पढें, आखिर इसरो के सैटेलाइट लॉन्चिंग से पाकिस्तान ने क्यों बनायी दूरी

चेन्नई : भारत 5 मई को यानी शुक्रवार को श्रीहरिकोटा के स्पेस पोर्ट से ‘साउथ एशिया सैटेलाइट’ का प्रक्षेपण करेगा. इसे जीएसएलवी-एफ09 रॉकेट से भेजा जाएगा. इस संबंध में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने कहा कि दक्षिण एशिया संचार उपग्रह जीएसएटी-9 के प्रक्षेपण के लिए तैयारियां ‘‘सुचारु रुप से चल रही हैं.” यह उपग्रह […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 4, 2017 1:33 PM

चेन्नई : भारत 5 मई को यानी शुक्रवार को श्रीहरिकोटा के स्पेस पोर्ट से ‘साउथ एशिया सैटेलाइट’ का प्रक्षेपण करेगा. इसे जीएसएलवी-एफ09 रॉकेट से भेजा जाएगा. इस संबंध में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने कहा कि दक्षिण एशिया संचार उपग्रह जीएसएटी-9 के प्रक्षेपण के लिए तैयारियां ‘‘सुचारु रुप से चल रही हैं.” यह उपग्रह इस क्षेत्र में देशों के बीच संचार में मददगार होगा. इस भूस्थिर संचार उपग्रह को इसरो ने बनाया है. इसका कल यहां से करीब 100 किलोमीटर दूर श्रीहरिकोट में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपण किया जाएगा.

इसरो चेयरमैन ए एस किरन कुमार ने कहा, कि हमें कल शाम को 4:57 पर प्रक्षेपण करना है. सभी गतिविधियां सुचारु रुप से चल रही है. मई 2014 में सत्ता में आने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र ने इसरो के वैज्ञानिकों से दक्षेस उपग्रह बनाने के लिए कहा था जो पडोसी देशों को ‘‘भारत की ओर से उपहार” के तौर पर दिया जा सकें. गत रविवार को ‘मन की बात’ कार्यक्रम में मोदी ने घोषणा की थी कि दक्षिण एशिया उपग्रह अपने पडोसी देशों को भारत की ओर से ‘‘कीमती उपहार” होगा.

मोदी ने कहा था, कि पांच मई को भारत दक्षिण एशिया उपग्रह का प्रक्षेपण करेगा. इस परियोजना में भाग लेने वाले देशों की विकासात्मक जररतों को पूरा करने में इस उपग्रह के फायदे लंबा रास्ता तय करेंगे. बडे प्रक्षेपणों के बारे में एक सवाल पर कुमार ने कहा, कि इसरो अगले साल की शुरुआत में चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण करेगा.

कुछ खास बातें

1. आठ दक्षेस देशों में से सात देश इस परियोजना का हिस्सा है.

2. पाकिस्तान ने यह कहते हुए इससे बाहर रहने का फैसला किया कि ‘‘उसका अपना अंतरिक्ष कार्यक्रम है.”

3. इसरो के जीएसएलवी-एफ09 रॉकेट से इस उपग्रह का प्रक्षेपण किया जाएगा.

4. 235 करोड रुपये की लागत वाले इस मिशन का जीवनकाल 12 साल का है.

5. इस उपग्रह का उद्देश्य दक्षिण एशिया क्षेत्र के देशों के बीच सूचनाएं उपलब्ध कराना और आपदा प्रबंधन को मजबूत करना है. साथ ही इस उपग्रह से प्रत्येक देश को डीटीएच, वीसैट क्षमता और आपदा सूचना के आदान-प्रदान को बढावा मिलेगा.

6. शुक्रवार का प्रक्षेपण स्वदेशी क्रायोजनिक इंजन के साथ जीएसएलवी-एफ09 रॉकेट की लगातार चौथी उडान होगी. इससे पहले संचार उपग्रह जीएसएटी-8 का 21 मई 2011 को फ्रेंच गुएना के कोउरो से प्रक्षेपण किया गया था.

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