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पाकिस्तान और जाधव पर क्या कहते हैं पूर्व रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर

पणजी: पूर्व रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने पाकिस्तान की तुलना एक मशहूर कहावत खाली डिब्बे सबसे ज्यादा शोर करते हैं से करते हुए उसे खारिज किया और कहा कि पडोसी मुल्क पाकिस्तान को व्यस्त रहने के लिए कुछ न कुछ चाहिए होता है. पर्रिकर का यह बयान भारतीय नागरिक कुलभूषण को पाकिस्तान की एक सैन्य […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 15, 2017 3:35 PM

पणजी: पूर्व रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने पाकिस्तान की तुलना एक मशहूर कहावत खाली डिब्बे सबसे ज्यादा शोर करते हैं से करते हुए उसे खारिज किया और कहा कि पडोसी मुल्क पाकिस्तान को व्यस्त रहने के लिए कुछ न कुछ चाहिए होता है. पर्रिकर का यह बयान भारतीय नागरिक कुलभूषण को पाकिस्तान की एक सैन्य अदालत की ओर से मौत की सजा सुनाई जाने की पृष्ठभूमि में आया है.

पूर्व रक्षा मंत्री एंव वर्तमान में गोवा के मुख्यमंत्री पर्रिकर ने डीडी न्यूज में साक्षात्कार के दौरान पाकिस्तान के बारे में एक प्रश्न के उत्तर में कहा, कोंकण भाषा और हिन्दी में एक कहावत है जिसका मतलब है कि खाली डिब्बे सबसे ज्यादा शोर करते हैं. जो वह (पाकिस्तान)कहते हैं हमें उस पर ज्यादा ध्यान नहीं देना चाहिए.
उन्होंने कहा, पाकिस्तान को व्यस्त रहने के लिए कुछ न कुछ चाहिए होता है. वह खतरनाक खेल खेल रहा है. पाकिस्तान खुद को भले ही कैसा भी दिखाए, लेकिन उसे समझना चाहिए कि यदि भारत ने जवाबी कार्रवाई शुरु की तो उसके पास मुकाबला करने की ताकत नहीं है. उन्होंने कहा, लेकिन हम शांतिप्रिय हैं. हम उकसावा नहीं चाहते, इसलिए उन्हें जाधव को वापस भेज देना चाहिए. उन्होंने कहा, पहले उन्होंने जाधव का अपहरण किया. वह पाकिस्तान में नहीं थे. वह ईरान में थे.
ईरान ने कहा है कि तालिबान ने उनका अपहरण किया और वह उन्हें पाकिस्तान ले गया. पाकिस्तान की कुछ न कुछ करने की आदत है. पर्रिकर ने कहा कि विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने उचित जवाब दिया है कि यदि जाधव को पाकिस्तान फांसी पर लटकाता है, तो भारत चुप नहीं बैठेगा.
उन्होंने कहा,वे परमाणु ताकत के इस्तेमाल की बात करते थे लेकिन सर्जिकल स्ट्राइक के बाद उन्होंने वे बातें करना बंद कर दीं. मुझे उम्मीद है कि वह समझ गए होंगे कि वह हमें ब्लैकमेल नहीं कर सकते क्योंकि भारत के पास उनसे लोहा लेने की शक्ति है. पाकिस्तान और चीन जैसे पडोसी मुल्कों के साथ संबंधों पर उन्होंने कहा, नरम रणनीति हैं और कठोर शक्ति का इस्तेमाल भी. यह पहली बार हुआ है. उन्होंने कहा कि रक्षा मंत्री के उनके कार्यकाल के दौरान देश की सैन्य ताकत बढाने के लिए अनेक कदम उठाए गए थे.

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