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मोदी ने पतंजलि के आयुर्वेदिक रिसर्च इंस्टीट्यूट का उदघाटन किया, कहा : हर्बल मेडिसीन का बड़ा सप्लायर बन सकता है भारत

undefined हरिद्वार(उत्तराखंड) : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि आज विश्वभर में लोग समग्र स्वास्थ्य सेवा पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. इस दिशा में भारत जितना योगदान कर सकता था, अब तक कर नहीं पाया. उन्होंने कहा कि भारत में आयुर्वेदिक दवाओं का बड़ा सप्लायर बनने की क्षमता है, लेकिन हम उसका दोहन […]

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हरिद्वार(उत्तराखंड) : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि आज विश्वभर में लोग समग्र स्वास्थ्य सेवा पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. इस दिशा में भारत जितना योगदान कर सकता था, अब तक कर नहीं पाया. उन्होंने कहा कि भारत में आयुर्वेदिक दवाओं का बड़ा सप्लायर बनने की क्षमता है, लेकिन हम उसका दोहन नहीं कर पा रहे.

प्रधानमंत्री ने ये बातें पतंजलि रिसर्च इंस्टीट्यूट का उदघाटन करने के बाद ये बातें कहीं. उन्होंने कहा कि गुलामी के दिनों में हमारी श्रेष्ठ परंपराओं को ध्वस्त किया गया और जब हमें आजादी मिली, तो हमने उन परंपराओं को भुला ही दिया. तीन-तीन पीढ़ियों ने जिंदगी गुजार दी, लेकिन अपनी श्रेष्ठ चीजों को बचाने या उन्हें पुनर्स्थापित करने पर जोर नहीं दिया.

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उन्होंने कहा कि अब वक्त आ गया है कि हमारे पास जो श्रेष्ठ है, उस पर गौरव करें. उसका संरक्षण करें. इसे अपनी आन-बान और शान बनायें. प्रधानमंत्री ने कहा कि हजारों वर्ष पहले भारत जिन ऊंचाइयों पर था, एक बार फिर उसी ऊंचाई को हासिल करने की जरूरत है.

उन्होंने कहा कि तब भारत शिखर पर था, क्योंकि हमारे ऋषि-मुनियों ने नये-नये खोज के जरिये अपने ज्ञान का लोहा मनवाया. उन्होंने मानव जाति के कल्याण के लिए समयानुकूल चीजों की खोज की. आधुनिक भारत में अनुसंधान और नवोन्मेष के प्रति हमारी उदासीनता के कारण हम विश्व में अपना प्रभाव पैदा नहीं कर सके.

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प्रधानमंत्री ने कहा कि वर्षों बाद सूचना तकनीक का दौर आया, जब हमारे युवाओं ने अपनी मेधा का लोहा मनवाया. 17-18 साल के युवाओं ने कम्प्यूटर के माउस के साथ खेलना शुरू किया और इस क्षेत्र में अन्य देशों से बहुत आगे निकल गये.

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज पूरी दुनिया में समग्र स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ रही है. लेकिन, कोई रास्ता नहीं दिख रहा. लोग योग की ओर आकृष्ट हो रहे हैं. आयुर्वेद अपनाना चाहते हैं. ऐसे में भारत पूरी दुनिया का मार्गदर्शन कर सकता है. इसमें पतंजलि रिसर्च इंस्टीट्यूट अहम भूमिका निभायेगा.

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प्रधानमंत्री ने कहा कि स्वास्थ्य के लिए योगऔरस्वच्छता जरूरी है. उन्होंने कहा कि योग से तन-मन को स्वस्थरखनेऔर आत्मा की चेतना जागृत करने में मदद मिलती है.

उन्होंने योग गुरु स्वामी रामदेव की तारीफ करते हुए कहा कि बाबा रामदेव ने योग को आंदोलन बना दिया. उन्होंने इस मिथक को तोड़ दिया कि योग करने के लिए पहाड़ों की कंदराओं में जाना जरूरी है. उन्होंने बताया कि लोग अपने बेडरूम में, किचन के बगल में, अपने घर के आसपास कहीं भी योग कर सकते हैं.

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प्रधानमंत्री ने कहा कि विश्व भर में वे जहां भी जाते हैं, लोग विकास और निवेश से जुड़ी बातेंतो करते ही हैं, योग संबंधी सवाल भी जरूर पूछते हैं. उन्होंने कहा कि 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर हर देश इस आंदोलन से जुड़ना चाहता है.

आयुर्वेद का हमने किया बड़ा नुकसान

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हमने आयुर्वेद का बड़ा नुकसान किया है. आयुर्वेद को आधुनिक विज्ञान के साथ जोड़ दिया गया होता, तो मानव की बहुत बड़ी सेवा हुई होती. लेकिन, ऐसा न करके आयुर्वेद और एलोपैथ के बीच एक जंग छिड़ गयी कि हम बड़े, तो हम बड़े.

आयुर्वेद को अपनाने के लिए प्रेरित करेंगे रामदेव

प्रधानमंत्री ने विश्वास जताया कि योग गुरु रामदेव पतंजलि के जरिये आयुर्वेद का महिमामंडन ही नहीं करेंगे, बल्कि मेडिकल साइंस की भाषा में इसे अपनाने के लिए दुनिया को प्रेरित करेंगे. उन्होंने कहा कि पतंजलि का अनुसंधान केंद्र किसी अत्याधुनिक अनुसंधान केंद्र से किसी भी रूप में कम नहीं है.

स्वस्थ रहना है, तो स्वच्छ रहें

प्रधानमंत्री ने कहा कि लोग स्वच्छता अभियान से जुड़ें और बीमारी से बचें. उन्होंने कहा कि यदि आप गंदगी फैलाना बंद कर देते हैं, तो एक डॉक्टर से ज्यादा जिंदगी बचा सकते हैं. उन्होंने एक बार फिर कहा कि हर आदमी गंदगी न फैलाने का संकल्प लें. उन्होंने कहा कि मानव सेवा करने के लिए किसी आंदोलन की जरूरत नहीं है. यदि 125 करोड़ लोग तय कर लें कि वे गंदगी नहीं करेंगे, तो देश गंदा नहीं रहेगा. उन्होंने कहा कि हम गंदगी फैलाते हैं और हमीं इसकी शिकायत भी करते हैं. यदि बीमारीसे बचना है, तो स्वच्छ रहना सीखना होगा.

इसलिए लोकप्रिय नहीं हुआ आयुर्वेद

प्रधानंत्री ने कहा कि वर्षों पहले आयुर्वेद को लोकप्रिय बनाने के लिए सरकार ने एक कमीशन का गठन किया. कमीशन ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि आयुर्वेद लोगों तक नहीं पहुंच रहा, क्योंकि उसकी पद्धति आज के समय के अनुरूप नहीं है. दवा लेने की जो पद्धति है, वही इसे लोगों से दूर रखे हुए है. इसमें कहा गया था कि आयुर्वेदिक दवाओं की यदि मॉडर्न पैकेजिंग कर दी जाये, तो लोग इसे जरूर अपनायेंगे. प्रधानमंत्री ने कहा कि पतंजलि रिसर्च इंस्टीट्यूट इस काम को आगे बढ़ायेगा. प्रधानमंत्री ने कहा कि बाबा रामदेव अपने काम के जरिये लगातार देश सेवा कर रहे हैं.

देश के सबसे बड़े रिसर्च इंस्टीट्यूट की खूबियां

  • 10 एकड़ में फैला है पतंजलि रिसर्च इंस्टीट्यूट
  • 200 करोड़ रुपये की लागत से बना है संस्थान
  • 200 वैज्ञानिक अलग-अलग जड़ी बूटियों पर रिसर्च करेंगे
  • आयुर्वेद रिसर्च इंस्टीट्यूट के साथ बाबा रामदेव ने एक हर्बल गार्डन भी तैयार किया है

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