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VIDEO : जम्‍मू कश्‍मीर में सैकड़ों टन भारी बिजली के टावरों को चुटकियों में शिफ्ट करता है हेली क्रेन

नयी दिल्‍ली : बिजली के हाई टेंशन तारों को थामने के लिए जिन टावरों का निर्माण किया जाता है, उसका वजन सैकड़ो टन होता है. साथ ही वे सैकड़ों फीट तक लंबे होते हैं. किसी भी टावर के निर्माण में मजदूरों को महीनों मशक्‍कत करनी पड़ती है. वहीं जैसे जैसे काम आगे बढ़ता जाता है […]

नयी दिल्‍ली : बिजली के हाई टेंशन तारों को थामने के लिए जिन टावरों का निर्माण किया जाता है, उसका वजन सैकड़ो टन होता है. साथ ही वे सैकड़ों फीट तक लंबे होते हैं. किसी भी टावर के निर्माण में मजदूरों को महीनों मशक्‍कत करनी पड़ती है. वहीं जैसे जैसे काम आगे बढ़ता जाता है टावर निर्माण का कार्य जोखिम भरा होता जाता है. लेकिन इस वीडियो में देखिए सैकड़ो टन भारी टावर को यह हेली क्रेन कैसे चुटकियों में खड़ा कर देता है.

किसी भी भारी (वजनी) चीज को उठाने के लिए क्रेन का इस्‍तेमाल किया जाता है. लेकिन जमीन पर रखे क्रेन की एक सीमा है. वह एक सीमा तक ही किसी चीज को उपर उठा सकती है. वहीं अगर हम हेली क्रेन की बात करें तो यह एक हेलीकॉप्‍टर है. इसमें एक पायलट के बैठने की जगह होती है और नीचे के साइड में हैंगर लगा होता है.

हेलीक्रेन की सहायता से किसी भी बड़े टावर को जमीन पर तैयार किया जाता है और फिर उसे उपर उठाकर किसी भी जगह शिफ्ट कर दिया जाता है. इस हेलीक्रेन का उपयोग अभी भारत के जम्‍मू कश्‍मीर राज्‍य में हो रहा है. यहां पर्वतीय सुदूरवर्ती क्षेत्रों में बिजली के टावरों को एक स्‍थान से दूसरे स्‍थान तक पहुंचाने का काम इसी की सहायता से हो रहा है. भारत में काम कर रहा हेलीक्रेन ऑस्‍ट्रेलिया से मंगवाया गया है.

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