नयी दिल्ली : राजनीतिक रुप से संवेदनशील बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में भाजपा के दिग्गज नेताओं लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती और अन्य वीवीआईपी पर जिन आरोपों में सुनवाई होनी है उनमें दो से पांच साल तक के कारावास की सजा का प्रावधान है. उच्चतम न्यायालय ने आपराधिक साजिश के अपराध को बहाल किया. यह आरोप इस मामले में उन पर लगे आरोपों में वास्तविक रुप से शामिल था.
उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता (भादंसं) के अपराधों के तहत सुनवाई होगी जिनमें धर्म आदि के आधार पर अलग अलग समूहों के बीच कथित रुप से वैमनस्य बढाना, राष्ट्रीय एकता के लिए नुकसानदेह बयान, टिप्पणियां करना और सार्वजनिक नुकसान वाले बयान देना शामिल है. इन अपराधों के लिए भादंसं में अधिकतम पांच साल के कारावास की सजा का प्रावधान है.
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धर्म का अपमान करने की मंशा से किसी धार्मिक स्थल को नुकसान पहुंचाने के आरोप में अधिकतम दो साल की सजा जबकि धर्म या धार्मिक विश्वास का अपमान करके किसी वर्ग की धार्मिक भावनाओं को चोट पहुंचाने की मंशा से द्वेषपूर्ण कृत्य में अधिकतम तीन साल के कारावास की सजा का प्रावधान है.
* जोशी ने की आडवाणी से मुलाकात
बाबरी मस्जिद विध्वंस कांड में उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद भाजपा नेता मुरली मनोहर जोशी ने पार्टी के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी से मुलाकात की. समझा जाता है कि दोनों नेताओं ने उच्चतम न्यायालय के आदेश पर चर्चा की.
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न्यायालय ने आडवाणी, जोशी और अन्य पर आपराधिक साजिश का मुकदमा चलाने के आदेश दिए. शीर्ष न्यायालय का आदेश दोनों नेताओं के लिए बड़े झटके के तौर पर देखा जा रहा है. आडवाणी और जोशी का नाम राष्ट्रपति एवं उप-राष्ट्रपति पद के लिए चर्चा में था.
जोशी आडवाणी के आवास पर गए और दोनों नेताओं की मुलाकात करीब 40 मिनट तक चली. समझा जाता है कि उन्होंने न्यायालय के आदेश के राजनीतिक एवं कानूनी प्रभावों पर चर्चा की.
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपने आवास पर पार्टी अध्यक्ष अमित शाह और केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली, राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी और एम वेंकैया नायडू के साथ इस मुद्दे पर चर्चा की.