श्रीहरिकोटा : दक्षिण एशिया संचार उपग्रह को लेकर जीएसएलवी-एफ 09 ने श्रीहरिकोटा प्रक्षेपण स्थल से आज उड़ान भरी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस सफलता के लिए इसरो को बधाई दी है. मोदी ने कहा दक्षिण एशियाई उपग्रह का सफल प्रक्षेपण ऐतिहासिक क्षण, इससे संबंधों के नये आयाम की शुरुआत होगी. गुरुवार को ही भारत द्वारा दक्षिण एशिया संचार उपग्रह जीसैट-9 के प्रक्षेपण के लिए 28 घंटे का काउंटडाउन शुरू हो गया था. इस उपग्रह से क्षेत्र में देशों के बीच सम्पर्क को बढ़ावा मिलेगा.
#WATCH: ISRO launches South Asia Satellite GSAT-9 from Andhra Pradesh's Sriharikota. pic.twitter.com/wbANKY4yq2
— ANI (@ANI) May 5, 2017
इस भूस्थिर संचार उपग्रह का निर्माण भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने किया है. इसका प्रक्षेपण यहां से करीब 100 किलोमीटर दूर श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से किया गया. जीसैट-9 को भारत की ओर से उसके दक्षिण एशियाई पड़ोसी देशों के लिए उपहार माना जा रहा है. इस उपग्रह को इसरो का रॉकेट जीएसएलवी-एफ09 लेकर गया है.
इसरो के अध्यक्ष ए एस किरण कुमार ने कहा, ‘आज शाम में चार बजकर 57 मिनट पर प्रक्षेपण किया गया…सभी गतिविधियां सुचारू रूप से चल रही हैं.’ जीसैट को लेकर जाने वाले जीएसएलवी-एफ09 का प्रक्षेपण यहां से करीब 135 किलोमीटर दूर श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिच केंद्र के दूसरे लांचिंग पैड से किया गया. इसरो ने कहा, ‘जीएसएलवी-एफ09 (जीसैट-9 मिशन के आपरेशन का 28 घंटे का काउंटडाउन गुरुवार को 12 बजकर 57 मिनट शुरू हुआ.’
आठ दक्षेस देशों में से सात भारत, श्रीलंका, भूटान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल और मालदीव परियोजना का हिस्सा हैं. पाकिस्तान ने यह कहते हुए इससे बाहर रहने का फैसला किया कि ‘उसका अपना अंतरिक्ष कार्यक्रम है.’ इस उपग्रह की लागत करीब 235 करोड़ रुपये है और इसका उद्देश्य दक्षिण एशिया क्षेत्र के देशों को संचार और आपदा सहयोग मुहैया कराना है. इसका मिशन जीवनकाल 12 साल का है.
मई 2014 में सत्ता में आने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसरो के वैज्ञानिकों से दक्षेस उपग्रह बनाने के लिए कहा था वह पड़ोसी देशों को ‘भारत की ओर से उपहार’ होगा. गत रविवार को ‘मन की बात’ कार्यक्रम में मोदी ने घोषणा की थी कि दक्षिण एशिया उपग्रह अपने पडोसी देशों को भारत की ओर से ‘कीमती उपहार’ होगा.
मोदी ने कहा था, ‘पांच मई को भारत दक्षिण एशिया उपग्रह का प्रक्षेपण करेगा. इस परियोजना में भाग लेने वाले देशों की विकासात्मक जरुरतों को पूरा करने में इस उपग्रह के फायदे लंबा रास्ता तय करेंगे.’ भविष्य के प्रक्षेपणों के बारे में पूछे जाने पर कुमार ने कहा कि इसरो जीएसएलवी एमके 3 के बाद पीएसएलवी का प्रक्षेपण करेगा. उन्होंने कहा कि इसरो अगले साल की शुरुआत में चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण करेगा. इससे पहले संचार उपग्रह जीएसएटी-8 का प्रक्षेपण 21 मई 2011 को फ्रेंच गुएना के कोउरो से हुआ था.