भारत ने पाकिस्तान से जाधव की स्वास्थ्य स्थिति पर प्रमाणपत्र मांगा
नयी दिल्ली : भारत ने भारतीय नौसेना के सेवानिवृत्त अधिकारी कुलभूषण जाधव की स्वास्थ्य स्थिति पर एक प्रमाणपत्र मांगा है जिसे पाकिस्तान की एक सैन्य अदालत ने मौत की सजा सुनायी है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गोपाल बागले ने गुरुवार को कहा कि सरकार को जाधव के खिलाफ आरोपपत्र की प्रति भी नहीं मिली है. […]
नयी दिल्ली : भारत ने भारतीय नौसेना के सेवानिवृत्त अधिकारी कुलभूषण जाधव की स्वास्थ्य स्थिति पर एक प्रमाणपत्र मांगा है जिसे पाकिस्तान की एक सैन्य अदालत ने मौत की सजा सुनायी है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गोपाल बागले ने गुरुवार को कहा कि सरकार को जाधव के खिलाफ आरोपपत्र की प्रति भी नहीं मिली है. सरकार को यह भी पता नहीं कि उस सैन्य अदालत में जाधव का बचाव किसने किया था जहां उन्हें मौत की सजा सुनायी.
उन्होंने कहा कि जाधव की कुशलता और उनके स्वास्थ्य की स्थिति भारत के लिए ‘बड़ी चिंता का विषय’ है. बागले ने कहा, ‘हमने (जाधव को) देखा नहीं है और हम उनसे मिले भी नहीं हैं. वह एक वर्ष से अधिक समय से पाकिस्तान की हिरासत में हैं. इसलिए जाधव की कुशलता और स्वास्थ्य स्थिति बड़ी चिंता का विषय है.’ उन्होंने कहा, ‘हमने पाकिस्तान की सरकार से पहले भी पूछा है और बुधवार को (पाकिस्तान में) हमारे उच्चायुक्त (गौतम बम्बावाले) ने उनके स्वास्थ्य की स्थिति पर एक रिपोर्ट मुहैया कराने का अनुरोध किया था. इसलिए हमें पाकिस्तान के जवाब का इंतजार है.
प्रवक्ता ने कहा कि भारत सरकार ने पाकिस्तान से जाधव तक राजनयिक पहुंच मुहैया कराने के लिए बुधवार को 16वीं बार अनुरोध किया. बागले ने यह भी उम्मीद जतायी कि पाकिस्तान जाधव के माता और पिता के वीजा की प्रक्रिया में तेजी लायेगा जो अपने पुत्र से मिलना चाहते हैं और जरूरत होने पर व्यक्तिगत रूप से एक अपील दायर करना चाहते हैं. दोनों ने यहां पाकिस्तानी उच्चायोग में वीजा के लिए आवेदन किया है.
बागले से पाकिस्तानी सेना की ओर से बुधवार को तालिबान के पूर्व प्रवक्ता अहसानुल्लाह एहसन के ‘कबूलनामे’ वाला वीडियो जारी करने के बारे में पूछा गया जिसमें उसने कहा था कि तालिबान आतंकवादी अफगान गुप्तचर एजेंसी और भारत की रॉ के साथ संपर्क में हैं जिसने धनराशि मुहैया कराने के साथ ही पाकिस्तान में हमलों के लिए लक्ष्य निर्धारित किये.
इस पर प्रवक्ता ने कहा, ‘हम ऐसे जबर्दस्ती कराये गये कबूलनामे का मूल्य जानते हैं. यह केवल उन लोगों की मानसिकता प्रतिबिंबित करता है जो ऐसे जबर्दस्ती कबूलनामा कराते हैं और जो समझते हैं कि विश्व में अन्य भी वही करते हैं जो वे करते हैं.’