नयी दिल्ली : केंद्रीय शहरी विकास मंत्री एम वेंकैया नायडू चार मई को 434 शहरों और कस्बों की स्वच्छता रैंकिंग जारी करेंगे. इससे पहले बुनियादी सुविधाओं और सर्विस डिलीवरी के आधार पर 17,500 जगहों से लोगों की फीडबैक ली गयी, जिसमें 83 फीसदी लोगों ने माना कि स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत के बाद उनके आसपास के इलाकों में सफाई के प्रति जागरूकता बढ़ी है. यानी अभियान का असर दिख रहा है.
शहरी विकास मंत्रालय द्वारा गठित सर्वे कमीशन और क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया के अलग-अलग सर्वे में कई निष्कर्ष सामने आये. सर्वे से पता चला कि 404 शहरों के 75 फीसदी रिहायशी इलाके काफी हद तक साफ-सुथरे हुए हैं. 185 शहरों में रेलवे स्टेशन परिसर पूरी तरह स्वच्छ हैं. 75 फीसदी सार्वजनिक शौचालय हवादार, रोशनी और पानी की आपूर्तिवाले हैं. 297 शहरों के 80 फीसदी वार्ड में घर-घर जाकर कचरा इकट्ठा किया जा रहा है. 226 शहरों के 75 फीसदी अधिसूचित वाणिज्यिक इलाकों में दो बार झाड़ू लगायी जाती है.
शहरी विकास मंत्रालय ने जनवरी-फरवरी, 2017 में एक सर्वे कमीशन का गठन किया था, जिसने देश के 18 लाख से अधिक नागरिकों से छह प्रश्नों पर शहरी और कस्बे की स्वच्छता को लेकर प्रतिक्रिया ली. क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया के 421 मूल्यांकनकर्ताओं ने 434 शहरों और कस्बों की 17,500 स्थानों पर जाकर निजी तौर पर निरीक्षण किया. इसमें 2,680 आवासीय और 2,680 कॉमर्शियल लोकेशन के अलावा 2,582 वाणिज्यिक और सार्वजनिक शौचालय सुविधाओं की जांच की गयी.
वेंकैया नायडू ने कहा कि सर्वे ने परिणाम उत्साहवर्धक हैं. एक साल में स्वच्छता को लेकर काफी कुछ बदलाव देखने को मिल रहा है. वर्ष 2014 में स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत के बाद से यह दूसरा सर्वेक्षण है. अभियान का लक्ष्य महात्मा गांधी की 150वीं वर्षगांठ (दो अक्तूबर, 2019) तक देश को स्वच्छ और खुले में शौच से मुक्त बनाना है.