शिमला : हिमालय की पहाड़ी पर स्थित प्रसिद्ध हिंदू तीर्थस्थल केदारनाथ धाम तीन मई को और बद्रीनाथ धाम के कपाट छह मई को श्रद्धालुओं के लिए खुलेंगे. उत्तरकाशी में स्थित मां गंगा को समर्पित गंगोत्री मंदिर और मां यमुना को समर्पित यमुनोत्री कपाट सोमवार,एक मई कोवैदिक मंत्रोच्चार के बीच धार्मिक अनुष्ठान के साथ खोले गये.
साथ ही बाबा केदार की पंचमुखी मूर्ति को फल-मालाओं से सजी डोली में विराजमान कर हिमालय के लिए रवाना किया गया. इस मौके पर मां गंगा की भी डोली उनके मायके मुखबा से गंगोत्री पहुंची. जहां पंडा पुरोहित समाज ने उसका भव्य स्वागत किया. इस दौरान हजारों की संख्या में मौजूद श्रद्धालुओं ने बाबा की डोली के दर्शन कर पुण्य लिया.
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इस दौरान नजारा कुछ ऐसा था कि मानो सभी देवी-देवता जमीन पर उतर आये हों. भारी बारिश के बावजूद श्रद्धालु केदारनाथ बाबा की भक्ति में डूबे रहे. सोमवारको पहली रात्रि प्रवास के लिए बाबा की डोली फाटा पहुंची. वहीं, दूसरे रात्रि प्रवास के लिए डोली गौरीकुंड में प्रवेश करेगी. 2 मई को डोली केदारनाथ धाम में पहुंचेगी, 3 मई से श्रद्धालुओं के लिए कपाट खोल दिये जायेंगे. इसके बाद पूजा-अर्चना होगी, फिर सभी श्रद्धालु भगवान बद्री विशाल के दर्शन कर सकेंगे.
उल्लेखनीय है कि केदारनाथ धाम के कपाट खुलने के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी बुधवार को केदारनाथ पहुंच रहे हैं. पीएम मोदी लगभग एक घंटा केदारनाथ में बितायेंगे. सीएम त्रिवेंद्र रावत ने साेमवारको केदारनाथ पहुंचकर तैयारियों का जायजा लिया. जिला प्रशासन ने अपनी तैयारियां पूरी कर ली हैं. यात्रियों को कोई असुविधा न हो, इसका पूरा ध्यान रखा जा रहा है. बाबा केदारनाथ धाम के कपाट बुधवार को सुबह 8 बजकर 50 मिनट पर खुलेंगे. कई श्रद्धालु पहले ही बाबा के दर्शन करने के लिए केदारनाथ पहुंच चुके हैं.
गौरतलब है कि चमोली जिले में 3,133 मीटर की ऊंचाई पर स्थित बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने का मुहूर्त हर वर्ष वसंत पंचमी को तय किया जाता है. गढ़वाल हिमालयी क्षेत्र में स्थित चारधाम यात्रा सर्दी की वजह से छह माह तक बंद रहती है. हर वर्ष अप्रैल-मई में प्रारंभ होने वाली यह यात्रा छह माह तक चलती है.