बेंगलुरु : भारत ने शुक्रवार को दक्षिण एशिया संचार उपग्रह का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया. इसकी पूरी फंडिंग भारत कर रहा है. इसे दक्षिण एशिया के पड़ोसी देशों के लिए ‘अमूल्य उपहार’ बताया जा रहा है, जो देशों को संचार और आपदा के समय में सहयोग देगा. भारत के अंतरिक्ष कूटनीति और ‘पड़ोसी प्रथम’ की नीति को बढ़ावा देते हुए जीसैट-9 का निर्माण 235 करोड़ रुपये की लागत से किया गया है, जिसे पड़ोसी देशों के लिए ‘अमूल्य उपहार’ बताया जा रहा है. क्षेत्र में चीनी हितों से मुकाबला करने के लिए महत्वपूर्ण कदम कहा जा रहा है. इसरो द्वारा निर्मित नवीनतम संचार उपग्रह जीसैट-9 को एसएएस रोड पिग्गीबैक कहा जाता है, जिसे 50 मीटर लंबे रॉकेट स्वदेशी क्रायोजेनिक इंजनवाले जीएसएलवी से प्रक्षेपित किया गया है. आंध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से जीएसएलवी-एफ 09 को शाम 4.57 प्रक्षेपित किया गया. इसे जीसैट-9 से कक्षा में स्थापित किया गया. जीएसएलवी-एफ09 मिशन जीएसएलवी की 11वीं उड़ान है. जीसैट-9 घनाकार है, जो 2230 किलो की वहनक्षमतावाला भूस्थैतिक संचार उपग्रह है, जो केयू-बैंड में दक्षिण एशियाई देशों को विभिन्न संचार सेवा मुहैया करायेगा. नाम एसएएस है.
पड़ोसी देशों को क्या फायदा
उपग्रह पड़ोसी देशों को दूरसंचार, टेलीविजन, डायरेक्ट टू होम, वीसैट, दूर शिक्षा और टेली मेडिसिन सहित कई सेवाएं पड़ोसी देशों को मुहैया करायेगा. यह भागीदार देशों को सुरक्षित हॉटलाइन भी मुहैया करायेगा जो भूकंप, चक्रवात, बाढ़ और सूनामी जैसे आपदा प्रबंधन में मददगार होगा. इसरो के उपग्रह का जीवन 12 वर्षों से ज्यादा का होगा. कीमत 235 करोड है. परियोजना का हिस्सा दक्षेस के आठ में से सात देश भारत, श्रीलंका, भूटान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल और मालदीव हैं.
छह देशों के नेताओं से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग
पीएम मोदी ने छह देशों के नेताओं को प्रक्षेपण की सफलता पर वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से बताया,‘उपग्रह के परीक्षण से पता चलता है कि जब क्षेत्रीय सहयोग की बात आती है तो उसकी असीम संभावनाएं हैं.’ प्रधानमंत्री ने छह सार्क देशों के प्रमुखों को संबोधित किया.इससे पहले मोदी ने ट्विटर पर इसे ‘ऐतिहासिक क्षण’ बताया. नेपाल के पीएम पुष्प कमल दहल, बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना, भूटान के पीएम शेरिंग टोबगे, श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना, मालदीव के राष्ट्रपति अब्दुल यामीन और अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने भी वीडियो कांफ्रेंसिंग से संबोधित किया.
इसने क्षेत्र के देशों के बीच संपर्क विस्तार के नये आयाम खोल दिये हैं. यह संदेश देता है कि क्षेत्रीय सहयोग में असीम संभावनाएं हैं. यह हमारे लोगों की आवश्यकताओं को सबसे आगे रखने के हमारे अटल संकल्प का प्रतीक है. टकराव नहीं सहयोग, तबाही नहीं विकास और गरीबी नहीं खुशहाली का मंत्र है. सबका साथ, सबका विकास दक्षिण एशिया में कार्रवाई और सहयोग के लिए मार्गदर्शक हो सकता है. हमारे लोगों के लिए आर्थिक खुशहाली की हमारी साझा प्राथमिकताओं को हासिल करने का उपयुक्त तरीका हो सकता है.
नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री
दक्षिण एशिया उपग्रह के प्रक्षेपण से दूरसंचार और प्रसारण के क्षेत्र में मिलने वाली विभिन्न सुविधाएं दक्षिण एशियाई देशों की विकास जरूरतों को पूरा करने में दूरगामी भूमिका निभायेंगी. मुझे विश्वास है कि यह परियोजना मित्रता और सहयोग को बढ़ावा देगी. भारत और उसके पड़ोसियों के बीच संबंधों को प्रगाढ़ करेगी.
प्रणब मुखर्जी,राष्ट्रपति
अभी अभी हमने दक्षिण एशिया उपग्रह को पृथ्वी से भूस्थैतिक कक्षा में स्थानांतरित किया है जिसमें स्वदेश में विकसित क्रायोजेनिक इंजन का इस्तेमाल किया गया है.
ए एस किरण कुमार,अध्यक्ष,इसरो, श्रीहरिकोटा
इससे नेपाल के पर्वतीय और पहाड़ी क्षेत्रों में संचार सेवाएं प्रदान की जा सकेंगी.
पुष्प कमल दहल, पीएम,नेपाल
इस सैटेलाइट के लॉन्च होने से क्षेत्रीय सहयोग में बढ़ोतरी होगी और हमारे क्षेत्र का भी विकास होगा.
शेरिंग टोबगे, पीएम, भूटान
मैं भारत सरकार को बधाई देती हूं. आशा है कि इस क्षेत्र में सहयोग के नये क्षितिज का विस्तार होगा.
शेख हसीना, पीएम, बांग्लादेश
कथनी और करनी के बीच की खाई पट गयी है. क्षेत्रीय सहयोग की जरूरत आज हकीकत में बदल गयी है.
अशरफ गनी, राष्ट्रपति, अफगानिस्तान