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नयी दिल्ली : हरियाणा में कांग्रेस शासन के दौरान सस्ती दर पर जमीन खरीद कर ऊंची कीमत पर बेचने के मामले में रॉबर्ट वाड्रा बुरी तरह फंसते नजर आ रहे हैं. खबर है कि भूमि सौदों की जांच के लिए हरियाणा सरकार द्वारा गठित ढींगरा कमीशन ने अपनी जांच में पाया कि वाड्रा ने वर्ष 2008 में बिना एक पैसा निवेश किये कम से कम 50.50 करोड़ रुपये की कमाई की. इसके बाद आयोग ने वाड्रा और उनकी कंपनियों के द्वारा खरीदी गयी संपत्ति की जांच के आदेश दिये हैं.
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एक अंगरेजी अखबार ने ढींगरा कमीशन की रिपोर्ट की जानकारी रखनेवाले सूत्र के हवाले से यह रिपोर्ट प्रकाशित की है. इसमें कहा गया है कि सरकारी विभागों से सांठगांठ करके वाड्रा की कंपनी को फायदा पहुंचाया गया. हालांकि, वाड्रा और स्काइलाइट हॉस्पिैलिटी के वकील सुमन खेतान ने कहा कि उनलोगों ने कुछ भी गलत नहीं किया. यह भी कहा कि जमीन पैसे देकर खरीदीगयी थी और इनकम टैक्स का भुगतान भी किया गया था.
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बताया जाता है कि आयोग के नतीजों का केंद्र ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज और स्काइलाइट के बीच हुए लेन-देन और बाद में स्काइलाइट और डीएलएफ के बीच हुई डील पर है. सूत्रों ने बताया कि आयोग की रिपोर्ट में 20 से ज्यादा प्रॉपर्टीज की जानकारी दीगयी है, जो उसके मुताबिक वाड्रा और उनकी कंपनियों ने खरीदी थी.
इनमें से एक भूखंड को स्काइलाइट हॉस्पिटैलिटी प्राइवेट लिमिटेड ने ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज से खरीदा था. सूत्रों ने बताया कि ओंकारेश्वर से खरीदीगयी प्रॉपर्टी को फिर लैंड यूज में बदलाव के बाद कहीं ज्यादा कीमत पर डीएलएफ को बेच दिया गया. इस तरहवाड्राकी कंपनी ने 50.50 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया.
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बताया जा रहा है कि आयोग को लगा कि ऐसी रकम से हो सकता है कि दूसरी प्रॉपर्टीज भी खरीदीगयी हों. इसलिए मामले की जांच की जरूरत है. सूत्रों ने रिपोर्ट के हवाले से बताया कि वाड्रा की पत्नी प्रियंका गांधी वाड्रा ने फरवरी, 2010 में अमीपुर गांव में एक प्रॉपर्टी खरीदी थी.हालांकि, प्रियंका की दलील है कि उस प्लॉट की खरीद का स्काइलाइट के ट्रांजैक्शंस या डीएलएफ से कोई संबंध नहीं है.उन्होंनेयह भू-खंड ‘कथित’ स्काइलाइट लैंड डील के छह साल पहले खरीदा था.
स्वतंत्र एजेंसी से ऑडिट कराने की सिफारिश
सूत्रों के मुताबिक, कई लैंड डील्स की समीक्षा करने के बाद रिपोर्ट में सिफारिश की गयी है कि तत्कालीन हुड्डा सरकार की ओर से दियेगये लैंड यूज लाइसेंसों का किसी स्वतंत्र एजेंसी से ऑडिट कराया जाये. रिपोर्ट में अवैध तरीके से दियेगये लाइसेंसों को कैंसल करने की सिफारिश भी कीगयी है.
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सूत्रों ने बताया कि ढींगरा कमीशन ने वाड्रा द्वारा हसनपुर गांव में 16 लाख रुपये प्रति एकड़ के ऑफिशल रेट के आधे से कम भाव पर एक प्रॉपर्टी खरीदनेके मामले का हवालादिया है. इसमेंआयोग ने वाड्रा की कंपनी को ट्रांसफर कीगयी जमीन की समीक्षा करते हुए कहा कि सेल डीड को जीरो पेमेंट पर स्काइलाइट हॉस्पिटैलिटी के फेवर में बनाया गया.
खट्टर ने किया था आयोग का गठन
मई, 2015 में हरियाणा की मनोहर लाल खट्टर सरकार ने ढींगरा कमीशन का गठन किया था. आयोग को गुड़गांव के चार गांवों में लैंड यूज बदलने के लिए लाइसेंसदिये जाने की जांच का जिम्मा दिया गया था. इसमें वाड्रा की कंपनी स्काइलाइट हॉस्पिटैलिटी प्राइवेट लिमिटेड कोदियेगये लाइसेंस की जांच भी शामिल थी.
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अगस्त में आयोग ने सौंपी रिपोर्ट
आयोग ने 31 अगस्त, 2016 को अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी, जिसे प्रदेश सरकार नेसीलबंदलिफाफे में सुप्रीम कोर्ट को भेजा था. जस्टिस एके गोयल और जस्टिस यूयू ललित की बेंच ने लैंड डील्स से जुड़ी एक लंबित याचिका के सिलसिले में यह रिपोर्ट मांगी थी.
हुड्डा ने दी थी आयोग के गठन को चुनौती
हरियाणा के भूतपूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा ने ढींगरा कमीशन के गठन की संवैधानिकता को चुनौती दी थी.हुड्डा की याचिका पर सुनवाईअभी बाकी है. पंजाब एवं हरियाणा हाइकोर्ट ने हरियाणा सरकार का यह आश्वासन रिकॉर्ड किया है कि रिपोर्ट प्रकाशित नहीं की जायेगी. सूत्र बताते हैं कि हरियाणा सरकार के एक अधिकारी ने आयोग के सामने गवाही दी थी,जिसमें उन्होंने कहा था कि सोनिया गांधी का दामाद होने और खुद एक वीआइपी होने के नाते वाड्रा के पास कॉलोनी बनाने की क्षमता है.