चीन द्वारा बदले गये नामों वाले अधिकतर स्थानों का संबंध दलाई लामा और तिब्बत से : विशेषज्ञ
नयी दिल्ली : अरुणाचल प्रदेश के जिन छह स्थानों का हाल ही में चीन ने नाम बदला है, उनका दलाई लामा या तिब्बत से कुछ न कुछ संबंध है. यह बात चीनी मामलों के एक विशेषज्ञ ने कही है. जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में चाइनीज स्टडीज के प्रोफेसर श्रीकांत कोंडापल्ली ने बताया कि यह दलाई लामा […]
नयी दिल्ली : अरुणाचल प्रदेश के जिन छह स्थानों का हाल ही में चीन ने नाम बदला है, उनका दलाई लामा या तिब्बत से कुछ न कुछ संबंध है. यह बात चीनी मामलों के एक विशेषज्ञ ने कही है.
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में चाइनीज स्टडीज के प्रोफेसर श्रीकांत कोंडापल्ली ने बताया कि यह दलाई लामा को अरुणाचल प्रदेश स्थित तवांग मठ की यात्रा करने देने और वहां धार्मिक सभाओं को संबोधित करने देने के लिए ‘‘भारत को अपनी भारी नाराजगी दिखाने का एक तरीका मात्र है.’
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कोंडापल्ली ने कहा कि ये सभी स्थान उस समय प्रमुख तौर पर नजरों में आये थे, जब 1980 के दशक में कई चीनी रणनीतिक विद्वानों ने इनके बारे में लिखना शुरू कर दिया था. भारत अक्साई चीन और मानसरोवर इलाकों का नाम बदलकर चीन पर पलटवार कर सकता है. ये क्षेत्र चीन के अधिकार में हैं, लेकिन भारत इन पर दावा करता है.
चीन द्वारा बदले गये स्थानों का दलाई लामा और तिब्बत से संबंध
- चीन ने गुलिंग गोंपा को नया नाम वोग्येनलिंग दिया है. यह इलाका तवांग के बाहरी क्षेत्र में स्थित है. छठे दलाई लामा का जन्म यहीं हुआ था.
- ऊपरी सुबानसिरी जिले में स्थित देपोरीजो का नाम मीला री रखा गया है. यह सुबानसिरी नदी के पास स्थित है, जो कि अरुणाचल की प्रमुख नदियों में से एक है और ब्रह्मपुत्र की एक बड़ी सहायक नदी है.
- भारी सैन्य मौजूदगी वाले मेचूका का नाम बदलकर मेनकूका करना दरअसल रणनीतिक रूप से अहम स्थान पर स्थित इस क्षेत्र पर भारत के दावे को चुनौती देना है. भारतीय वायुसेना ने यहां आधुनिक लैंडिंग ग्राउंड बना रखा है. यह पश्चिमी सियांग जिले में है.
- बुमला वह जगह है, जहां दलाई लामा अरुणाचल प्रदेश की चार से 13 अप्रैल तक की यात्रा के दौरान पहले ठहराव के तहत रुके थे. इसका नाम चीन ने बदलकर बुमोला कर दिया गया है.
- नमाका चू क्षेत्र का नाम बदलकर नमकापब री कर दिया गया है. इस क्षेत्र में पनबिजली की अपार संभावनाएं हैं.
- वहीं, छठे स्थान का नाम बदलकर कोइदेनगारबो री कर दिया है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि यह नाम किस क्षेत्र का रखा गया है. इन क्षेत्रों में कृषि और मत्स्य पालन तथा पन बिजली की अपार संभावनाएं हैं.