राष्ट्रपति चुनाव : सोनिया की मदद से पवार बनेंगे प्रेसिडेंट या प्रणब दा को मिलेगा दूसरा मौका!

नयी दिल्ली : जुलाई में होनेवाले राष्ट्रपति चुनाव की घोषणा से पहले ही चुनाव की हलचल तेज हो गयी है. एक ओर शिव सेना एक के बाद एक उम्मीदवार के नाम सुझा रही है, तो दूसरी ओर राजनीतिक गलियारों में कई तरह की खबरें चल रही हैं. खबर है कि प्रणब मुखर्जी राष्ट्रपति को दूसरा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 25, 2017 1:35 PM

नयी दिल्ली : जुलाई में होनेवाले राष्ट्रपति चुनाव की घोषणा से पहले ही चुनाव की हलचल तेज हो गयी है. एक ओर शिव सेना एक के बाद एक उम्मीदवार के नाम सुझा रही है, तो दूसरी ओर राजनीतिक गलियारों में कई तरह की खबरें चल रही हैं.

खबर है कि प्रणब मुखर्जी राष्ट्रपति को दूसरा कार्यकाल मिल सकता है, लेकिनप्रणबदा शर्त है कि उन्हें सर्वसम्मति से उम्मीदवार बनाया जाये. प्रणब दा यह भी चाहते हैं कि उन्हें अगला कार्यकाल देने की पहल स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करें. उधर, खबर है कि एनसीपी नेता शरद पवार ने राष्ट्रपति बनने के लिए लॉबिंग शुरू कर दी है.

प्रत्याशियों को आगे करने की होड़ में सबसे आगे है शिव सेना. शिव सेना ने सबसे पहले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत कोराष्ट्रपति बनाने की मांग की.राष्ट्रीय जनतांत्रिक गंठबंधन (एनडीए) की इस सहयोगी पार्टी ने अब राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) सुप्रीमो शरद पवार को राष्ट्रपति बनाने का सुझाव दिया है.

खबर है कि पवार ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से भेंट की है. बताया जाता है कि उन्होंने सोनिया गांधी से राष्ट्रपति चुनाव में अपने लिए समर्थन की अपील की है. लेकिन, कांग्रेस का समर्थन पवार को मिलेगा, इसकी संभावना बहुत कम है, क्योंकि शरद पवार ही पहले शख्स थे, जिन्होंने 90 के दशक में सबसे पहले विदेशी महिला (सोनिया गांधी) का नेतृत्व स्वीकार करने से मना करते हुए कांग्रेस पार्टी छोड़ दी थी.

सीतारामकेसरीकेपार्टी अध्यक्ष पद छोड़ने के बाद जब सोनिया गांधी नेकांग्रेस की कमान संभाली, तो शरद पवार ने इसका खुल्लमखुल्ला विरोध किया. सोनिया गांधी को विदेशी बताते हुए उन्होंने कांग्रेस कार्यकारिणी समिति की बैठक का बहिष्कार ही नहीं किया, पीए संगमा और तारिक अनवर के साथ पार्टी भी छोड़ दी.

इसके बाद समय-समय पर सोनिया गांधी के विदेशी मूल का मुद्दा उठता रहा. यही वह मुद्दा था, जिसने वर्ष 2004 में सोनिया गांधी को देश का प्रधानमंत्री नहीं बनने दिया. तब डॉ मनमोहन सिंह को देश का प्रधानमंत्री बनाया गया. बहरहाल, एनडीए के प्रत्याशी को हराने के लिए यदि भाजपा विरोधी दल पवार के पक्ष में एकजुट हो जायें, तो एनडीए के प्रत्याशी को हराने के लिए कांग्रेस उनका समर्थन कर दे, तो कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी.

सूत्र बताते हैं कि वामदलों के साथ-साथ जदयू और कई अन्य दल पवार को राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए प्रत्याशी के खिलाफ मैदान में उतारना चाहते हैं. अब शिव सेना ने भी पवार का नाम आगे कर दिया है, तो इस संभावना को बल मिलता है. ज्ञात हो कि संजय राउत ने कहा है कि अगर पवार के नाम पर आम सहमति बनती है, तो उनकी पार्टी के नेता उद्धव ठाकरे इससेसंबंधित चर्चा में शरीक हो सकते हैं. हालांकि, एनसीपी अब तकयही कहती रही है कि 76 साल के पवार राष्ट्रपति चुनाव नहीं लड़ेंगे.

पहले भागवत,अब पवार
पिछले महीने ही शिव सेना नेता राउत ने राष्ट्रपति पद के लिएसंघ प्रमुख मोहन भागवत का नाम उछाला था. उनका कहना था कि भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने के लिए भागवत इस ओहदे के लिए सबसे बेहतर उम्मीदवार होंगे. हालांकि, बाद में भागवत ने स्पष्ट कर दिया कि वे राष्ट्रपति पद की रेस में नहीं हैं. अब पार्टी ने पवारकानाम उछालाहै.

भाजपा के पास नहीं है जरूरी आंकड़ा
अपने उम्मीदवार को राष्ट्रपति बनाने के लिए भाजपा के पास अभी तक पर्याप्त वोट नहीं हैं. इसलिए वह अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुन्नेत्र कषगम (अन्नाद्रमुक) और तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) जैसे दलों से समर्थन के जुगाड़ में है. भाजपा को शिव सेना पर भी पूरा भरोसा नहीं है, क्योंकिदो राष्ट्रपति चुनावों में वह कांग्रेस को समर्थन दे चुकी है.

कलाम की राह पर प्रणब
सत्ता के गलियारों में यह भी चर्चा है कि राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को ही दूसरा मौका दिया जा सकता है. लेकिन, प्रणब दा ने संकेत दिये हैं कि वे तभी दोबाराराष्ट्रपतिचुनाव लड़ेंगे,जब सभी पार्टियां उन्हें समर्थन दें और खुद प्रधानमंत्री उन्हें चुनने की हिमायत करें.

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