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विजय माल्या को वापस लाने का पूरा प्रयास कर रही हैं भारतीय जांच एजेंसियां : जेटली

नयी दिल्ली : वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बुधवार को कहा कि जांच एजेंसियां विवादास्पद उद्योगपति विजय माल्या के प्रत्यर्पण के लिए अपनी ओर से सर्वश्रेष्ठ प्रयास कर रही हैं. माल्या को मंगलवार को लंदन में गिरफ्तार किया गया था. बाद में उन्‍हें जमानत मिल गयी थी. वित्त मंत्री ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘मुझे […]

नयी दिल्ली : वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बुधवार को कहा कि जांच एजेंसियां विवादास्पद उद्योगपति विजय माल्या के प्रत्यर्पण के लिए अपनी ओर से सर्वश्रेष्ठ प्रयास कर रही हैं. माल्या को मंगलवार को लंदन में गिरफ्तार किया गया था. बाद में उन्‍हें जमानत मिल गयी थी. वित्त मंत्री ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘मुझे लगता है कि सरकार और सभी जांच एजेंसियां अपनी ओर से सर्वश्रेष्ठ प्रयास कर रही हैं. एजेंसियों का मानना है कि कुछ अपराध किया गया है जिसके लिए माल्या को भारत लाने की जरुरत है.’

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उन्‍होंने कहा कि माल्या के प्रत्यर्पण (वापस लाने) के लिए कानूनी प्रकिया ब्रिटेन में की जानी है. ‘यह काम उस देश की न्यायिक प्रक्रिया का हिस्सा है. न्यायिक प्रक्रिया में कुछ निश्चित बातों पर ध्यान रखा जाता है.’

भारतीय अदालतों ने माल्या को वांछित अपराधी घोषित किया हुआ है. धोखाधड़ी के आरोपों में भारत के आग्रह पर माल्या को कल स्कॉटलैंड यार्ड पुलिस ने गिरफ्तार किया था. हालांकि, कुछ घंटे बाद ही उन्हें जमानत पर छोड़ दिया गया है. उन्‍हें अब 17 मई को वेस्टमिंस्टर के मजिस्ट्रेट की अदालत में पेश होना है.

कानून विशेषज्ञों की राय, माल्‍या का प्रत्‍यर्पण आसान नहीं

कानूनी विशेषज्ञों ने कहा है कि ऋण अदायगी नहीं करने वाले विवादित कारोबारी विजय माल्या का प्रत्यर्पण आसान नहीं रहने वाला है. वरिष्ठ वकील केटीएस तुलसी और दुष्यंत दवे का विचार है कि ब्रिटेन में अदालतें बहुत स्वतंत्र हैं और प्रत्यर्पण को आसानी से स्वीकृति नही देतीं.

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तुलसी ने कहा कि भारत सरकार ने माल्या के खिलाफ सबूत भेज दिये हैं और अदालतें स्वतंत्र रूप से इसका आकलन करेंगी कि क्या ये सबूत माल्या को वापस भेजे जाने की इजाजत देने के लिए पर्याप्त हैं. उन्होंने कहा कि जब प्रत्यपर्ण का आग्रह होता है तो आमतौर पर जमानत 60 दिनों के बाद मिलती है, लेकिन माल्या को गिरफ्तारी वाले दिन ही जमानत मिल गयी. दवे ने कहा कि वहां अदालतें स्वतंत्र हैं और प्रत्यर्पण की इजाजत आसानी से नहीं देती हैं.

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