अब आतंकवादी हमलों का गोली और बारूद के बजाय सजिर्कल स्ट्राइक से ही दिया जायेगा जवाब, सेना के तीनों अंगों ने मिलाया हाथ

नयी दिल्ली : पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवादियों के भारत की सरहदों अथवा अंदरुनी हिस्से में किसी अन्य आतंकवादी समूह की ओर से किये गये हमले हों, हमारे देश की सेना अब उसका जवाब गोला-बारूद नहीं देगी. इसके बजाय अब हमारी सेना इन आतंकवादियों के हमलों का जवाब सर्जिकल स्ट्राइक से देगी. इसके लिए हमारे देश की […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 26, 2017 9:49 AM

नयी दिल्ली : पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवादियों के भारत की सरहदों अथवा अंदरुनी हिस्से में किसी अन्य आतंकवादी समूह की ओर से किये गये हमले हों, हमारे देश की सेना अब उसका जवाब गोला-बारूद नहीं देगी. इसके बजाय अब हमारी सेना इन आतंकवादियों के हमलों का जवाब सर्जिकल स्ट्राइक से देगी. इसके लिए हमारे देश की सेना के तीनों अंगों ने आपस में हाथ मिला लिया है. मंगलवार को नौसेना के प्रमुख ने आतंकवाद और नक्सलवाद जैसी देशविरोधी गतिविधियों का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए एक ‘संयुक्त सिद्धांत’ का फॉर्मूला जारी किया है. नौसेना प्रमुख एडमिरल सुनील लांबा ने इस संयुक्त सिद्धांत को जारी किया है. इस मौके पर सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत और वायुसेना प्रमुख बीएस धनोआ भी मौजूद थे.

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मीडिया में आ रही खबरों के अनुसार, नौसेना प्रमुख के इस फॉमूले के तहत हमले या देशविरोधी गतिविधियों के दौरान थल सेना, नौसेना और वायुसेना बेहतर तालमेल के साथ सैन्य ऑपरेशन को अंजाम तक पहुंचाने के लिए ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ को प्रमुख हथियार के रूप में इस्तेमाल करने पर जोर दिया जायेगा. सेना की ओर से जारी फॉर्मूले के अनुसार, मौजूदा समय में देश कई तरह के सुरक्षा खतरों से जूझ रहा है. इनमें बाहरी खतरों के साथ-साथ जम्मू-कश्मीर में अलगाववादियों द्वारा छद्म वार और देश के कई हिस्सों में माओवादियों की दहशत शामिल है. इसमें कहा गया है कि आतंक विरोधी ऑपरेशन में ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ को सबसे ऊपर रखा जायेगा.

सेना की ओर से जारी दस्तावेज के अनुसार, भारत कई तरह के संघर्ष की स्थिति से निपटने के लिए व्यावहारिक और कठोर कदम उठा रहा है. इसमें भड़काने वाली सशस्त्र आतंकी कार्रवाई का जवाब देने के लिए सर्जिकल स्ट्राइक बहुत बड़ा हथियार हो सकता है. संयुक्त सिद्धांत में सेना के जवानों का संयुक्त प्रशिक्षण, यूनिफाइड कमांड और नियंत्रित ढांचे के अलावा तीनों सेनाओं के आधुनिकीकरण का प्रावधान है. नया फॉर्मूला रणनीति और किसी ऑपरेशन को अंजाम देने में मददगार होगा. सेना का यह ऑपरेशन चाहे जमीन पर हो, आसमान में हो या फिर समुद्र और अंतरिक्ष या साइबर स्पेस में ही क्यों न हो, एक व्यापक रूपरेखा के तहत काम किया जायेगा.

एडमिरल सुनील लांबा के सिद्धांत के अनुसार, इस प्रयोग से जहां सेना के तीनों अंगों में बेहतर तालमेल होगा, वहीं धन की बचत और संसाधनों का बेहतरीन तरीके से इस्तेमाल हो पायेगा. रक्षा मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि सशस्त्र सेनाओं में एकरूपता और सामूहिकता जीवन के किसी अन्य क्षेत्र की तरह ही समय की मांग है.

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