तें रख दीं. कहा कि आंबेडकर को श्रद्धांजलि देने और मिठाई का वितरण करने के बाद उनकी तसवीरों को तत्काल हटा लेंगे, लाउडस्पीकर का इस्तेमाल नहीं करेंगे, समस्याग्रस्त इलाकों में किसी प्रकार के खेल का आयोजन नहीं करेंगे, नये झंडे नहीं लगेंगे, झंडोत्तोलन के लिए नये पोल नहीं लगायेंगे, किसी प्रकार के बोर्ड, पॉर्ट्रेट या फेस्टून का इस्तेमाल नहीं करेंगे, न फ्लेक्स बोर्ड लगायेंगे, बिना अनुमति लिये कोई आम सभा या रैली नहीं करेंगे. इतना ही नहीं, अन्य समुदाय के लोग जिन इलाकों में रहते हैं, वहां किसी प्रकार का कार्यक्रम नहीं करेंगे.

तमिलनाडु अस्पृश्यता उन्मूलन मोरचा के जिला सचिव एन कलाईरासन ने कहा कि वर्षों से आंबेडकर जयंती पर विभिन्न आयोजन होते रहे हैं. यह पहला मौका है, जब मेन्नेंधी, मुथुवयाल और चथीराकुडी जैसे गांवों में पुलिस ने आयोजन के लिए कई शर्तें रखी हैं. कलाईरासन ने जब पुलिस अधिकारियों से संपर्क किया, तो उन्हें बताया गया कि आयोजन की अनुमित मांगनेवाले सभी लोगों और संगठनों को ऐसा ही नोटिस दिया गया है. उन्होंने इसकी वजह जाननी चाही, तो अधिकारियों ने बताया कि उन्हें ऊपर से ऐसे आदेश मिले हैं.

प्रिंस ने सवाल किया कि यदि आंबेडकर की प्रतिमा को उस इलाके में नहीं रख सकते, जहां उनके समुदाय के लोग नहीं रहते, इसका मतलब तो यही हुआ कि आंबेडकर अछूत हैं. उन्होंने कहा कि क्या विडंबना है कि एक ओर देश की सभी पार्टियों के नेता डॉ आंबेडकर को श्रद्धांजलि दे रहे हैं, भारत सरकार उनकी जन्म शताब्दी वर्ष मना रही है. वहीं, तमिलनाडु की पुलिस बाबा साहेब को अपमानित कर रही है. प्रिंस ने राज्य सरकार से मांग की है कि वह इस बात की जांच कराये कि स्थानीय पुलिस ने जो दिशा-निर्देश जारी किये हैं, उसमें गृह सचिव, पुलिस महानिदेशक और जिला के पुलिस कप्तान की रजामंदी है या नहीं.

प्रिंस ने कहा कि यदि यह आदेश ऊपर से आये हैं, जैसा कि पुलिसवाले कह रहे हैं, तो सरकार को ऐसा आदेश जारी करनेवाले अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए. ऐसे अफसरों को अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (अत्याचार रोकथाम) अधिनियम के तहत मुकदमा चलाना चाहिए. इतना ही नहीं, राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को भी इस मामले में स्वत: संज्ञान लेना चाहिए.

उधर, विवाद बढ़ने पर चथीराकुडी थाना के इंस्पेक्टर गुनाशेखरन ने सफाई दी कि रामनाथपुरम में जारी जातीय तनाव के कारण ऐसा आदेश जारी करना पड़ा. उन्होंने कहा, ‘आंबेडकर की प्रतिमा या तसवीर से छेड़छाड़ के कारण हमने कई बार तनाव की स्थिति बनते देखी है. यदि आयोजन के दौरान कुछ गड़बड़ी हो जाये, तो यह जिला या राज्य तक सीमित नहीं रह जायेगी. आंबेडकर हमारे राष्ट्रीय हीरो हैं. उनसे जुड़ी हर बात की प्रतिक्रिया देश में ही नहीं, विदेश में भी होती है.’

उधर, एसपी मनीवन्नन ने कहा कि पुलिस लाउडस्पीकर बजाने की अनुमति नहीं दे रही है, ताकि किसी प्रकार के सांप्रदायिक तनाव से बचा जा सके. आंबेडकर जयंती के मद्देनजर ऐसा कोई विशेष आदेश जारी नहीं किया गया है. वहीं, रामनाथपुरम रेंज के डीआइजी कपिल कुमार सरतकर ने कहा कि रामनाथपुरम संवेदनशील जिला है, जहां आये दिन जातिगत विवाद होते रहते हैं. इसलिए पुलिस ने एहतियातन यह कदम उठाया है.

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