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निम्न और मध्यम आय वर्ग के देशों में होती हैं सबसे ज्यादा सड़क दुर्घटनाएं

भारत में सड़क दुर्घटना गंभीर समस्या बनती जा रही है. देश में हर तीन मिनट में सड़क दुर्घटना में एक शख्स की मौत हो रही है. विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जारी रिपोर्ट में सड़क दुर्घटना को लेकर कुछ चौकाने वाले रिपोर्ट है. भारत में हर साल पांच लाख से ज्यादा सड़क हादसे होते हैं.रिपोर्ट के […]

भारत में सड़क दुर्घटना गंभीर समस्या बनती जा रही है. देश में हर तीन मिनट में सड़क दुर्घटना में एक शख्स की मौत हो रही है. विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जारी रिपोर्ट में सड़क दुर्घटना को लेकर कुछ चौकाने वाले रिपोर्ट है. भारत में हर साल पांच लाख से ज्यादा सड़क हादसे होते हैं.रिपोर्ट के मुताबिक सड़क दुर्घटना गंभीर समस्या बनती जा रही है. दुर्घटना के शिकार लोगों के आकस्मिक निधन से घरवालों को नुकसान झेलना पड़ता है.यह नुकसान कभी इतना ज्यादा होता है कि एक परिवार अपने जीवन काल में इस सदमे से बाहर नहीं आ सकता. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 2015 में कुछ चौंकाने वाले आंकड़े दिये हैं.

1.सड़क दुर्घटना में मरने वालों में सबसे ज्यादा 15-29 वर्ग के युवा शामिल है. जारी आंकड़े के मुताबिक सबसे ज्यादा युवाओं में आकस्मिक मौत की सबसे बड़ी वजह सड़क दुर्घटना है. वहीं दूसरे नंबर पर आत्महत्या की वजह से युवाओं की जान जाती है. दुनिया भर में हर साल करीब 3 लाख से ज्यादा युवाओं की जान सड़क दुर्घटना में जाती है.
2. कम और मध्यम आय वाले देश में सबसे ज्यादा सड़क हादसे होते हैं. इन देशों में सड़क हादसों की संख्या विकसित देशों की तुलना में दोगुनी है. ज्ञात हो कि सड़क दुर्घटना से गरीब देशों के जीडीपी का पांच प्रतिशत नुकसान होता है. 68 देशों में सड़क दुर्घटओं में वृद्धि हुई है वहीं 79 देशों में स़ड़क दुर्घटनाओं की प्रवृति में कमी देखी गयी है.
3.जनसंख्या में जहां चार प्रतिशत की वृद्धि हो रही है. वहीं वाहनों की संख्या में 16 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी है. सड़क दुर्घटनाओं के लिए ज्यादातर देश ब्रीथींग टेस्ट की पद्धति अपना रहे हैं. बीच सड़क में अचानक किसी राह चलते शख्स का ब्रीदिंग चेक किया जाता है. अगर व्यवासियक वाहन चला रहे शख्स शराब पीया हो तो दुर्घटना की संभावना बढ़ जाती है.
4. दुनिया के दस सबसे ज्यादा आबादी वाले देशों में सबसे ज्यादा दुर्घटनाएं होती है. यहां के कानून कमजोर पाये गये. भारत भी उन देशों में शामिल है. विकसित देशों में गाड़ियों में इलेक्ट्रानिक स्टेबलिटी कंट्रोल के इस्तेमाल को जरुरी बनाया गया है. वहीं निम्न आय वर्ग के देश में कंपनिया समान मॉडल की गाड़ियों में इस तकनीक का इस्तेमाल नहीं करती, इसके पीछे वहां का कमजोर कानून है.
5.विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट में सड़क दुर्घटना को लेकर कुछ निर्देश दिये गये है. इन निर्देशों में सड़क दुर्घटना से जुड़े कानून को मजबूत करना, स्पीड मैनेजमेंट, सड़क निर्माण में सुरक्षा कारक का ध्यान रखना जैसे उपायों को शामिल करने पर जोर दिया गया है.

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