हैदराबाद : मुसलिमों और अनुसूचित जातियों/अनुसूचित जनजातियों का कोटा बढ़ा कर उनका विकास करेंगे. इसके लिए हम किसी से भीख नहीं मांगेंगे. जरूरत पड़ी, तो सुप्रीम कोर्ट जायेंगे, लेकिन मुसलिमों और आदिवासियों को उनकी आबादी के अनुपात में आरक्षण का हक दिला कर रहेंगे. हमारे सांसद लोकसभा और राज्यसभा में इस मुद्दे को उठायेंगे.
रविवार को विधानसभा में इससे जुड़े एक विधेयक के पारित होने के बाद तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने ये बातें कहीं. उन्होंने कहा कि उनकी सरकार के इस फैसले से आरक्षित वर्ग के साथ हो रहा भेदभाव मिटेगा. हालांकि, उनहोंने यह भी कहा कि ऐसा नहीं है कि चीजें रातोंरात बदल जायेंगी, क्योंकि मुसलिमों और आदिवासियों के लिए आरक्षण का कोटा बढ़ाना एक विधायी प्रक्रिया है, जिसमें कई स्तर पर विचार-विमर्श होंगे. विधानसभा के फैसले से गृह मंत्रालय को अवगत कराया जायेगा. पूरा मसौदा वहां भेजा जायेगा. र यह विधि विभाग के पास जायेगा. इस निर्णय पर केंद्र के भी कुछ सवाल होंगे, जिसके जवाब हमें देने होंगे. केंद्र को हमें संतुष्ट करना पड़ेगा कि यह फैसला तर्कसंगत है.
यहां बताना प्रासंगिक होगा कि रविवार को तेलंगाना सरकार ने मुसलिमों के आरक्षण का कोटा 4 फीसदी से 12 फीसदी, आदिवासियों का कोटा 6 फीसदी से 10 फीसदी करने को मंजूरी दे दी. के चंद्रशेखर राव ने कहा कि इसे लागू करने में कई दिक्कतें आ सकती हैं, लेकिन हम यह सुनिश्चित करेंगे कि लोगों को इसका लाभ मिले.
तमिलनाडु की तर्ज पर पास किया बिल
मुख्यमंत्री ने कहा कि तेलंगाना विधानसभा ने तमिलनाडु विधानसभा की तर्ज पर यह बिल पास किया है और केंद्र सरकार राज्य के लोगों को आरक्षण के लाभ से वंचित नहीं कर सकती. उन्होंने कहा कि जरूरत पड़ी, तो सरकार सुप्रीम कोर्ट जायेगी और अपील करेगी कि वह केंद्र को निर्देश दे कि केंद्र जनता से किया गया वायदा पूरा की अनुमति राज्य सरकार को दे.
कोर्ट ने दिया है राज्यों को अधिकार
यह पूछे जाने पर कि संविधान 50 फीसदी से अधिक आरक्षण की अनुमति नहीं देता, राव ने सुप्रीम कोर्ट का हवाला दिया, जिसमें देश की शीर्ष अदालत ने कहा था कि कई परिस्थितियों में नियुक्ति या पद के सृजन में आरक्षण का कोटा 50 फीसदी से अधिक हो सकता है. एक अन्य फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि यदि राज्य सरकार चाहे, तो 50 फीसदी से ज्यादा आरक्षण दे सकती है.