बाबरी मामला : अदालती आदेश पर कदम फूंक-फूंक कर बढ़ना चाहती है भाजपा

नयी दिल्ली : बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले से भाजपा के हाशिये पर चले गये नेता चर्चा के केंद्र में आ गये हैं. लेकिन, पार्टी ने इस मामले में कदम फूंक-फूंक कर बढ़ने का निर्णय किया है. साथ ही पार्टी ने अपने नेताओं से मामले को सार्वजनिक तौर पर उठाने से […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 20, 2017 8:56 PM
नयी दिल्ली : बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले से भाजपा के हाशिये पर चले गये नेता चर्चा के केंद्र में आ गये हैं. लेकिन, पार्टी ने इस मामले में कदम फूंक-फूंक कर बढ़ने का निर्णय किया है. साथ ही पार्टी ने अपने नेताओं से मामले को सार्वजनिक तौर पर उठाने से बचने को कहा है. पार्टी के एक नेता ने बताया कि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने केंद्रीय मंत्री उमा भारती को अयोध्या की यात्रा की घोषणा के बाद उसे रद्द करने को भी कहा.
लाल कृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी के साथ उमा भारती के खिलाफ आपराधिक साजिश का मामला चलाया जायेगा. भाजपा ने उन खबरों को खारिज किया कि बुधवार रात अमित शाह ने आडवाणी से बात की थी. केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि यह मामला 1993 से चल रहा है. कोई नई स्थिति उत्पन्न नहीं हुई है. उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए जो स्थिति है, वह जारी रहेगी.’
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उन्होंने एक तरह से अदालती आदेश के बाद उमा भारती के इस्तीफ को खारिज कर दिया था और इन संभावनाओं को ‘काल्पनिक’ बताया था कि इसका राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनाव में उम्मीदवारों के चयन पर कोई प्रभाव पड़ेगा. भाजपा इस बात से खुश है कि राम मंदिर का मुद्दा एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है, लेकिन वह इस मामले को ज्यादा प्रमुखता देने के पक्ष में नहीं दिखती, जिसका निर्णय सुप्रीम कोर्ट को करना है. मामले की सुनवाई दो वर्षो में पूरी करनी है, जो हिंदुत्व के मुद्दे पर पार्टी को उपयुक्त लग रहा है, क्योंकि तब तक 2019 के लोकसभा चुनाव का समय हो जायेगा.
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लाल कृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी अभी भाजपा के ‘मार्गदर्शक’ मंडल में है. हालांकि, इसकी बैठक अभी नहीं हुई है. इन दोनों नेताओं ने इस विषय पर कुछ नहीं कहा. दोनों नेताओं ने बुधवार को मुलाकात की थी और समझा जाता है कि इन्होंने इसके राजनीतिक और कानूनी पहलुओं पर चर्चा की. इन दोनों नेताओं को राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति पद के लिए प्रमुख उम्मीदवारों के रूप में देखा जा रहा है. राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव जुलाई और अगस्त में होने हैं. अदालत के आये ताजा फैसले से इन दोनों नेताओं की संभावनाओं को झटका लगा है.

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