सिरोही में रेबाड़ी समुदाय की शादी की रस्म बहुत अजीब है. यहां शादी के बाद दुल्हनों को ससुराल विदा किये जाने का रिवाज नहीं है. शादी के बाद दूल्हे ही अपने ससुराल जाते हैं. ससुराल में दूल्हे घर-जमाई की तरह ठाठ से नहीं रहते हैं. उन्हें दुल्हन के घर का सारा काम करना पड़ता है. रेबाड़ी समुदाय ने सदियों से चली आ रही परंपरा में थोड़ा बदलाव किया है.
यहां शादी के बादलड़कियां अपना घर नहीं छोड़तीं, बल्कि लड़के अपने माता-पिता का घर छोड़ बीवी के घर में रहते हैं. रेबाड़ी समुदाय में डिमांड-सप्लाई गैप है. इसकी वजह से यह बदलाव किया गया है. लेकिन ऐसा नहीं है कि शादी के बाद वर हमेशा के लिए वधु के घर रहता है. शादी के सात साल पूरे होने के बाद वधु को ससुराल भेज दिया जाता है. सात वर्षों तक बेटी का पति अपने सास-ससुर के घर के काम करता है. रेबाड़ी लोग झुंडों में एक जगह से दूसरी जगह जाते रहते हैं. ये लोग बेटों को प्राथमिकता देते हैं.
इनका कहना है कि पशुओं को चराने के लिए उन्हें इधर-उधर जाना पड़ता है. लड़कियों की सुरक्षा अहम मुद्दा बन जाता है. सोसायटी ऑफ ऑल राउंड डेवलपमेंट के सदस्य बृजमोहन शर्मा ने बताया कि इस समुदाय में लिंगानुपात 634 है. इस घटते अनुपात से निपटने के लिए ये लोग अपने ही तरीके निकाल रहे हैं.